Book Title: Agam 34 Chhed 01 Nishith Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 49
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | पामिच्चियमिति० । २ । परियट्टति परियट्टावेति परियट्टियमिति ० 1३1० अच्छेज्जं अनिस अभिहडं० १४) जे भिक्खू गिलाणस्सऽट्ठाए परं तिण्हं वियडदत्तीणं पडिग्गाहेइ ५० सा०२५२० वियडं गहाय गामाणुगामं दूइज्जइ दू० सा० । ६० वियडं गालेइ गालावेइ | गालियं०' २६' (७० चउहिं संझाहिं सज्झायं करेइ करेंतं वा सा० तं० - पुव्वाए संज्ञाए पच्छिमाए संजाए अवर (मज्झ ) हे | अड्ढरत्ते १८१० कालियसुयस्स परं तिहं पुच्छाणं पुच्छइ ५० सा० १९ । दिट्टिवायरस परं सत्तण्हं पुच्छाणं पुच्छइ पु० | सा०' ३६' ११० १० चउसु महामहेसु सज्झायं करेइ करेंतं वा सा० तं इन्दमहे खंदमहे जक्खमहे भूयमहे । ११ । चउसु महापाडिवाएसु | सज्झायं करेइ करेंतं वा सा० तं०- सुगिम्हियापाडिवए आसाढीपा० भद्दवय (इन्दमह ) पा० कत्तियपा० | १२ | पोरिसिं सज्झायं उवाइणावेइ उवा० सा० (१३२० चाउक्कालं सज्झायं न करेइ नक० सा० '४६' (१४१० असज्झाइए सज्झायं करेइ क० सा०।१५ २० अप्पणो असज्झाइए सज्झायं करेइ क० सा० '१५२' (१६२० हेट्ठिल्लाई समोसरणाई अवाएता उवरिल्लाई समोसरणाई वा० वा० वा सा०।१७० नव बंभचेराई अवाएत्ता उवरिमसुयं वाएइ वा वा० सा० ' १६९' (१८० अवत्तं वाएइ वा० सा० (१९१० वत्तं न वाएइ न वा० सा० २०१० अपत्तं वाएड वा० सा०।२११० पत्तं न वाएइ नवा० सा० २१५ ' १२२ । दोण्हंपि सरिसगाणं एकं संचिक्खावेइ एकं न संचिक्खावेइ एकं वाएड एक्कं न वाएइ नवा० सा० '२२१' (२३० आयरियउवज्झाएहिं अविदिन्नं गिरं आइयइ आइ० सा०।२४० अन्नउत्थियं वा गारत्थियं वा वाएड वा० वा सा०२२५० पडिच्छइ ५० सा० २६२० एवं ॥ श्री निशीथसूत्रं ॥ ३८ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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