Book Title: Agam Suttani Satikam Part 16 Nishitha
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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उद्देशक ः ७, मूलं-५४८, [भा. २३१४]
जे भिक्खू कुजाहि, सो पावति आणमादीणि ।। [भा.२३१५] बितियपदमणप्पज्झे, अप्पज्झे वा विदुविध तेइच्छे ।
अभिओग असिव दुब्मिक्खमादिसूजा जहिं जतणा॥ मू. (५४९) जेभिक्खूमाउग्गामस्स मेहुणवडियाए अमणुनाइंपोग्गलाईनीहरइ (अवहरति), नीहरंतं (अवहरंत) वा सातिजति॥
मू. (५५०) जेभिक्खूमाउग्गामस्स मेहुणवडियाएमणुन्नाइंपोग्गलाइंउवकिरति (उवहरति), उवकिरंतं (उवहरंत) वा सातिज्जति ॥
घू-अमणुन्नो पोग्गले अवहरति । मणुन्ने उवहरति संपाडेति । [भा.२३१६] अमणुण्णाऽवहारं, उवहारंचेव तह मणुण्णाणं ।
जे भिक्खू पोग्गलाणं, देहट्ठाणे व आणादी। चू-अवहारो उवहारो वा एकेको दुविधो - सरीरे ठाणे य । सरीरे दुविहो -अंतो बाहिं च ॥ इमो अंतो[भा.२३१७] वमण-विरेगादीहिं, अब्भंतर-पोग्गलाण अवहारो।
तेल्लुव्वट्टण-जल-पुप्फ-चुण्णमादीहि बज्झाणं॥ चू-असुइभूयाससंदूसिय-सेभिय-पित्त-रुहिरादियाणवमण-विरेयणादीहिंअवहारो।बाहिरो सरीरातो पूय-सोणिय-सिंघाण-लाल-कण्णमलादि तेल्लुव्वट्टणादीहिं वजं अवहरति ॥
जत्थ ठाणे अच्छति तत्थिमं करेति । [भा.२३१८] कयवर-रेणुच्चारं, मुत्तं चिक्खल्ल-खाणु-कंटाणं ।
सद्दादमणुन्नाणं, करेज तट्ठाण अवहारं ॥ . धू-बहु झुसिरदव्वसंकरो कयवरो, रेणू धूली, उच्चार-पासवण-चिक्खल्ल-खाणु-कंटादीयं च जहा रुदियादिसद्दाणं असुभगंधाण य अहिमडादीणं तहाणातो अवहारं करेति । सुभाण य उवहारं करेति॥ [भा.२३१९] आवरिसायण उवलिंपणंच चुण्ण-कुसुमोवयारंच।
सद्दादि मणुण्णाणं, करेज्ज तट्ठाण उवहारं ॥ धू-जत्थ जत्थ अच्छति सा इत्थीतं ठाणं संपमज्जित्ता उदगेणावरिसति, छगणपाणिएणवा उवलिंपति, पडवासादिए वा चुण्णे उक्खिवति, पुष्फोवयारं वा करेति, गीयादि वा सद्दे करेज्ज, अवनेति उवहरेति वा मेहुणट्ठा ङ्गा । दिढे संकादिया दोसा, घरं संजओ सोवेति त्ति उड्डाहो ॥ [भा.२३२०] बितियपदमणप्पज्झे, अप्पज्झे वा वि दुविध तेइच्छे।
अभिओग असिव दुब्मिक्खमादिसूजा जहिं जतणा॥ मू. (५५१) जे भिक्खू माउग्गासस्स मेहुणवडियाए अन्नयर पसु-जायं वा पक्खि-जायं वा पायंसिवा पक्खंसिवापुच्छंसिवासीसंसिवागहाय उजिहति वा पब्विहति वा संचालेति उजिहेंतं वा पब्विहेत वा संचालेंतं वा सातिज्जति ॥
धू-अभिलाइया पसुजाती । हंसचकोरादिया पक्खिजाती । पक्खादिया अंगावयवा पसिद्धा । तेसु गहाय उज्जिहति उप्पाडेति, पगरिसेण वहइ खिवति पब्विहति । अहवा - प्रतीपं
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