Book Title: Abhaydan ki Katha
Author(s): Vikrant Patni
Publisher: Jain Chitrakatha

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Page 10
________________ अभयदान की कथा उन्हें देखकर,सुअर को अपना / पूर्व जन्म अगले दिन वह गुफा द्वार पर आकर बैठ गया।उस समय पूर्व जन्म याद हो आया। में मैंने भी मुनि मुनिराज उपदेश दे रहे थे। सेवा का वृत लिया था। मुनिराज के उपदेशों से मेरा कष्ट निवारण होगया। किंतु तभी उसे दर से शेर की गन्ध आयी। तो इसका अर्थ है किधर्मिल जो शेरका रूप है। उसे यहां मनुष्य होने कीगन्ध लग गयी। 0000 2

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