Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
________________
२४।२०५ २५॥१८
२४८ १।१०८ १३१५३ ११३५७ १३।६१
११३७४ १३१६८
८३ ८१८ ६।१३१,१३२ का३६० १२२१
पुच्छा पुच्छा पुच्छा जहा अग्गेयीए पुट्ठाइ जाव नो पुढे जाव अणतेहि पुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया जाव वणस्सइ०
पुढविकाइय जाव परिणया पुढविक्काइया जाव उववज्जति ०पुढवि जाव बंधे पुढवीए जाव एगमेगंसि पुष्फिया जाव चिटुति पुरंदरं जाव दस पुरत्याभिमुहे जाव अंजलि पुरिसे जाव अप्पवेयण पुरिसे जाव पंचिहि पूश्वरत्तावरत्तकालसमयंसि जाव किंसंठिया पुवरत्तावरत्त जाव जागर० पूव्वि भंते लोयते पच्छा सव्वद्धा पेते जाव अगाणुपुची पोग्गला जाव दुहा पोग्गला जाव नो पोग्गलाणं जाव सव्वपज्जवाण पोमाले जाव दिकुव्वइ पोराणाण जाव एगंतसोक्खय पोरेवच्चं जाव कारेमाणे पोसहसालाए जाव विहरिए पोसहियस्स जाव विहरित्तए फरिसे जाव पंचविहे फासेत्ता जाव आराहेत्ता बंधइ जाव नो नपुंसगो बंभचारी जाव पक्खिय बंभचारी जाब विहरह
३।१०६ ७।२०४ ७/२२७ १1३६६ १५११३२ २०६७ श२९६-३०१ ११२६७ १२।७७
११४३७
८.१८ ६।१२८ ८।३६० ११२१६
७२६३ उवा० २।४०
७।२०३ ७१२२६
११३६५ १५५१२८
२०६६ १२२६७ १।२६० १२।७० १६१५५
प०३
७।९१६ ३१३३
२५॥१०० ७:१६६ १११५६ १३.१०२ १२:१८ १२।१३ १२।१२८ २१५६ ८।३०४ १२।६ १।११
१०८
१२॥६ ओ०सू०१५
२१५६ ८।३०४ १२।६ १२१६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 1143 1144 1145 1146 1147 1148 1149 1150 1151 1152 1153 1154 1155 1156 1157 1158