Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 02
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 13
________________ ॥ १३॥ पत्र पंक्ति: 'अशुद्ध ६०१ १ बीजण्हणेन ६१० ६ प्राश्वनाथ० ६१२ ७ काष्ठानि ६१७ ६ सकृद्वा६१७ मुख्यत्ययेन ६१८ २ दुप्रालसमेण ६२१ १४ त्रिलोक्यामस्कन्दन्तं ६२४ १ क्रयैव ६२६ १० हीउ ६३१ ३ तुम्भाट्ठाए ८विधा० ६३२ ६३२ ०वाक्कय • ६३३ ७ पञ्चमा ६३४ १२ भिक्षुणि ६४१ २ ० हयति० ६४१ ३ - भिक्षु० शुद्ध बीजग्रहणेन पार्श्वनाथ • काष्ठानि च सकृद्व्यासुब्व्यत्ययेन दुवालसमेण त्रिलोक्यामास्कन्दन्तं क्रियैव होउ तुम्भट्ठाए द्विधा ०वाक्काय० पचमी भिक्षुणी गृहपति ० -स भिक्षु० पत्र पंक्ति ६४१ १४ ताप्य० ६५० ११ सत्षु ६५२ ८ नास्मिान् ६५३ ४ सोलुपतया ६५३ १४ ६५७ ६६४ १२ मा ६६७ १२ पिंडयायं ६८५ ३ चामम० अशुद्ध ६६२ ६ त्वभेरेदं ६९४ ५ विधीयन्त ७०४ ५ अपकम्य ७०५ ८ कालेन नु० ७२३ ७३० ७०८ २ दा २ ० प्रतेशे •मेतत्प्रति० ६ क्षद्रद्वारा: तस्थि० ६ शुद्ध नाप्य० सत्सु नास्मिन् लोलुपतया क्षुद्रद्वारा तत्थि० वा पिडवायं चायम० त्वमेवेदं विधीयन्त अपक्रम्य कालेनानु० वा २ प्रदेशे •मेतत्प्रति• ॥ १३ ॥

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