Book Title: Adhyatma Vani
Author(s): Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai
Publisher: Taran Taran Jain Tirthkshetra Nisai

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Page 2
________________ : वन्दे श्री गुरू तारणम् : श्री तारण तरणअध्यात्मवाणीजी "श्री तारण तरण अध्यात्मवाणी जी ग्रंथ सोलहवीं शताब्दी में हुए महान क्रांतिकारी संत आचार्य प्रवर श्रीमद् जिन तारण तरण मंडलाचार्य जी महाराज द्वारा रचित चौदह ग्रंथों का संग्रह है। इस ग्रंथ की प्रत्येक गाथा में आचार्य देव ने मानव मात्र के लिये आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। ग्रंथ में आगम, अध्यात्म, सिद्धांत, स्वानुभव, आत्म साधना, चारों अनुयोगों से संबंधित विषय वस्तु का विस्तृत विवेचन किया गया है। अखिल भारतीय तारण समाज की श्रद्धा का केन्द्र यह ग्रंथ श्री चैत्यालय जी की वेदियों पर विराजमान किया जाता है। तथा महिमा पूर्वक वाचन स्वाध्याय किया जाता है। मानव मात्र के जीवन को अध्यात्म साधना, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र से अलंकृत करने वाला यह महान ग्रंथ सृजित कर आचार्य देव ने हम सभी भव्यात्माओं पर महान-महान उपकार किया है।" %89%B8%B8%8*83%B3%83% जय तारण तरण 發發發發發發醫醫醫發發發發器樂器樂醫醫醫验

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