Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohe Part 01 Author(s): Manikyasagarsuri, Publisher: Shantichandra C Zaveri View full book textPage 4
________________ ॥४॥ आ शुभ अवसरे प. पू. आगमोद्धारकश्रीना आद्यशिष्य पू. पन्यास-प्रवर-श्रीविजयसागरगणिवरना शिष्य पू. गणिवर्य श्रीचन्दनसागरजीमहाराजना स्वर्गस्थ पूज्य आगमोद्धारकश्रीए रचेली संस्कृत प्राकृत गद्य-पद्य कृतिओने मुद्रण करवाना भाव स्वयं जाग्रत थया आथी तेओश्रीए स्व० आगमोद्धारकरीना हस्तपत्रो परनी कृतिओने मुद्रण करवा माटे योग्य लागे तेवी रीते प्रेसकोपीओ तैयार करी तेमां पूज्यश्रीनी लगभग तमाम कृतिओनी प्रेसकोपीओ तेओए तैयार करी छे. तैयार थये प्रेसकोपीओनुं संशोधन करवा कार्य प. पू. गच्छाधिपतिश्रीए चालु कर्यु, तेमां प्रथम दशहजारश्लोक प्रमाणनो 'ताविकप्रमोत्तराणि' नामनो विशालकाय ग्रन्थ श्री शेठश्रीपानाचन्दभाइ साकरचन्द मद्रासीए मुद्रित करावी सं. २०१४मां बहार पाड्यो छे. त्यार पछी आ आगमोद्धारककृतिसन्दोह-प्रथम-विभाग बहार पडे छे. आमां संस्कृतप्राकृतभाषाओनी गद्य पद्य ३८ कृतिओ आपवामां आवी छे आम २-१-३८- कुळे ४१ अने स्व. पू. आगमोद्धारकनी हयातीमा मुद्रित थयेल ३१ कृतिओ साथे कुल ७२ बहार पडे छे अने बीजी ७२ कृतिओ पण प्रेसोमां मुद्रण थारही छे. सदरहु प्रकाशनमा प्रातः स्मरणीय-गच्छाधिपति पू.आ.श्रीमन्माणिक्यसागरसूरीश्वरजीप मुख्यताए कृतिओनुं संशोधन कर्य छ, पू. गणिवर्यश्रीचन्दनसागरजीमहाराजे प्रेसकोपीओ करवी मेळववी. प्रफी आदि सुधारवामां सहकार आप्यो छे आथी तेओ बन्ने पूज्यश्रीओनो आभार व्यक्त कर्ष छु. अनुक्रमणिकामां दर्शावेल कृतिओना नामो ज एवां छे के कइ कृति कया विषयनी छे ते समजाय तेवी छे तेथी तेनो विस्तार करवो उचित धार्यों नथी. कृतिकार महर्षि पू. आगमोद्धारकश्रीना लखाणो मां का अमारो दृष्टिदोष थयो होय, प्रूफो सुधारवामां के मुद्रणालयनी खामीओने आश्री कंइ दोषापत्ति क्षति आवी होय ते विद्वद्वर्योप सुधारी वांचवू. ली : शान्तिचन्द्र छगनभाइ झवेरी वैशाख शुक्ल तृतीया २०१५ | ॥४॥Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 302