Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 02
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 11
________________ ॥ शुद्धिपत्रकम् ॥ ॥११॥ परिधास्यामि वैतत्सूत्रं पत्र पंक्तिः प्रशुद्ध ४५६ ५ षष्ठमध्ययने ४६४ ३ क्षक्षामप्येक ४६८ १४ ताल. ४६६ ११ विकलेन्द्रिायाणामपि ४७० ६ नृ कविधैः ४७२ ७ गरयस्यपि ४७७ १२ सट्ठव्वग्रो ४८३ १० अचेल ४८३ ११ कम्मक्यय. ४८४ ५ योषयितव्यं ४८४ ८ श्राविकादिकं ४८४ १. व्युण्कर्ष षष्ठाध्ययने क्षणमप्येक •तालु.. विकलेन्द्रियाणामपि नेकविधैः गरीयस्यपि सव्वो अचेले कम्मक्खय० झोषयितव्यं श्रावकादिकं व्युत्कर्ष पत्र पंक्ति। मशुद्ध ४८४ १० परिधास्यमि ४८४ १२ वेतत्सूत्रं ४८५ ११ भिसहते . ४८६ ५ एाणे ४६० ३ ०ऽव्यच्छेदे० ४६१ १२ र्शद्द० ४६८ २ पुतरेतदेवं ४६६६ स्मयमेव ५०१ २ लूगसा ५०२ २ परत्तद० ५०६ ५ गणिया ५०६ ११ आहारत् ऽधिसहते पाणे ०ऽव्यवच्छेदे० •दर्श० पुनरेतदेवं स्वयमेव लूसगा परदत्त गणिका आहारात् ॥ ११ ॥

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