Book Title: Abhaydan ki Katha Author(s): Vikrant Patni Publisher: Jain Chitrakatha View full book textPage 6
________________ अभयदान की कथा मुनिराज पेड़ के नीचे बैठ रहे। रात में उन्हें मच्छरों ने सवेरे देवलि धर्मशाला में आया तो मुनिराज को न देखबहुत काटा,पर वह शांत भाव से सब सहन करते रहे। | कर परेशान हुआ। मुनिराज कहां गए? कहीं वह नाराज होकर चले तो नहीं गए।पर ऐसा संभव नहीं लगता। TwimmSAINA MORE तभी मुनीमजी आए--- मुनीमजी!कल जो मुनिराज यहां ठहरे थे,वह अचानक कहां चले गए? स्वामी। क्या कह मेरे लिए तो आप भी स्वामी है और धर्मिल भी। कल शाम घमिल जी एक साधु के साथ आए थे। वह मुनिराज को देरखकर बहुत क्रोधित हुए! लेकिन क्यों? 23Page Navigation
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