Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 02
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 4
________________ श्रीआचा. राजवृत्तिः (शीलाका.) मुनिराजश्री कमलयशविजयजी म० ए पोताना पुत्रने १८ वर्षनी उमरे दीक्षा अपाची जे पू० पं० श्री स्थूलभद्रविजयजी गणिवर तरीके विचरे के अने पोते वि० सं० २०३१ महा सुद १२ ना ६८ वर्षनी उमरे राधनपुरमा भव्य महोत्सव साथे दीक्षा लइ पू० पाद आचार्यदेव श्री विजयविक्रमसूरीश्वरजी महाराजना शिष्य बनी आत्मलक्षी बनी भव्य आराधना करी रह्या छ। ॥४॥ फागण सुद १० सोमवार हा. वि. प्रो. तपगच्छ जैन उपाश्रय ४५, दिग्विजय प्लॉट जामगनर लि. हालारदेशोद्धारक पूज्य आचार्यदेव श्री विजयामृतसूरीश्वर विनेय । पं० जिनेन्द्रविजय गणी ॥४॥

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