Book Title: Agam 34 Nishith Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 45
________________ आगम सूत्र ३४, छेदसूत्र-१, 'निशीथ' उद्देशक/सूत्र सूत्र - १२९२-१३३२ जो साधु-साध्वी वस्त्र खरीद करे, करवाए या खरीद करके आए हुए वस्त्र को ग्रहण करे, करवाए, अनुमोदना करे (इस सूत्र से आरम्भ करके) जो साधु-साध्वी यहाँ मुझे वस्त्र प्राप्त होगा वैसी बुद्धि से वर्षावासचातुर्मास रहे, दूसरों को रहने के लिए कहे या रहनेवाले की अनुमोदना करे तो प्रायश्चित्त । (नोंध-उद्देशक १४ में कुल ४१ सूत्र हैं । वहाँ पात्र के सम्बन्ध से जो विवरण किया गया है उस प्रकार उस ४१ सूत्र के लिए समझ लेना, फर्क केवल इतना कि यहाँ पात्र की जगह वस्त्र समझना ।) इस प्रकार उद्देशक-१८ में बताए किसी भी दोष का जिसका साधु-साध्वी खुद सेवन करे, दूसरों के पास सेवन करवाए या उस दोष का सेवन करनेवाले की अनुमोदना करे तो उसे चातुर्मासिक परिहारस्थान उद्घातिक नाम का प्रायश्चित्त आता है, जिसे लघु चौमासी' प्रायश्चित्त भी कहते हैं। उद्देशक-१८-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(निशीथ)” आगम सूत्र-हिन्दी अनुवाद" Page 45

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