Book Title: Agam 35 Bruhatkappo Bieyam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 19
________________ [208] उम्मायपत्तिं निग्गंथि निग्गंथे गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा नाइक्कमइ / [209] उवसग्गपत्तिं निग्गंथि निग्गंथे गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा नाइक्कमइ / [210] साहिगरणं निग्गंथि निग्गंथे गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा नाइक्कमइ | [211] सपायच्छित्तं निग्गंथि निग्गंथे गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा नाइक्कमइ / [212] भत्तपानपडियाइक्खियं निग्गंथि निग्गंथे गिण्ह० नाइक्कमइ / [213] अट्ठजायं निग्गंथिं निग्गंथे गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा नाइक्कमइ / 214] छ कप्पस्स पलिमंथ पन्नत्ता, तं जहा कोक्कडए संजमस्स पलिमंथ, मोहरिए सच्चवयणस्स पलिमंथू, चक्खुलोलुए इरियावहियाए पलिमंथू, तितिणिए एसणागोयरस्स पलिम), इच्छालोभिए मुत्तिमग्गस्स पलिमंथू, भिज्जानियाणकरणे मोक्खमग्गस्स पलिमंथू, सव्वत्थ भगवया अनियाणया पसत्था / [215] छव्विहा कप्पहिती पन्नत्ता, तं जहा- [1] सामाइयसंजय कप्पद्विती, [2] छेदोवट्ठावणियं-संजय कप्पद्विती, [3] निव्विसमाण कप्पद्विती, [4] निविट्ठकाइय कप्पद्विती, [5] जिन कप्पद्विती, [6] थेर कप्पद्विती, त्ति बेमि | * छट्ठो उद्देसो समत्तो . मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादितश्च “बुहत्कप्पो छेयसुत्तं" सम्मत्तं बुहत्कप्पो-बीइयं छेयसुत्तं सम्मत्तं दीपरत्नसागर संशोधितः] [18] [३५-बुहत्कप्पो] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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