Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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समवायांग सूत्र इमीसे णं रयणप्पभाए पढवीए वइरकंडस्स उवरिल्लाओ चरिमंताओ लोहियक्खकंडस्स हेढिल्ले चरिमंते एस णं तिण्णि जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ॥३०००॥
तिगिच्छ-केसरिदहा य चत्तारि-चत्तारि जोयणसहस्साइं आयामेणं पण्णत्ता ॥४०००॥ १८ | धरणितले मंदरस्स णं पव्वयस्स बहुमज्झदेसभाए रुयगणाभीओ चउदिसिं पंच-पंच जोयणसहस्साई
अबाहाए अंतरे मंदरपव्वए पण्णत्ते ॥५०००॥
सहस्सारे णं कप्पे छ विमाणावाससहस्सा पण्णत्ता | ||६०००॥ २० | इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए रयणस्स कंडस्स उवरिल्लाओ चरिमंताओ पुलगस्स कंडस्स हेट्ठिले
चरिमंते एस णं सत्त जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ॥७०००॥
हरिवास-रम्मया णं वासा अट्ठ अट्ठ जोयणसहस्साइं साइरेगाइं वित्थरेण पण्णत्ता ॥८०००||
दाहिणड्ढभरहस्स णं जीवा पाईण-पडीणायया दुहओ समुदं पुट्ठा णव जोयणसहस्साइं आयामेणं पण्णत्ता | अजियस्स णं अरहओ साइरेगाई णव ओहिणाणी सहस्साई होत्था ॥९०००॥ मंदरे णं पव्वए धरणितले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं पण्णत्ते ॥१००००॥ जम्बूदीवे णं दीवे एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं पण्णत्ते ॥१०००००॥ लवणे णं समुद्दे दो जोयणसयसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं पण्णत्ते ॥२०००००॥
पासस्स णं अरहओ तिण्णि सयसाहस्सीओ सत्तावीसं च सहस्साइं उक्कोसिया सावियासंपया होत्था | ||३२७०००॥
धायइखंडे णं दीवे चत्तारि जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं पण्णत्ते । ॥४०००००॥ लवणस्स णं समुद्दस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरिमंताओ पच्चच्छिमिल्ले चरिमंते एस णं पंच जोयणसयसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ॥५०००००॥
भरहे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी छ पुव्वसयसहस्साइं रायमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए ॥६०००००|| जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स पुरच्छिमिल्लाओ वेइयंताओ धायइखंड चक्कवालस्स पच्चच्छिमिल्ले चरिमंते सत्त जोयणसयसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ॥७०००००॥ माहिंदे णं कप्पे अट्ठ विमाणावास सयसहस्साइं पण्णत्ताइं । ॥८०००००॥
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