Book Title: Agam 35 Bruhatkappo Bieyam Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 12
________________ ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ते य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए | [१२७] आयरिय-उवज्झाए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो से कप्पइ आयरिय-उवज्झायस्स आयरिय-उवज्झायत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए कप्पइ से आयरिय-उवज्झायस्स आयरिय-उवज्झयत्तं निक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए | नो से कप्पइ अणापच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए कप्पड़ से आपच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पड़ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ते य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । । [१२८] भिक्खू य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं उद्देसो-४ विहरित्तए नो से कप्पइ अनापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए | ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पड़ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, जत्थुत्तरियं धम्मविनयं लभेज्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए जत्थत्तरियं धम्मविनयं नो लभेज्जा एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । [१२९] गणावच्छेइए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो से कप्पड़ गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ से गणावच्छेइयस्स गणावच्छेइयत्तं निक्खिवित्ता णं अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए | नो से कप्पड़ अनापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ से आपच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पड़ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ते य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पड अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । जत्थुत्तरियं धम्मविनयं लभेज्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, जत्थुत्तरियं धम्मविनयं नो लभेज्जा एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । [१३०] आयरिय-उवज्झाए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो से कप्पड़ आयरिय-उवज्झायस्स आयरिय-उवज्झायत्तं अनिक्खिवित्ता दीपरत्नसागर संशोधितः] [11] [३५-बुहत्कप्पो] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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