Book Title: Agam 22 Upang 11 Pushpachulika  Sutra Puffachuliyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 260
________________ पत्तिय-यभंकरा / पत्तिय ( प्रति - इ) पतिएज्जा प २०१७, १८.३४ पत्तियामि उ ३३१०३ पत्तेय (प्रत्येक ) ११४८१८०, ४७,४६, ६०, २२४८; ६।१८,६४,१०।१४; १६।१५ ज १।४६; ३।२०६४१५,२७,११०, ११४,११६, ११८, १२२,१२५,१२८,१३९; ५१ से ३, ५, ७, ३१, ४२,५६ उ १११२१,१२२,१२६ पत्तेयजिय ( प्रत्येकजीव ) प ११४८६ पत्तेयजीविय ( प्रत्येकजीवित ) ५ ११३५, ३६ पत्ते बुद्ध सिद्ध (प्रत्येकबुद्धसिद्ध ) ११।१२ पत्तेयसरीर (प्रत्येक शरीर ) - ११३२,३३,४७; ४७ २, ३ ३ ७२ से ७४,५१, ८४ से ८७, ६५, १८३१५१४४, ५२ पसरीरणाम (रीनामन् ) प २३१३८, १२१ पत्थ (मथ्य ) ज ४१३, २५ पत्थड (प्रस्तट ) प २१,४,१०,१३,४८,६० से ६२ ज ४१४६ पत्थर (प्रस्थातुम् ) उ ३।५५ पस्थाण (प्रस्थान ) उ ३१५१,५३,५५ परिथज्जमा (प्रार्थ्यमान) ज २२६१ ३१८६,२०४ पथिय ( प्रार्थित) ३१२६,४७,४६,८७,१२२, ات १२३, १३३, १४५, १८६५।२२ उ १।१५,५१, ४४,६५,७६,७६,६६, १०५ ३२६,४८,५०, ५५,६८,१०६, ११८, १३१५/३६, ३७ परिथय ( प्रस्थित) उ ३।५१,५३,५५ पथिक (पार्थिव) ज ३३३ पद ( द ) १।१०११७, १२ ३२१८१२; २८।१४५;३६।७२ ज ३१३२ सू १०/६३ से ७४ पदाहिण ( प्रदक्षिण) १६२२ १०, ११; १६१२३ पदीस ( प्र दृश) पदीस प ११४८/१० से ¡ १७,१६ से २३ पदीसए प १।४८।११ से १३ पदीसति प १।४८।२५ से २६ पदीसती ५१।४८।१८,२४ पदेस ( प्रदेश ) प १३,४, २१६४११, ११, ३ १२४, Jain Education International ६७१ १८०,१८२५ १२४, १२५, १३१, १६१, १७७, १७६,१६३,२१६,२१८, १०१२, ४, ५,१८,१६, २१ से २३,२५,२६; १२ ३०, ५३, ५७; १७।११४|१, २२।५८,७६, २८१५, ५१ ज २६५; ४|१४३ सू १६/२६ पदेसघण ( प्रदेशघन ) प २२६४१५ पदेसता ( प्रदेशार्थ ) प ३१११६ से १२०, १२२ पदेसया ( प्रदेशार्थं ) प ३।११५, ११६, १२०,१२२, १७६ से १८२५१५, ७, १०, १४, १६, १८, २०, ३०, ३२,३४,३७,४१,४५,४६,५३,५६,५६,६३,७१, ७४,८३,८६,६३,६७, १०१, १०४, १०७,१११, ११६,१२६,१३१,१३४, १४५, १६६, १७२, १७४, १७७, १८१,१८४, १८७, १६०, २०३, २०७,२११,२२४,२२८, २३२,२३४, २३७, २३६; १०१३, ४, ५. २६, २७ १७ १४४, १४६ ; २१११०४ पदेसणामणिहत्ता उय ( प्रदेशनामनिधत्तायुष्क ) प ६११८ पणामनिहताय ( प्रदेशनामनिधत्तायुष्क ) प ६।११६१२२ √ पधार ( प्र + धृ) पधारेइ ज ५।७२, ७३ पवारेति प २२/४ पघात (प्रधौत) ज ३।१०६ पन्नरस ( पञ्चदशन् ) प १८४ पन्चरसविह (पञ्चदशविध ) प ११२१६।३६ पप ( प्राप्य ) प १६४६; १७३११५ से १२२, १४८, १५४; २३३१३ से २३:२८ । १०५; ३४।१६ पपडमोदय ( पर्पटमोदक ) प १७३१३५ पप्पडमोयय ( पर्पटमोदक ) ज २।१७ पफ्फुल ( प्रफुल्ल ) ज ४३, २५ पन्भट्ठ ( प्रभ्रष्ट ) ज ३११२,८८,५७,५८ पकभार ( प्राग्भार ) प २ ।१ ज ३८८ १०६ उ ११२७, १४० ५१५ पकर ( प्रभङ्कर) सू २०१८,२०२८१७ पभंकरा ( प्रभङ्करा ) ज ४।२०२; ७११८३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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