Book Title: Agam 35 Bruhatkappo Bieyam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 8
________________ [७५] सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए चेइए पाहुडियाए, सागारियस्स उवगरणजाए निट्ठिए निसट्टे पाडिहारिए, तं सागारिओ देइ सागारियस्स परिजनो देइ, तम्हा दावए नो से कप्पड़ पडिग्गाहित्तए । [७६] सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए चेइए पाहुडियाए सागारियस्स उवगरणजाए निहिए निसट्टे पाडिहारिए, तं नो सागारिओ देइ नो सागारियस्स परिजनो देइ सागारियस्स पूया देइ तम्हा दावए नो से कप्पड़ पडिग्गाहित्तए । [७७] सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए चेइए जाव निसट्टे अपाडिहारिए तं सागारिओ देइ सागारियस्स परिजनो देइ, तम्हा दावए नो से कप्पड़ पडिग्गाहित्तए । उद्देसो-२ [७८] सागारियस्स पूयाभत्ते उद्देसिए चेइए पाहुडियाए सागारियस्स उवगरणजाए निहिए निसट्टे अपाडिहारिए, तं नो सागारिओ देइ नो सागारियस्स परिजनो देइ सागारियस्स पूया देइ, तम्हा दावए एवं से कप्पड़ पडिग्गाहित्तए | [७९] कप्पड़ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा इमाइं पंच वत्थाई धारित्तए वा परिहरित्तए वा तं जहा-जंगिए भगिए साणए पोत्तए तिरीडपट्टे नाम पंचमे । [८०] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा इमाइं पंच रयहरणाई धारित्तए वा परिहरित्तए वा तं जहा-उण्णुए उट्टिए साणए बद्धाचिप्पए मंजचिप्पिए वि नाम पंचमे - त्ति बेमि । ० बिओ उद्देसो समत्तो . ० तइओ-उद्देसो ० [८१] नो कप्पइ निग्गंथाणं निग्गंथीणं उवस्सयंसि चिद्वित्तए वा निसीइत्तए तुयट्टित्तए वा निद्दाइत्तए वा पयलाइत्तए वा असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा आहारमाहारेत्तए, उच्चारं वा पासवणं वा खेलं वा सिंघाणं वा परिद्ववेत्तए, सज्झायं वा करेत्तए, झाणं वा झाइत्तए, काउस्सग्गं वा करेत्तए ठाणं वा ठाइत्तए । [८२] नो कप्पइ निग्गंथीणं निग्गंथाणं उवस्सयंसि चिद्वित्तए वा जाव ठाणं ठाइत्तए | [८३] नो कप्पइ निग्गंथीणं सलोमाइं चम्माई अहिद्वित्तए | [८४] कप्पइ निग्गंथाणं सलोमाई चम्माई अहिद्वित्तए, से वि य परिभत्ते नो चेव णं अपरिभत्ते, से वि य पाडिहारिए नो चेव णं अपाडिहारिए, से वि एगराइए नो चेव णं अनेगराइए | [८५] नो कप्पड़ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा कसिणाई चम्माइं धारित्तए वा परि० । [८६] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अकसिणाई चम्माइं धारित्तए वा परि० । [८७] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा कसिणाई वत्थाइंधारित्तए वा परिहरित्तए वा कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अकसिणाई वत्थाई धारित्तए वा परिहरित्तए वा । [८८] नो कप्पड़ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अभिन्नाइं वत्थाइं धारित्तए वा परिहरित्तए वा कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा भिन्नाइं वत्थाई धारित्तए वा परिहरित्तए वा | [८९] नो कप्पइ निग्गंथाणं उग्गहनंतगं वा उग्गहपट्टगं वा धारित्तए वा परिहरित्तए वा | [९०] कप्पइ निग्गंथीण उग्गहनंतगं वा उग्गहपट्टगं वा धारित्तए वा परिहरित्तए वा । दीपरत्नसागर संशोधितः] [7] [३५-बुहत्कप्पो ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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