Book Title: Agam 27 Bhattaparinna Chauttham Painnayam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ गाहा-३३ ? | [३३] संथारयपव्वज्जं पव्वज्जइ सोऽवि नियम निरवज्जं । सव्वविरइ-प्पहाणं सामाइय-चरित्त-मारुहइ ।। [३४] अह सो सामाइयधरो पडिवन्नमहव्वओ य जो साहू । देसविरओ अ चरिमे पच्चक्खामि ति निच्छइओ ।। [३५] गुरुगुणगुरूणो गुरुणो पयपंकय नमियमत्थओ भणइ । भयवं! भत्तपरिन्नं तुम्हानुमयं पवज्जामि [३६] आराहणाइ खेमं तस्सेव य अप्पणो य गणिवसहो । दिव्वेण निमित्तेणं पडिलेहइ इहरहा दोसा ।। [३७] तत्तो भवचरिमे सो पच्चक्खाइ ति तिविहमाहारं । उक्कोसियाणि दव्वाणि तस्स सव्वाणि दंसिज्जा [३८] पासित्तु ताई कोई तीरं पत्तस्सिमेहिं किं मज्झ देसं च कोइ भोच्चा संवेगगओ विचिंतेइ ।। [३९] किं च तं नोवभुत्तं मे, परिणामासुई सुई । ___ दिट्ठसारो सुहं झाइ, चोयणेसाऽवसीयओ [४०] उयरमलसोहणट्ठा समाहिपानं मणुन्नमेसोऽवि । महुरं पज्जेअव्वो मंदं च विरेयणं खमओ ।। [४१] एल-तय-नाग-केसर-तमालपत्तं ससक्करं दुद्धं । पाऊण कढियसीयल समाहिपानं तओ पच्छा ।। [४२] महुरविरेयणमेसो कायव्वो फोप्फलाइदव्वेहिं । निव्वाविओ य अग्गी समाहिमेसो सुहं लहइ ।। [४३] जावज्जीवं तिविहं आहारं वोसिरइ इहं खवगो । निज्जवगो आयरिओ संघस्स निवेयणं कुणइ ।। [४४] आराहण-पच्चइअं खमगस्स य निरुवसग्ग-पच्चइअं । तो उस्सग्गो संघेण होइ सव्वेण कायव्वो ।। [४५] पच्चक्खाविंति तओ तं ते खमयं चठव्विहाहारं । संघसमुदायमज्झे चिइवंदनपुव्वयं विहिणा ।। [४६] अहवा समाहिहे सागारं चयइ तिविहमाहारं ।। तो पाणयं पि पच्छा वोसिरियव्वं जहाकालं ।। [४७] तो सो नमंतसिरसंघडत-करकमलसेहरो विहिणा | खामेइ सव्वसंघं संवेगं संजणेमाणो ।। [४८] आयरिय उवज्झाए सीसे साहम्मिए कुल गणे य । जे मे केइ कसाया सव्वे तिविहेण खामेमि ।। [४९] सव्वे अवराहपए खामेमि अहं खमेठ मे भयवं अहमवि खमामि सुद्धो गुणसंघायस्स संघस्स ।। [दीपरत्नसागर-संशोधितः] [4] [२७|भतपरिणा]

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13