Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
View full book text ________________
समवायांग सूत्र राइणियस्स आसण्णं ठिच्चा भवइ, आसायणा सेहस्स । ५. सेहे रायणियस्स पुरओ ठिच्चा भवइ, आसायणा सेहस्स । ६. सेहे रायणियस्स सपक्खं ठिच्चा भवइ, आसायणा सेहस्स । ७. सेरे रायणियस्स आसण्णं णिसीईत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स। ८. सेहे रायणियस्स पुरओ णिसीइत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स | ९. सेहे रायणियस्स सपक्खं णिसीइत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स । १०. सेहे रायणियस्स सद्धिं बहिया वियारभूमि णिक्खंते समाणे पुव्वामेव सेहतराए आगच्छड़ पच्छा रायणिए, आसायणा सेहस्स | ११. सेहे रायणिए सद्धिं बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा णिक्खंते समाणे तत्थ पुव्वामेव सेहतराए आलोएइ पच्छा रायणिए, आसायणा सेहस्स । १२. सेहे रायणियस्स राओ वा वियाले वा वाहरमाणस्स अज्जो ! के सुत्ते? के जागरे? तत्थ सेहे जागरमाणे रायणियस्स अपडिसुणेत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स ।१३. केइ रायणियस्स पुव्वं संलवित्तए सिया, तं सेहे पुव्वतरागं आलवेइ पच्छा रायणिए, आसायणा सेहस्स | १४. सेहे असणं वा पाणं वा खाइम वा साइमं वा पडिगाहेत्ता तं पुव्वमेव सेहतरागस्स आलोएइ, पच्छा रायणियस्स, आसायणा सेहस्स | १५. सेहे असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहेत्ता तं पव्वमेव सेहतरागस्स उवदंसेति, पच्छा रायणियस्स, आसायणा सेहस्स। १६. सेहे असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहेत्ता तं पुव्वामेव सेहतरागं उवणिमंतेइ, पच्छा रायणियं, आसायणा सेहस्स | १७. सेहे रायणिएण सद्धिं असणं वा पाणं वा खाइमं साइमं वा पडिगाहेत्ता तं रायणियं अणापुच्छित्ता जस्स-जस्स इच्छइ तस्स-तस्स खद्धं-खद्धं दलयइ, आसायणा सेहस्स | १८. सेहे असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहेत्ता रायणिएण सद्धिं आहरेमाणे तत्थ सेहे खद्धं-खद्धं, डायं-डायं, ऊसढं-ऊसढं, रसियं-रसियं, मणुण्णं-मणुण्णं, मणाम-मणामं, णिद्धं-णिद्धं, लुक्खं-लुक्खं आहरेत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स | १९. सेहे रायणियस्स वाहरमाणस्स अपडिसणेत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स। २०. सेहे रायणियस्स खद्धं- खद्धं वत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स। २१. सेहे रायणियस्स 'किं' ति वइत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स | २२. सेहे रायणियं 'तुम' ति वत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स | २३. सेहे रायणियं तज्जाएण-तज्जाएण पडिभणित्ता भवइ, आसायणा सेहस्स।
२४. सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स 'इति एवं ति वत्ता ण भवइ, आसायणा सेहस्स। २५. सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स 'णो सुमरसी' ति वत्ता भवति, आसायणा सेहस्स | २६. सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स कहं अच्छिंदित्ता भवइ, असायणा सेहस्स। २७. सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स परिसं भेत्ता भवइ, आसायणा सेहस्स | २८. सेहे रायणियस्स कहं कहेमाणस्स तीसे परिसाए अणुट्टियाए अभिण्णाए अवुच्छिण्णाए अव्वोगडाए दोच्चं पि तमेव कहं कहित्ता भवइ, आसायणा सेहस्स | २९. सेहे रायणियस्स सेज्जा-संथारगं पाएणं संघट्टित्ता, हत्थेणं अणणुण्णवित्ता गच्छइ, आसायणा सेहस्स | ३०. सेहे रायणियस्स सेज्जा-संथारए चिट्ठित्ता वा णिसीइत्ता वा तुयट्टित्ता वा भवइ, आसायणा सेहस्स |
36
Loading... Page Navigation 1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95