Book Title: Agam 34 Chhed 01 Nishith Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | विइगिच्छा० (अह पुण एवं जाणेज्जा अणुग्गए सूरिए अत्यभिए वा, से जंच मुहे जं च पाणिंसि जं च पडिग्गहे तं विगिञ्चिय | विसोहिय तं परिद्ववेमाणे नाइक्कमड़, जो तं भुंजइ भुंजंतं वा साइज्जइ ) ३२५ '३४ । जे भिक्खू राओ वा वियाले वा सपाणं | सभोयणं उग्गालं उग्गिलित्ता पच्चोगिलड पच्चोगिनंतं वा सा० ' ३५६ ॥३५ । जे भिक्खू गिलाणं सोच्चा न गवेसइ नगवेसंतं | वा सा० (३६० उम्मग्गं वा पडिपहं वा गच्छ गच्छंतं वा सा०|३७| जे भिक्खू गिलाणवेयावच्चे अब्भुट्टियस्स सएण लाभेण असंथरमाणस्स जे तस्स न पडितप्पइ नपडितमेतं वा सा०२३८२० गि० अब्भुट्ठियं गिलाणपाओगे दव्वजाए अलभमाणे जे तं न पडियाइक्खड़ नपडियाइक्खतं वा सा० '५१२१३९० पढमपाउसंसि गामाणुगामं दूइज्जइ दूइज्जतं वा सा० १४० १० वासावासं पज्जोसवियंसि दूइज्जइ दूइज्जतं वा सा०२४११० अपज्जोसवणाए पज्जोसवेइ पज्जोसवेंतं वा सा०।४२।० पज्जोसवणाए न पज्जोसवेइ न पज्जोसवंतं वा सा०|४३|० पज्जोसवणाए गोलोमाइंपि वालाई उवाइणावेइ उवाणणावेंतं वा सा० २४४/० पज्जोसवणाए इत्तिरियंपि आहारं आहारेइ आहारेंतं वा सा० ।४५ १० अन्नउत्थियं वा गारत्थियं वा पज्जोसवेइ पज्जोसवेंतं वा सा० '६१०' १४६ १० पढमसमोसरणुद्देसपत्ताइं चीवराई पडिगाहेइ पडिगार्हतं वा सा० '६६४' तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मा सियं परिहारद्वाणं अणुग्घाइयं । ४७॥ दसमो उद्देसओ १० ॥ जे भिक्खू अयपायाणि वा कंस० वा तंब० वा तय० वा रुम्प० वा सुवण्ण० वा जायरूव० वा मणि० वा काय० ॥ श्री निशीथसूत्रं ॥ २३ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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