Book Title: Agam Suttani Satikam Part 16 Nishitha
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 10
________________ उद्देशकः ७, मूलं-४८१, [भा. २३००] [भा.२३००] बितियपदमणप्पज्झे, अप्पज्झे वा विदुविध तेइच्छे। अभिओग असिव दुब्मिक्खमादिसूजा जहिं जतणा॥ मू. (४८२) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अक्खंसि वा ऊरुंसि वा उयरंसि वा थणंसि वा गहाय संचालेइ, संचालेंतं वा सातिजति ॥ चू-अक्खा नामसंखाणियप्पदेसा । अधवा-अन्नतरंइंदियजायं अकंभण्णति, उवगच्छया कक्खा भण्णति, वक्खंसिवा ऊरंसि, हत्थादिएसु वा मेहुणवडियाए संचालेति चउगुरुं । [भा.२३०१] अक्खादी ट्ठाणा खलु, जत्तियमेत्ता उ आहिया सुत्ते। जो घेत्तुं संचाले, सो पावति आणमादीणि ।। चू-आणादिया दोसा, जस्स सा अविरइया रूसति । अहवा - सच्चेव रूसेज, गेण्हणादयो दोसा॥ [भा.२३०२] बितियपदमणप्पज्झे, अप्पज्झे वा विदुविध तेइच्छे। __ अभिओग असिव दुभिक्खमादिसूजा जहिं जतणा॥ मू. (४८३) जेभिक्खूमाउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स पाए आमज्जेज वा पमजज्ज वा, आमजंतं वा पमजंतं वा सातिजति ॥ मू. (४८४) जे भिक्खूमाउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स पाए संबाहेज वा पलिमद्देज वा, संबाहेंतं वा पलिमद्देतं वा सातिजति ॥ मू. (४८५) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स पाए तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा नवनीएण वा मक्खेज वा भिलिंगेज वा, मक्खेंतं वा मिलिंगेतं वा सातिजति॥ मू. (४८६) जेभिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स पाए लोद्धेण वा कक्कण वा उल्लोल्लेज वा उबट्टेज वा, उल्लोलेंतं वा उव्वटेंतं वा सातिजति ॥ मू. (८७) जे भिक्खू माउग्गामस्म मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स पाए सीओदग-वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेज वा पधोएज् वा, उच्छोलेंतं वा पधोएंतं वा सातिजति॥ मू. (४८८) जभिक्खूमाउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स पाए फुमेज वा रएज वा, फुमेंतं वा रएंतं वा सातिजति॥ - मू. (४८९) जेभिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स कायं आमज्जेज वा पमजेज वा, आमजंतं वा पमजंतं वा सातिजति ॥ म.(४९०) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाएअन्नमन्नस्स कायंसंबाहेज वा पलिमद्देज वा, संवाहेंतं वा पलिमद्दतं वा सातिजति ॥ मू. (४९१) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स कायं तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा नवनीएण वा मक्खेज वा भिलिंगेज वा मक्खेंतं वा भिलिंगेतं वा सातिजति ।। मू. (४९२) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स कायं लोद्धेण वा कक्केण वा उल्लोलेज वा उव्वट्टेज वा उल्लोलेंतं वा उव्वटेतं वा सातिज्जति ॥ मू. (४९३) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अन्नमन्नस्स कायंसीओदग-वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोल्लेज वा पधोएज वा, उच्छोलेतं वा धोएंतं वा सातिजति॥ For Private & Personal Use Only Jain Education International ____www.jainelibrary.org

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