Book Title: Agam 40 Avashyak Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 6
________________ आगम सूत्र ४०, मूलसूत्र-१, 'आवस्सय' अध्ययन/सूत्रांक अध्ययन-२-चतुर्विंशतिस्तव सूत्र-३ लोक में उद्योत करनेवाले (चौदह राजलोक में रही सर्व वस्तु का स्वरूप यथार्थ तरीके से प्रकाशनेवाले) धर्मरूपी तीर्थ का प्रवर्तन करनेवाले, रागदेश को जीतनेवाले, केवली चोबीस तीर्थंकर का और अन्य तीर्थंकर का मैं कीर्तन करूँगा। सूत्र-४ __ ऋषभ और अजीत को, संभव अभिनन्दन और सुमति को, पद्मप्रभु, सुपार्श्व (और) चन्द्रप्रभु सभी जिन को मैं वंदन करता हूँ। सूत्र-५ सुविधि या पुष्पदंत को, शीतल श्रेयांस और वासुपूज्य को, विमल और अनन्त (एवं) धर्म और शान्ति जिन को वंदन करता हूँ। सूत्र-६ कुंथु, अर और मल्लि, मुनिसुव्रत और नमि को, अरिष्टनेमि पार्श्व और वर्धमान (उन सभी) जिन को मैं वंदन करता हूँ। (इस तरह से ४-५-६ तीन गाथा द्वारा ऋषभ आदि चौबीस जिन की वंदना की गई है।) सूत्र - ७ इस प्रकार मेरे द्वारा स्तवना किये हुए कर्मरूपी कूड़े से मुक्त और विशेष तरह से जिनके जन्म-मरण नष्ट हए हैं यानि फिर से अवतार न लेनेवाले चौबीस एवं अन्य जिनवर-तीर्थंकर मुझ पर कृपा करे । सूत्र-८ जो (तीर्थंकर) लोगों द्वारा स्तवना किए गए, वंदन किए गए और पूजे गए हैं । लोगों में उत्तमसिद्ध हैं । वो मुझे आरोग्य (रोग का अभाव), बोधि (ज्ञान, दर्शन और चारित्र का लाभ) तथा सर्वोत्कृष्ट समाधि प्रदान करे। सूत्र-९ चन्द्र से ज्यादा निर्मल, सूरज से ज्यादा प्रकाश करनेवाले और स्वयंभूरमण समुद्र से ज्यादा गम्भीर ऐसे सिद्ध (भगवंत) मुझे सिद्धि (मोक्ष) दो । अध्ययन-२-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् - (आवस्सय) आगम सूत्र-हिन्दी अनुवाद" Page 6

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