Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 01
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 17
________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं H, मूलं -गाथा-], नियुक्ति: [४], भाष्यं । मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 प्रत HEIC अत्थो तं चेव अण्णमि काले पुणोऽनि संभरति, तत्थ जो सो उग्गहो तं अस्थालोयणं भण्णति, अत्थालोयणं णाम जे अत्थस्स अवग्रहाचा आवश्यक सामण्णण गहणं, सो य उग्गहो दुविहो-अत्थोग्गहो बंजणोग्गहो य, तत्थ अत्थोग्गहो छब्बिहो, तंजहा-सोइंदियअयोग्गहो । ५ मतिभेदाः चूर्णी चक्खुईदियअत्थोग्गहो पाणिदियअत्थो जिभिदियअत्थो० फासेंदियअत्यो जोइदियअत्थो०, बंजणोग्गहो पुण चउबिहो, तंजहाज्ञानानि सोइंदिपर्वजणोग्गही पाणिदिय जिम्भिदिय० फासिदिय । ईहाअवायधारणाओवि एवं चेव छव्विहाओ, चउबिहाओ ण भाणिय ब्बाओ ॥३॥ इयाणि एतेसिं उग्गहाईण चउण्हं दाराणं वित्थरतरएण कालस्स परूषणत्थं इमं गाहामुत्तं भण्णइ, तंजडा-... ॥११॥ उग्गह एक्कं समयं०॥४॥ एत्थ पुष्वं ता उग्गहस्स परूवणं करिस्सामि दोहिं दिट्ठतेहि, तंजहा-पडियोहगदिहृतण मल्लगदिढतेण य । से किं तं पडियोहगदितण?, २ से जहा नामए के पुरिसे सु पुरिस पडियोहिज्जा 'अम्मुया अनुय'ति, तत्थर चोदए पण्णवर्य एवं क्यासी-कि एगसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति दुसमय तिसमय जाच दससमय संखेम्जसमय. असंखेज्जसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति?, एवं वदंतं चोदयं पण्णवए एवं बयासी णो एगसमयपविठ्ठा पोग्गला गहणमागच्छति जाव णो संखेज्जसमयपयिट्ठा०, असंखेज्जसमयपविट्ठा पोग्गला गहणमागच्छति, जहा को दिटुंतो?, से जहा णाम एकेड द्र पुरिसे आवागसीसाओ मल्लग गहाय तत्थ एग उदयबिंदु पक्खिचिज्जा, से गढ, णहित्ति वा विगएत्ति वा अतथाभूपत्ति या एगट्ठा, अण्णं पक्षिवेज्जा, सेचि णद्वे, अण्णपि, सेवि गढे, एवं पक्खिप्पमाणेहिं २ होहिति से उदगार्षिदू जेणं तं मल्लगं रावहिति, होहिति से उदगचिंदू जे मल्लग पवाहेहित्ति, एवामेव कलंचुयापुष्फसंठियं सोईदियं तं जाहे अणंतेहि पोग्गलेहिं परितं भवति ताहे | दति करेइ, ण पुण जाणति केवि एस सहाति, एस एगसमहओ सोइंदियओग्गहो भण्णइ, ततो अंतोमुहुत्तियं ईहे पविसइ, जहा दीप अनुक्रम (17)

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