Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 02
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 14
________________ १४॥ पत्र पंक्तिः अशुद्ध ७३४ । मेहुणधमं मेहुणधम्म ७३८ ४ पुज •पुजेसु ७४० २ (वक्कयकम्मंताणि) वंक्कयकम्मंताणि ७४० १२ पण्यापणा पण्यापणा: ७४. १४ विविक्तिगृह विविक्तगृह ७४५ ७ नो खलु नो य खलु ७४६ ७ सर्वज्ञ सर्वत्र ७४६ ७ गुण नां ७४७ ५ संस्ता कस्तव संस्तारकस्तत्र ७५० १२ उवस्ययं । उवस्सयं ७५२६ मेहणधस्म मेहुणधर्म ७६३ १ तृणफलवडगलक तृणफलकडगलक भस्मात्रकादि. भस्ममात्रकादि० ७६३ ११ वासावसं वासावासं ७६७ १३ संथरमाणेणि संथरमाणेहि ७७७ १३ गवाह गहाय पत्र पंक्तिः अशुद्ध ७८१६ से सदि ७८१ १० पडिवहिया ७८३ ६ पडिपहिया ७८५१ नवोन्मार्गेण ७८५ ११ व . ७८६ ७. .च्छिद्य याव. ७६६ ३ भाषते ७६६ १० पायच्चिनेत्ति ७९८ १०दर्शनायादिकां ८०२ ३. 'ठालानि' ८०३ १. तिबेमि ८०४.६ निष्पनं, ८०५ ५. अहं . ८०८ ९ विभूषितन ८१३ १३. चत्वारी ८१७ ६ नवरं पत्र सद्धि पाडिवहिया पारिपहिया न्लेवोन्मार्गेण वा. च्छिन्युर्याव. भाषेत पायच्छिन्नेति दर्शनीयादिकां 'टालानि त्तिबेमि ॥ सू०१४० निष्पन्नं गुणानां मह विभूषितानि चत्वारो नवरं तत्र ।।१४।।

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