Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Artibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
Publisher: Guru Pran Prakashan Mumbai
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| शत-3 : देश-७
| ४८५ |
वग्गु णामं महाविमाणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! तस्स णं सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरेणं एवं जहा सोमस्स महाविमाण, रायहाणिवत्तव्वया तहा णेयव्वा जाव पासायवडेंसया । भावार्थ :- प्रश्न- हे भगवन् ! हेवेन्द्र वि२।४ सोपाल वैश्रम। भानुं नामनु महाविमान ध्यां छ?
ઉત્તર- હે ગૌતમ! સૌધર્માવલંસક નામના મહાવિમાનથી ઉત્તરમાં છે. તે વિમાન, તેની રાજધાની અને પ્રાસાદાવતંસક આદિનું સંપૂર્ણ વર્ણન સોમ મહારાજાના મહાવિમાનની સમાન જાણવું જોઈએ. | १२ सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो इमे देवा आणाउववाय वयण णिद्देसे चिट्ठति, तं जहा- वेसमणकाइया इ वा, वेसमण देवयकाइया इ वा, सुवण्णकुमारा सुवण्णकुमारीओ दीवकुमारा, दीवकुमारीओ दिसाकुमारा दिसाकुमारीओ वाणमंतरा, वाणमंतरीओ जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिआ जाव चिट्ठति ।
जंबूद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाइं इमाई समुप्पजंति, तं जहा- अयागरा इ वा, तउयागरा इ वा, तंबागरा इ वा, सीसागरा इ वा, हिरण्णागरा इवा, सुवण्णागरा इ वा, रयणागरा इ वा, वइरागरा इवा, वसुहारा इवा, हिरण्णवासा इवा, सुवण्णवासा इवा, रयणवासा इ वा, वइरवासा इ वा आभरणवासा इ वा, पत्तवासा इ वा, पुप्फवासा इ वा, फलवासा इ वा, बीयवासा इवा, मल्लवासा इ वा वणवासा इवा, चुण्णवासा इवा,गंधवासा इ वा, वत्थवासा इ वा; हिरण्णवुट्ठी इ वा, सुवण्णवुट्ठी इ वा, रयणवुट्ठी इ वा, वइरवुट्ठी इ वा, आभरणवुट्ठी इ वा, पत्तवुट्ठी इ वा, पुष्फवुट्ठी इ वा, फलवुट्ठी इ वा, बीयवुट्ठी इ वा, मल्लवुट्ठी इ वा, वण्णवुट्ठी इ वा, चुण्णवुट्ठी इ वा, गंधवुट्ठी इ वा, वत्थवुट्ठी इ वा, भायणवुट्ठी इ वा, खीरवुट्ठी इ वा; सुकाला इ वा, दुक्काला इ वा, अप्पग्घा इ वा, महग्घा इ वा, सुभिक्खा इ वा, दुब्भिक्खा इ वा, कयविक्कया इ वा, सण्णिही इ वा, सण्णिचया इ वा, णिही इ वा, णिहाणाई वा, चिरपोराणाई वा, पहीणसामियाई वा, पहीणसेउयाई वा, पहीणमग्गाणि वा पहीणगोत्तागाराई वा; उच्छण्णसामियाई वा; उच्छण्णसेउयाई वा; उच्छण्ण- गोत्तागाराइं वा, सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह
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