Book Title: Adya Panchashaka Curni
Author(s): Haribhadrasuri, Yashodevsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 10
________________ श्रावकधर्म पञ्चाशक चूर्णिः । ॥ १० ॥ Jain Education Int पण, आवा 'सावगधम्मउवयेस', 'देसविरइधम्मउवयेस ' अने ' यति-साहू -मुनि- महाव्रतचारितधम्मउवयेस ' तथा ' सव्वविरइधम्मउवयेस 'ना सर्व ग्रन्थो; जेने आजे जरामात्र पण श्रावकवर्ग या ऊगतो नवीन साधुवर्ग स्पर्शी शके नहि एवी, पाइय-प्राकृत-मागधी- अर्धमागधी भाषाओमां कंडारेला ज रह्यां छे. संसार निस्तारना अभिलाषी श्रावक अने यतिवर्ग माटे आवा ग्रन्थोनुं गुजराती या हिन्दी भाषामां संपूर्णपणे रूपांतर आजे थवुं ज जोइए एम मारुं हृदय पोकारी रह्युं छे. आजना सर्वभक्षी तांडव काळमां आवुं कार्य कोई एक वे व्यक्ति ज करी शके एवो संभव तो घणो ज ओछो छे. परंतु जे जे उपाश्रय आदि स्थानोमां ज्ञानखातामां खर्चवानुं द्रव्य एकत्र थयुं होय ते ते स्थानना अधिकारीओ, थोडीक; स्वयं स्थाननी मूर्च्छा ओछी करीने; आवा रूपांतरो माटे एक इलायदुं ट्रस्ट फंड स्थापी ते द्वारा योग्य ज्ञानीओ पासे रूपांतर करावी प्रसिद्ध करे तो घणा भविजीवोने लाभ थवानो पूरेपूरो संभव छे एवं मारुं नम्रपणे मानवुं छे ज. वि० सं० २००८ फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी, सोमवार मुंबई ता. १० मी मार्च १९५२. भवदीय मोतीचंद मगनभाई चोकसी मानाई मेनेजींग ट्रस्टी पोते अने अन्य ट्रस्टीओ वती. For Private & Personal Use Only 966 मुखबन्ध । ॥ १० ॥ www.jaihelibrary.org

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