Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 01
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 19
________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं , मूलं [- /गाथा-], नियुक्ति: [४], भाष्यं ] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 प्रत चूणों HEIGE - इयाणि जिम्भिदियस्स उग्गहेहादीण परूवणा, से जहा णामए केइ पुरिसे खुरुप्पसंठागसंठिएणं जिभिदिएणं अव्वत्तं रसमासा- अपग्रहादाआवश्यक का एज्जा, ण पुण जाणइ-किमेस खीररसो' उदाहु अबस्स कस्सति दब्बस्सत्ति, सेस जहा सोइंदिपस्स तहेव अहीणमहरितं माणियच्वं ।।। नां क्रमः ट्रा प्राप्ताप्राप्तइदाणिं फासिदियस्स, से जहा णामए कई पुरिसे अणित्थत्थसंठापसंठिएणं फासिदिएण अन्यत्तं फास वेदिज्जा, ण पुग५ ज्ञानानि विषयता जाणइ-किमेस सप्पस्स फरिसो? उदाहु उप्पलणालस्सत्ति, सेसं जहा सोईदियस्स I . ॥१३॥ .. इयाणि पोइंदियस्स, से जहाणामए केइ पुरिसे अव्व सुमिणं पासेज्जा, ण पुण जाणति-किंपि मए दिट्ठति, ततो अंतोमुहुत्तियं इह पविसति, ततो जाणति अंतोमुहुत्तेण जहा देवे मए दिवोच, ततो अवातो, ततो धारणं पडइ, ततो धरेति मंखिज्ज असंखज्ज शवा काल, संखेज्जवासाउए संखेज कालं, असंखे० असंखे०, एस णोइंदियस्स अत्थोग्गहो । एयस्सवि वंजणोग्गहो णस्थित्ति । एत्थ सीसो आह-णो एस सम्वत्थ तरतमजोगो विज्जए, जहा पुब्बि उग्गहो ततो ईहा ततो अवाओ ततो धारण, आयरिओ &ाआह-कह, सीसो आइ-जहा कोइ कंचि पुरिसं सहसत्ति पासिज्जा, तंमि उग्गहादयो जुगवमुप्पज्जंति, आयरिओ आह-तंमिवि अस्थि चव, कहं , जहा उप्पलपत्तसतवेहे कालणाणतं अस्थि, अहवा सुहुमत्तणेण णज्जए जहा एककालमेव विद्धति, ण उब| रिछे पचे अविद्धे हेडिल्लस्स वेधो जुज्जए, एवं सहसति दिटे पुरिसे उग्गहादीण तरतमजोगो अस्थि चेव, ण पुण कालस्स सुहुम-18 चणेण जाणितुं सकिज्जतित्ति ।। ताण य इंदियाणि काणिइ पचविसयाणि काणिवि अपचविसयाणि, कई :हा पुढे सुणेइ सई० ॥१।। पुढे णाम फरिसितं, जाहे तं सोइंदियं अणंतेहिं सद्दपोग्गलेहि पूरियं भवति तदा सुणेइ, जं पुण पासति तं अपुढे, कहं , जइ पुढे पासिज्जा तो अग्गि दरट्टण णयणाणं दाहो भवेज्जा, मूलं वा दट्टण णयणाणं वेहो भवेज्जा । BREAKASHRSCRIHARAPRA दीप अनुक्रम CCC (19)

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