Book Title: Agam 22 Upang 11 Pushpachulika Sutra Puffachuliyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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वि. सं. २०१२ उज्जैन में आगम सम्पादन का कार्य प्रारंभ हुआ । उसी वर्ष प्रायः बत्तीस आगमों की शब्द सूचियां तैयार हो गईं। इस कार्य में अनेक साधु और साध्वियां संलग्न हुए । चारचार या तीन-तीन साधु-साध्वियों के वर्ग बने और उन्होंने इस कार्य को शीघ्रता से सम्पन्न किया। मुनि चौथमलजी, सोहनलालजी (चूरू) जैसे प्रोड़ सन्त इस कार्य में लगे वहां उनके सहयोगी के रूप में छोटे-छोटे साधु भी जुट गए एक अभियान जैसा कार्य चला और सब में एक नयी भावना जागृत हो गई। पहले पाठ-शोधन नहीं हुआ था इसलिए उनका पूरा उपयोग नहीं हो सका। शब्द-सूचियां फिर से बनानी पड़ी, किन्तु जो काम हुआ वह अत्यंत श्लाघनीय है । इस सम्पादन की एक उल्लेखनीय बात यह है कि यह सारा कार्य साधु-साध्वियों के द्वारा ही सम्पादित हुआ, किसी मुहस्य विद्वान् का इसमें योग नहीं रहा । आचार्यश्री का नेतृत्व और तेरापंथ धर्मसंघ का संगठन ही इसके लिए श्रेयोभागी बनता है ।
आगमविद और संपादन के कार्य में सहयोगी स्व. श्री मदनचंदजी गोठी को इस अवसर पर विस्मृत नहीं किया जा सकता । यदि वे आज होते तो इस कार्य पर उन्हें परम हर्ष होता ।
आगम के प्रबन्ध सम्पादक श्री श्रीचन्दजी रामपुरिया (कुलपति जैन विश्व भारती) प्रारंभ से ही आगम कार्य में संलग्न रहे हैं। आगम साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वे कृत-संकल्प और प्रयत्नशील हैं। अपने सुव्यवस्थित वकालात कार्य से पूर्ण निवृत्त होकर वे अपना अधिकांश समय आगम-सेवा में लगा रहे हैं। जैन विश्व भारती के अध्यक्ष खेमचंदजी सेठिया और मंत्री श्रीचंद बेगानी का भी इस कार्य में योग रहा है। संपादकीय और भूमिका का अंग्रेजी अनुवाद डा. नथमल टांटिया ने तैयार किया है।
एक लक्ष्य के लिए समान गति से चलने वालों की सम प्रवृत्ति में योगदान की परम्परा का उल्लेख व्यवहारप्रति मात्र है। वास्तव में यह हम सबका पवित्र कर्तव्य है और उसी का हम सबने पालन किया है ।
अणुव्रत भवन (दिल्ली) २२ अक्टूबर, १९८७
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युवाचार्य महाप्रज्ञ
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