Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Sthanakvasi Jain Conference

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Page 3
________________ आमुख श्री हंसराज जिनागम विद्या प्रचारक फंड ग्रंथमाला का यह तीसरा पुप्प जनता की सेवा में प्रस्तुत है । प्रथम के दोनों ग्रन्थ उत्तराध्ययन . सूत्र और दशवकालिक सूत्र के अनुवाद हैं । यह ग्रन्थ सुयगडांग सूत्र का छायानुवाद हैं। प्रथम के दोनों ग्रन्थ मूल सूत्र के शब्दशः अनुवाद हैं। यह ग्रन्थ उससे भिन्न कोटि का है । मूल ग्रन्थ के विपयों का स्वतंत्र शैली से इसमें संपादन किया गया है, मूल ग्रन्थ की संपूर्ण छाया प्रामाणिक स्वरूप में रखने का पूर्ण प्रयत्न किया गया है। फिर भी अपने प्राचीन अमूल्य परम्परागत शास्त्रों को आज समाजगत करने के लिये शैली भेद करना आवश्यक है। इस प्रकार करने से स्वाभाविक रूप से ग्रंथ में संक्षेप हो गया है इसके साथ ही विपयों का निरुपण भी क्रमवद्ध हो गया है और पिष्टपेषण भी नहीं हुआ है । तत्त्वज्ञान जैसे गहन विषय को भी सर्व साधारण सरलता से समझ सके इसलिये भाषा सरल रक्खी गई है। ऐसे भाववाही अनुवादों से ही जनता में प्रचार हो सकता है। यह ग्रन्थ मूल गुजराती पुस्तक का अनुवाद है । गुजराती भापा . के संपादक श्री गोपालदास जीवाभाई पटेल जैन तत्त्वज्ञान के अच्छे विद्वान् है और श्री पूंजाभाई जन ग्रन्थ माला में यह और इसी प्रकार की अन्य पुस्तक भी प्रकाशित हुई हैं। श्री पूंजाभाई जैन ग्रन्थ माला की कार्यवाहक समितिने इस ____ ग्रन्थ के अनुवाद करने की अनुमति दी, उसके लिये उसका श्राभार . मानता हूं। इसके बाद इसी ग्रन्थमाला की द्वितीय पुस्तक " श्री .. महावीर स्वामीनो याचार धर्म" जो श्री प्राचारांग सूत्र का छायानुवाद है, उसका हिन्दी अनुवाद प्रकट किया जायगा । . सेवक . बम्बई । ला. २५-२-१९३८ चिमनलाल चकुभाई शाह . सहमंत्री श्री अ. भा. श्वे. स्था. जैन कॉन्फरन्स

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