Book Title: Agam 22 Upang 11 Pushpachulika  Sutra Puffachuliyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 354
________________ समकिरिय-समय समकिरिय (समक्रिय ) प १७ १ १,१७११०, ११,२१ समक्खेत ( समक्षेत्र ) सू १०४,५ समग ( समक) प १६।५२ ज ११२३, २५, ३२; ३७८७ ११२२ सू १०।१२६११, २ समय (समग्र) ज ३१२२१,४१३५,३७,४२,७१, ७७,६०,६४,१७४,१८३, २६२,६।१९ से २२; म २०१७ समचक्कोणसंठित (समचतुष्कोणसंस्थित) सृ ११२५, ४२ समचउरंस (समचतुरस्र ) प २१३०; १५११६, ३५; २११२६,३१,३२,३६,६१,७३,२३१४६ ज ११५ ; २११६,४७,८६,७११६७ उ ११३ समचरं संठाणसंठिया ( समचतुरस्रसंस्थान संस्थित) सू ११५, २५ समचउरंससंठित ( समचतुरस्रसंस्थित) सु४।२; १०१७४ समचक्कवालसंठित (समचक्रवालसंस्थित) सू १।२५,४१२; १६१३,१३,१७,१६,२३ समजस ( समयशस् ) प २६० समजोगि ( समयोगिन् ) ज ५२५६ समज्जुतीय (समद्युतिक ) प २६० समट्ठे (समर्थ) प ११।११ से २०; १५/४४; १७११,३, ५.८, १०, १२, १४, १५, २४, १२३ से १२८,१३० से १३२,१३४,१३५, २०१२,३, १४ से १७,१६ से २५, २७ से ३०,३३,३४,४० से ४८, ५२, ५३, ५६,६०,२२७६,८०,८२,६२, ६४,६५;३०१२५;३६१८०,८१,८३,८८, ६२ ज २११७, १८, २१ से २३,२५,२८,३० से ३३, ३५ से ४०, ४२,४३,४९१०७ ७ १८४ सू १८/२२ समण (श्रमण ) प २३,६,६,१२,१५,२० से २७,६० से ६३;३।३६; १५।४३,४५,३६/७६,८१ ज ११५, ६, २ १६, १९ मे २१,२३, २५, २६, २८, ३० से ३३,३६.३० से ४३,४८,४६,५१, ५४,५६,६८,७२,७४,८२, १२१, १२६,१३०, Jain Education International १३८, १४०, १४६,१५४, १५६,१६०,१६३; ५५८७।१०१, १०२, १२६, २१४ च १० सू ११५८ ।१ २०१७ उ ११२, ४ से ८,१६, १७,१९ से २६,१४२, १४३, २११ से ३.१०, १२,१४,१५,२१,३११ से ३,७,८,१२,१६,२०, २२,२३,२६,३८,४०,४४,८७,८८,६१,६३, १५३, १५४, १६६ १६७,१७० ४ १ से ३,२७, ५१ से ३,३७,४४ समणी ( श्रमणी ) ज ७।२१४ उ ३ १०२, ११५, ११७,११८४।२२ १०६५ समणुगम्ममाण (समनुगम्यमान ) ज २१६४ समणोवास ( श्रमणोपासक ) ज २७६ उ ३८३ समणीवालय ( श्रमणोपासक ) उ ११२० १ ५ ३४ समवासिया ( श्रमणोपासिका) ज २७७ उ १।२०; ३१०५, १०६,१४४ समण्णाय ( समन्वागत ) ज ५१५ उ ११९३ समतल ( समतल ) ज ३३६५,१५६ समतिक्कत ( समतिक्रान्त ) प २२६७ समत्त ( समस्त ) प २।६४।१५ ज ३२१७५ उ ३1९१ समत (समाप्त) ज ३।१६७,४१२०० ५।५८; ७ १०१, १०२ १३ १०,१३,१४ से १६ उ १।१४८३।६१ समत्य (समर्थ) ज ३।१०६५।५ सू २०१७ सम्पज्जबसिय ( समपर्यवसित) सू १२११० से १२ समप्प (मं + अर्पय् ) समप्पेइ ज ३।१३८ : ४।३५, ३७,४२,७१,७७,६०,१७४, १८३, १८६, २६२; ६।२१ से २४ समप्पेंति ज ३६७,१६१; ६११६,२५,२६,४।६४ सू १०१५ समप्पेति सू १०१५ समबल ( समबल) प २६०,६३ समभिरूढ ( समभिरूढ ) प १६१४६ ज ३|१०६ समभिलोएमाण ( समभिलोकमान ) प १७३१०६ से १११ / समभिलोय ( सं -+ अभि + लोक् ) समभिलज्जा प १७ १०७,१०६,१११ समय (समय) प १।१३, १०३, १०६.१०७, १०६, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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