Book Title: Adhyatma ke Pariparshwa me
Author(s): Nizamuddin
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 204
________________ अणुव्रत आन्दालन और विश्व शान्ति अमुव्रत आन्दोलन जीवन-मूल्यों का प्रवक्ता है। उसका कार्य-क्षेत्र देशकाल का अतिक्रमण कर भारत से बाहर विश्व के अन्य देशों में फैल सकता है। उसे आज के संदर्भ में जितना उपयोगी, लाभान्वित करने वाला पाते हैं आने वाले कल के संदर्भ में भी उसको उतना ही उपयोगी और सबको लाभान्वित करने वाला पायेंगे। उसके मूल्य शाश्वत हैं; वे सार्वभौमिक अर्थवत्ता लिये हैं। उसका क्षेत्र सीमित नहीं व्यापक और विस्तृत है। वह आन्दोलन किसी विशेष सम्प्रदाय या धर्म से जुड़ा हुआ नहीं, वह मानव धर्म से जुड़ा है, मानव-सम्प्रदाय से जुड़ा है। आज विश्व का वातावरण तनावग्रस्त है, हिंसोन्मुख है, प्रतिद्वन्द्वता से ग्रस्त है, अहं की तुष्टि में डूबा अन्य को हेय देखता है । दूसरों को मार कर---आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक दृष्टि से पराभूत करके हर देश अपना वर्चस्व दिखाना चाहता है, अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है; चाहे अपरोक्ष रूप में ही सही। समाज में सही मानदण्डों का विकास हो, मानवधर्म का प्रचार हो, भावनात्मक एकता का अधिकाधिक विकास हो, साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़े, सह-अस्तित्व तथा सहनशीलता को व्यापक आयाम मिले यह अणुव्रत आन्दोलन चाहता है । अणुव्रत आन्दोलन यह भी चाहता है कि संसार भयमुक्त हो, सत्यनिष्ठ बने संयम-शक्ति का, साधनों की शुद्धता का समुचित विकास हो। __ अणुव्रत आन्दोलन को अन्तर्राष्ट्रीय आयाम देने की जरूरत है। हम उसके छतनारवृक्ष को इतना आचरण का पानी दें कि उसकी शाखाएं दूर-दूर तक फैलें और मानव के झुलसते-तपते शरीर को शीतलता प्रदान करे, पशुपक्षियों को भी वहां शरण मिले, जीव-जन्तु वहां निर्भय विहार कर सकें। हमारा बिगड़ता माहौल शुद्ध और पवित्र हो, न केवल जल-वायु ही शुद्ध हो बल्कि मन भी शुद्ध हो। हम कितने प्रकार के प्रदूषणों से आक्रान्त हैं। गलीकूचे, नगर-महानगर ही प्रदूषित नहीं उसमें रहने वाले मनुष्य भी प्रदूषित हैं। वृक्षारोपण कर माहौल को शुद्ध बनाया जा सकता है, सफाई-अभियान चलाकर, ट्रैफिक वीक मनाकर वातावरण को कुछ साफ किया जा सकता है। परन्तु ऐसा कौन-सा उपाय है जिससे हमारा माहौल न बिगड़े, वह पाकसाफ और संतुलित रहे, ‘इकोलोजिकल इम्बेलेंस' का प्रश्न ही उत्पन्न न हो। विश्व में भय, तनाव, हिंसा, आतंक न रहे। एक देश में आतंक है तो दूसरे देश को उसमें घसीटा जाता है कि पड़ोसी देश उनके यहां आतंक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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