Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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२१४५ २०६८ २०६८
२।६८ उ०११३६
३।१७
कयाइ जाव णिच्चे
२।१२५ करयल०
६।१४२,१६०,१८६,११११४०,१४७ करयल जाव एवं
६।१८८११११३५,१४४ करयल जाव कट्ट
७२०३६।१४०:११०६१,१४३ करयल जाव कूणियस्स
७१७५ करयल जाव जएण
६४१८२ करयल जाव पडिसुणेत्ता
१८५ करयल जाव वद्धावेत्ता
६।२०१ करयलपरिगहियं
११११६८१५२१७४ करेइ जाव नमंसित्ता
२१६८,३१११२६।१५० करेइ.जाव पज्जुवासइ
२१४३ करेता जाव तिविहाए
२।६७६।१६२ करेता जाव नमंसित्ता
२२५२ कलहे जाव मिच्छा
१२।१०७ कल्लाण जाव दिट्ठ
११११४२ काइयाए जाव पहि
११३७१,१६।११७ काइयाए जाव पाणाइवाय०
५।१३४ काइयाए जाव पारिया०
११३७१ कालो य भावो य जहा लोयस तहा भाणियव्वा, तस्थ
રા૪૭ काल जाव करेज्जा
२४१४४ कालगहि जाव पव्वइहिसि
६।१७३ कालत्ते वा जाव लुक्खत्ते
१७।३५ कालस्स जाव देवसंसार जाव विसेसाहिए १।१११ कालायो जाव खिप्पामेव
६।१०२ कालोदायी जाव अप्पवेयण
७१२२७ किच्चा जाव उववन्ना
१०१५६ किच्चा जाव कहि
१४११०३,१०५ कुंथस्स य जाव कज्जइ
७११६३ कुंभकारीए जाव वीइवयामि
१५६७ कूडागारसालदिट्ठतो भाणियब्वो
३१२६ केणटेणं जाव अपरिग्गहा
५१५३ केणट्रेणं जाव अभक्खेया
१८१२१६ केणद्वेणं जाव इओ
११४६
६११४२ ६।१८२ २०६८ श१०
१११० ग्रो० सू० ६६
११० १३८४ ११.१३४ ११३६५ ३३१३४ ११३६५
२१४५
२४२७ ६१६६
१७।३३ १।१०३,१०८
६८५ ७।२२७ १०१४८ १४।१०१ ७११६३
१५१८२ राय०सू० १२३
५॥१८२ १८२१५ ११३४,४८
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