Book Title: Agam Suttani Satikam Part 16 Nishitha
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 12
________________ उद्देशक : ७, मूलं-५०६, [भा. २३०२] मू. (५०६) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स कायंसि गंडं वा पिलगंवा अरइयं वा असियं वा भगंदलं वा अन्नयरेणंतिक्खेणं सत्थजाएणं अच्छिदित्ता विच्छिदित्ता नीहरेत्ता विसोहेत्ता उच्छोलेत्ता पधोएत्त आलिंपित्ता विलिंपित्ता अब्भंगेत्ता मक्खेत्ता अन्नयरेण धूवणजाएण धुवेज वा पधूवेज्ज वा धूवंतं वा पधूवंतं वा सातिजति॥ मू. (५०७) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स पालु-किमियं वा कुच्छिकिमियं वा अंगुलीए निवेसिय निवेसिय नीहरइ, नीहरंतं वा सातिजति ॥ मू. (५०८) जेभिक्खूमाउग्गामस्स मेहुणवडियाएअन्नमन्नस्स दीहाओनहसीहाओ कप्पेज वा संठवेज वा, कप्पंतं वा संठवेंतं वा सातिञ्जति ॥ मू. (५०९)जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स दीहाइंजंघ-रोमाइंकप्पेज वा संठवेज वा, कप्तं वा संठवेंतं वा सातिजति॥ मू. (५१०) जे भिक्खूमाउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स दीहाइंवत्थि-रोमाइंकप्पेज्ज वा संठवेज वा, कप्तं वा संठवेंतं वा सातिञ्जति ॥ मू. (५११)जे भिक्खूमाउगामस्स मेहुणवडियाएअन्नमन्नस्स दीहाइंचक्खु-रोमाइंकप्पेज वा संठवेज वा, कप्तं वा संठवेंतं वा सातिजति ॥ मू. (५१२) जेभिक्खुमाउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स दीहाइंकक्ख-रोमाइंकप्पेज वा संठवेज वा, कप्तं वा संठवेंतं वा सातिजति ॥ मू.(५१३) जभिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स दीहाई मंसु-रोमाइंकप्पेज वा संठवेज वा, कप्पेंतं वा संठवेंतं वा सातिजति॥ मू. (५१४) जे भिक्खूमाउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स दंते आघसेज वा पघंसेज वा, आघसंतंवा पघंसंतं वा सातिजति ।। मू. (५१५) जेभिक्खूमाउग्गामस्स मेहुणवडियाएअन्नमन्नस्स दंते उच्छोलेज्ज वापधओएज वा, उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा सातिजति॥ मू. (५१६) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स दंते फुमेज वा रएज वा, फुतं वा रएंतं वा सातिजति ॥ मू. (५१७) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स उडे आमजेज वा पमजेज्ज वा, आमजंतं वा पमज्जंतं वा सातिजति ।। मू. (५१८) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स उढे संबाहेज वा पलिमद्देश वा, संबाहेंतं वा पलिमबेतं वा सातिज्जति ॥ मू. (५१९) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स उढे तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा नवनीएण वा मक्खेज्जवा भिलिंगेज वा, मक्खेंतं वा मिलिंगेतं वा सातिजति ।। मू. (५२०) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स उढे लोद्धेण वा कक्केण वा उल्लोलेज वा उव्वट्टेज वा उल्लोलेंतं वा उव्वटेंतं वा सातिजति ॥ मू. (५२१) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स उढे सीओदग-वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेज वा पधोएज वा, उच्छोलेंतं वा पधोएंतं सातिजति ।। मू. (५२२) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स उट्टे फुमेज वा रएज वा, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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