Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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ભવિષ્યકાલકે બલદેવ વાસુદેવકે માતાપિતાને નામકાકથન
शा---(जंबूद्दीवेणं दीवे) जम्बूद्वीपे खलु द्वीपे-द्री५ नामना मा दा५मा (भारहे वासे) भारते वर्ष-भारत मां (आगमिस्साए उस्सप्पिणीए) आगमिष्यन्त्यामुत्सर्पिण्यां-भाभी Satell imमा (नव बलदेव वासुदेव पियरो भविस्संति) नव बलदेव-वासुदेवपितरो भविष्यन्ति-नव महेय भने न4 पासुहेवना न पिता थशे. (नव वासुदेवमायरो भविस्संति) नव वासुदेवमातरो भविष्यन्ति-नवासुदेवानी नवमातामा थशे. (नव बलदेव मायरो भविस्संति) नव बलदेवमायरो भविष्यन्ति-नवजवानी नव भाता। थशे. (नव दसारमंडला भविस्संति) नब दशाहमण्डलानि भवि. व्यन्ति-मा शते न मोव मने नासुदेवना न भ31 थशे-मेटसे मे। महेव मने मे पामुद्देव, मेम मोना नव युगल थशे. (उत्तमपुरिसा, मज्झिम पुरिसा, पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसी एवं सोचेव चण्णओ भाणियब्वो जावनीलग पीयगवसणा दुवे दुवे रामकेसवा भायरो भविस्संति) उत्तमपुरुषाः मध्यमपुरिषाः प्रधानपुरुषाः ओजस्विनः तेजस्विनः एवं स एव वर्णको भणितव्यः यावत नीलकपीतकवसना द्वौ द्वौ रामकेशवौ भ्रातरो भविष्यन्तिसा मां पाना अथ सूत्र २१3 Hi माथी हात छ. (तंजहा) तबधा-तेमनां नाम मा प्रमाणे शे-(नंदेय नंदमित्ते दीहबाहू तहा महाबाहू, अइबले महाबले बलभद्दे य सत्तमे दुविट्ठ य तिविट्ठय) नन्दश्च नन्दमित्रो दीर्घबाहु स्तथा महाबाहुः अतिबलो महाबलो बलभद्रश्च सप्तमः द्विपृष्ठश्च त्रिपृष्ठ-(१) नन्ह. (२) नन्हभित्र, (3) ही माई, (४) मडामाई (५) मतिमस (6) भडामला, (७) मद्र, (८) द्विY४ अने () त्रिY8. (आगमिस्साण विण्हणो) आगमिष्यन्तः खलु विष्णवः-भागामी 10i S५न्न थन।२। विना-वासुदेवाना ते नाभी .(जयंते विजये भद्दे सुप्पभे य सुदंसणे आणदे नंदणे पउमे संकरिसणे य अपच्छिमे) जयन्तो विजयो भद्रः सुप्रभश्च सुदर्शनः आनन्दो नन्दनः पद्मः सर्षणश्च अपश्चिमः-(१) यत, (२) विय, (3) मद्र, (४) सुप्रभ, (५) सुशन, (६) मानं ६ (७) नंदन, (८) ५५ भने छेदमा ४५९, मे नए मामी म मो थशे. (ए ए सि णं नवण्हं बलदेल-वासु
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
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