Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 1129
________________ १५ १५११६ १७१६२ १७१७ ११३६७,४०८ ६४ १६।६७ १३।१०४ १३।१०५ ३१६६ १५:११६ ८।१०३ ५११३५ श३६२ ६४ ११७ १७ ११७ ८.२५० गयतेए जाब विणतेए गयति वा जाव वसभपति गरुयत्ताए जाव पच्चोक्यमाणे गरुया जाव अगरुय° गाढीकयाइं जाव नो गामाणुगामं जाव जेणेव गामाणुगाम जाव विहरमाणे गामाणु जाव विहरमाणे गाहा एवं उववाएयव्वा गाहावइ जाव केइ गुणसिलामो जाव विहरद गुणोववेयं जाव ससि० गेण्हमाणा जाव अदिन्नं गेण्हमाणा जाव दिन्नं गेण्हह जाव प्रदिन्नं गेण्हह जाव दिन्नं गोत्तेणं जाव छटुंछटेणं गोयमा जाव प्रधयारे गोयमा जाव अणंतखुत्तो गोयमा जाव अत्थे गोयमा जाव चिद्वित्तए गोयमा जाव न गोयमा जाव न गोयमा जाव नवहा गोयमा जाव नो गोयमा जाव पच्चायाती गोयमा जाव परिणम गोयमा जाव भोगी गोयमा जाव समे गोयमा जाव सव्व० गोवरगं जाव पडिबुद्धे गोसालरस जाव करेत्तए गोसाला जाव नो गोसाले जाव करेत्तए १३।१०० ११११४६ पा२७६ पा२८० ८/२७७ ८२७६ १५६ ५।२३७ १२।१३६-१४१,१४७,१४६,१५१ १२३५४ १७।३३ ७७५ ७७७ १२।७६ ८१२३५ राह १११३३ ७१३६ ७.१५६ ११२०१ १६/११ १५६८ १५३१११ १५६८ प०६ ८.२४८ २०५६ ११।१३४ ८।२७६ ८।२७६ पा२७६ ८/२७६ ११९,२।१०६ ५१२३७ १२।१३४ ११३५४ १७१३३ ७.७५ ७७७ १२७४ ८।२३५ २९ १११३३ ७।१३६ ७.१५६ १।२०१ १६।६१ १५१८ १५१०४ १५९८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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