Book Title: Agam Nimbandhmala Part 02
Author(s): Tilokchand Jain
Publisher: Jainagam Navneet Prakashan Samiti

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Page 6
________________ आगम निबंधमाला पृष्टांक (1) (2) (10) निबंधांक अनुक्रमणिका दस प्रत्याख्यान एवं उनके 15 आगार समभाव-क्षमाभाव चिंतन : 15 दोहे नमिराजर्षि और शकेन्द्र के 10 प्रश्नोत्तर (4) बहुश्रुत का महात्म्य एवं 16 उपमाएँ (5) चतुर्विध मोक्षमार्ग 12 प्रकार के तप का संक्षिप्त स्वरूप 6 लेश्याओं के लक्षण से अपने को पहचानो (8) भगवान महावीर स्वामी की संयम साधना पंडित मरण के तीन प्रकार क्षमाभाव अंतर्हदय का आवश्यक (11) जैनसिद्धांत और वर्तमान ज्ञात दुनिया , ज्योतिष मंडल के प्रति वैज्ञानिक एवं आगम दृष्टि (13) केवली प्रथम पद में नहीं पाँचवें पद में (14) समाधि मरण-संलेखना संथारा अबूझ कहावतों में संशोधन उदक पेढालपुत्र एवं गौतमस्वामी की चर्चा श्रेणिकपुत्र मेघकुमार के पाँच भव (18) मेघकुमार अध्ययन से प्राप्त शिक्षा धन्य सार्थवाह के जीवन से प्राप्त शिक्षा दीक्षार्थी के प्रति कृष्ण वासुदेव का कर्तव्य (21) शैलक अध्ययन से प्राप्त शिक्षा एवं तत्त्व (22) मल्ली भगवती के 3 भवों का अद्भुत वर्णन (23) मल्ली भगवती के अध्ययन से प्राप्त ज्ञेय तत्त्व (24) राजा और मंत्री का जीवन व्यवहार (25) मनुष्य भव में हारा मेंडक भव में जीता (12) (15) (16) (17) (20)

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