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आगम सूत्र ४०, मूलसूत्र-१, 'आवस्सय'
अध्ययन/सूत्रांक चिरकाल या अल्पकाल के चार शिक्षाव्रत बताए हैं । इन सबसे पहले श्रमणोपासक धर्म में मूल वस्तु सम्यक्त्व है। वो निसर्ग से और अभिमान से दो प्रकार से है । पाँच अतिचार रहित विशुद्ध अणुव्रत और गुणव्रत की प्रतिज्ञा के सिवा दूसरी भी पड़िमा आदि विशेष से करने लायक है।
अन्तिम मरण सम्बन्धी संलेखना आराधना का आराधन करना चाहिए | आम तोर पर कहा जाए तो श्रावक को व्रत और पडिमा (प्रतिज्ञा)के अलावा मरण के समय योग्य समाधि और स्थिरता के लिए मरण पर्यन्त का अनशन अपनाना चाहिए । श्रमणोपासक को इस सम्बन्ध से पाँच अतिचार बताए हैं वो इस प्रकार - १. इस लोक के सम्बन्धी या - २. परलोक सम्बन्धी ईच्छा करना, ३. जीवित या ४. मरण सम्बन्धी ईच्छा रखना और ५. काम-भोग सम्बन्धी ईच्छा रखना। सूत्र-८२
सूर्य नीकलने से आरम्भ होकर नमस्कार सहित अशन, पान, खादिम, स्वादिम से पच्चक्खाण करते हैं । सिवा कि अनाभोग, सहसाकार से (नियम का) त्याग करे । सूत्र - ८३
सूर्योदय से पोरिसी (यानि एक प्रहर पर्यन्त) चार तरह का - अशन, पान, खादिम, स्वादिम का पच्चक्खाण करते हैं । सिवा कि अनाभोग, सहसाकार, प्रच्छन्नकाल से, दिशा-मोह से, साधु वचन से, सर्व समाधि के हेतुरूप आगार से (पच्चक्खाण) छोड़े। सूत्र - ८४
सूर्य ऊपर आए तब तक पुरिमड्ड (सूर्य मध्याह्न में आए तब तक) अशन आदि चार आहार का पच्चक्खाण (- नियम) करता है । सिवाय कि अनाभोग, सहसाकार, काल की प्रच्छन्नता, दिशामोह, साधुवचन, महत्तरवजह या सर्व समाधि के हेतुरूप आगार से नियम छोड दे। सूत्र-८५
एकासणा का पच्चक्खाण करता है । (एक बार के अलावा) अशन आदि चार आहार का त्याग करता है। सिवा कि अनाभोग, सहसाकार, सागारिक कारण से, आकुंचन प्रसारण से, गुरु अभ्युत्थान पारिष्ठापनिका कारण से, महत् कारण से या सर्व समाधि के हेतु रूप आगार से (पच्चक्खाण) छोड़ दे। सूत्र-८६
एकलठाणा का पच्चक्खाण करता है (बाकी का अर्थ सूत्र-८५ अनुसार केवल उसमें 'महत्तर कारण न आए) सूत्र-८७
आयंबिल का पच्चक्खाण करता है । (उसमें आयंबिल के लिए एकबार बैठने के अलावा) अशन आदि चार आहार का त्याग करता है । सिवा कि अनाभोग से, सहसाकार से, लेपालेप से, उत्क्षिप्त विवेक से, गृहस्थ संसृष्ट से, पारिष्ठापन कारण से, महत्तर कारण से या सर्व समाधि के लिए (पच्चक्खाण) छोड़ दे। सूत्र -८८
सूर्य उगने तक भोजन न करने का पच्चक्खाण करता है (अशन आदि चार आहार का त्याग करता है।) सिवा कि अनाभोग सहसाकार, पारिष्ठापनिका और महत्तर कारण से, सर्व समाधि के लिए (पच्चक्खाण) छोड़ दे । सूत्र - ८९
दिन के अन्त में अशन आदि चार प्रकार के आहार का पच्चक्खाण करता है | सिवा कि अनाभोग सहसाकार, महत्तर कारण, सर्व समाधि के हेतु से छोड़ दे।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “(आवस्सय) आगम सूत्र-हिन्दी अनुवाद"
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