Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 52
________________ | १७ |१८ १९ १ २ समवायांग सूत्र एगूणसट्ठिइमो समवाओ चंदस्स णं संवच्छरस्स एगमेगे उऊ एगूणसट्ठि राइंदियाइं राइंदियग्गेणं पण्णत्ते । संभवे णं अरहा एगूणसट्ठि पुव्वसयसहस्साइं अगारमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए । मल्लिस णं अरहओ एगूणसट्ठि ओहिणाणिसया होत्था । सद्विमो समवाओ एगमेगे णं मंडले सूरिए सट्ठिए सट्ठिए मुहुत्तेहिं संधाए । लवण्णस्स णं समुद्दस्स सट्ठि णागसाहस्सीओ अग्गोदयं धारंति । विमले णं अरहा सट्ठि धणूई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था । बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स सट्ठि सामाणियसाहस्सीओ पण्णत्ताओ । बंभस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सट्ठि सामाणियसाहस्सीओ पण्णत्ताओ । सोहम्मीसाणेसु दोसु कप्पेसु सट्ठि विमाणावास सयसहस्सा पण्णत्ता । एगसट्ठिमो समवाओ पंचसंवच्छरियस्स णं जुगस्स रिउमासेणं मिज्जमाणस्स इगसट्ठि उउमासा पण्णत्ता । मंदरस्स णं पव्वयस्स पढमे कंडे एगसट्ठिजोयणसहस्साई उड्ढं उच्चत्तेणं पण्णत्ते । चंदमंडले णं एगसट्ठि विभागविभाइए समंसे पण्णत्ते । एवं सूरस्स वि । बावट्ठमो समवाओ पंच संवच्छरिए णं जुगे बावट्ठि पुण्णिमाओ बावट्ठि अमावसाओ पण्णत्ताओ। वासुपुज्जस्स णं अरहओ बावट्ठि गणा, बावट्ठि गणहरा होत्था । सुक्कपक्खस्स णं चंदे बावट्ठि भागे दिवसे दिवसे परिवड्ढइ । ते चेव बहुलपक्खे दिवसे दिवसे परिहायइ । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु पढमे पत्थडे पढमावलियाए एगामेगाए दिसाए बावट्ठि विमाणा पण्णत्ता। सव्वे वेमाणियाणं बावट्ठि विमाणपत्थडा पत्थडग्गेणं पण्णत्ता | 46

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