Book Title: Agam 13 Raipaseniyam Beiam Uvvangsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 58
________________ तए णं से पएसी राया कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलंते हद्वतुट्ठ जाव हियए जहेव कूणिए तहेव निग्गच्छइ-अंतेउर-परियालसद्धिं संपरिवडे पंचविहेणं अभिगमेणं वंदइ नमसइ एयमटुं भुज्जो-भुज्जो सम्मं विणएणं खामेइ । [७८] तए णं केसी कुमार-समणे पएसिस्स रण्णो सूरियकंतप्पमुहाणं देवीणं तीसे य महति-महालियाए महच्चपरिसाए जाव धम्म परिकहेइ । तए णं से पएसी राया धम्म सोच्चा निसम्म उट्ठाए उडेति केसिं कुमार-समणं वंदइ नमसइ जेणेव सेयविया नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं केसी कुमार-समणे पएसिं रायं एवं वयासी-मा णं तुमं पएसी पुव्विं रमणिज्जे भवित्ता पच्छा अरमणिज्जे भविज्जासि जहा- से वनसंडेइ वा नट्टसालाइ वा इक्खुवाडेइ वा खलवाडेइ वा, कहं णं भंते! वनसंडे पुव्विं रमणिज्जे भवित्ता पच्छा अरमणिज्जे भवति? पएसी! जया णं वनसंडे पत्तिए पुप्फिए फलिए हरियगरेरिज्जमाणे सिरीए अईव-अईव उवसोभेमाणे चिट्ठइ, तया णं वनसंडे रमणिज्जे भवति, जया णं वनसंडे नो पत्तिए नो पप्फिए नो फलिए नो हरियगरेरिज्जमाणे नो सिरीए अईव-अईव उवसोभेमाणे चिट्ठइ तया णं जुण्णे झडे परिसडिय-पंडुपत्ते सुक्करुक्खे इव मीलायमाणे चिट्ठइ, तया णं वणसंडे नो रमणिज्जे भवति । जया णं नट्टसाला गिज्जइ वाइज्जइ नच्चिज्जइ अभिणिज्जइ हसिज्झइ रमिज्जइ तया णं नदृसाला रमणिज्जा भवइजयाणं नट्टसाला नोगिज्जइ जावनो रमिज्जइ तयाणं नट्टसाला अरमणिज्जा भवइ । जया णं इक्खुवाडे छिज्जइ भिज्जइ लुज्जइ खज्जइ पिज्जइ दिज्जइ तया णं इक्खुवाडे रमणिज्जे भवइ जया णं इक्खुवाडे नो छिज्जइ जाव तया णं इक्खुवाडे अरमणिज्जे भवइ । जया णं खलवाडे उच्छुब्भइ उडुइज्जइ मलइज्जइ पुणिज्जइ खज्जइ पिज्जइ दिज्जइ तया णं खलवाडे रमणिज्जे भवति जया णं खलवाडे नो उच्छुब्भइ जाव अरमणिज्जे भवति, । से तेणेटेणं पएसी एवं वुच्चइ-मा णं तुमं पएसी पुट्विं रमणिज्जे भवित्ता पच्छा अरमणिज्जे भविज्जासि जहा- से वनसंडेइ वा जाव खलवाडेइ वा | तए णं पएसी केसि कुमार-समणं एवं वयासी-नो खल भंते! अहं पुव्विं रमणिज्जे भवित्ता पच्छा अरमणिज्जे भविस्सामि जहा- से वनसंडेइ वा जाव खलवाडेइ वा, अहं णं सेयबियापामोक्खाई सत्तगामसहस्साइं चत्तारि भागे करिस्सामि एग भागं बलवाहणस्स दलइस्सामि, एग भागं कोट्ठागारे छुभिस्सामि, एगं भागं अंतेउरस्स दलइस्सामि, एगेणं भागेणं महतिमहालियं कूडागारसालं करिस्सामि, तत्थ णं बहूहिं पुरिसेहिं दिण्ण-भइ-भत्त-वेयणेहिं विउलं असणं पाणं साइमं खाइमं उवक्खडावेत्ता बहूणं समण-माहण-भिक्खुयाणं पंथिय-पडियाणं परिभाएमाणे बहुहिं सीलव्वय-गुणव्वय-वेरमण-पच्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरिस्सामि त्ति कट्ट जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए | [७९] तएणं से पएसी राया कल्लं जाव तेयसा जलंते सेयवियापामोक्खाइं सत्तगामसहस्साई चत्तारि-भाए करेइ, एगं भागं बलवाहणस्स दलयइ जाव कूडागारसालं करेइ, तत्थ णं बहूहिं पुरिसेहिं जाव उवक्खडावेत्ता बहूणं समण जाव परिभाएमाणे विहरइ । [८०] तए णं से पएसी राया समणोवासए अभिगयजीवाजीवे० जाव विहरइ, जप्पभिई च सूत्तं-८० [दीपरत्नसागर संशोधितः] [57] [१३-रायपसेणिय

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