Book Title: Abhaydan ki Katha Author(s): Vikrant Patni Publisher: Jain Chitrakatha View full book textPage 8
________________ उससे क्या होता हैं? यहां वही ठहरेगा, जिसे मैं चाहूंगा। अभयदान की कथा नहीं। जिसे यह नहीं मैं चाहूंगा,वही होगा। ठहरेगा। यही होगा! धर्मिल और देवलि का क्रोध बढ़ता गया। दोनों मारपीट करने लगे। दोनों में इतनी जबरदस्त मारपीट हुई कि दोनों ही मर गए। -25Page Navigation
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