Book Title: Aagam 40 Aavashyak Choorni 01 Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: DeepratnasagarPage 21
________________ आगम (४०) “आवश्यक"- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं , मूलं - /गाथा-], नियुक्ति: [६,७], भाष्यं ] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 पत श्री आवश्यक "चूर्णी CHECIRC सत्राका ज्ञानानि ॥१५॥ समसेबीए सुोड तं मीसग सुणोतिति' बत्य पुण ताणि भासादस्वाणि कवरेण जोगेण मेहति । कतरेण वा णिसरतित्ति, भाषादव्यआयरिओ शाह ग्रहणादि गेण्हइ य काइएण॥७॥ मासालद्धीओ जीवो भासागहणपाउग्माणि दवाणि कायजोगेण घेत्तूण भासकाए परिणामउं वयजोगेण पिसिरति, णिसिरह णाम भासइचि बुत्तं भवति, सो पुण ताणि दुव्याणि एगंतरेण गेहति एक्कन्तरं च मिस्सिरचिति, ४ कई?, एमसमएण जया मासापोग्गलागहिया भवति तदा एगेण चव समएण णिसिरति, एवं गहणमिस्सिरण काउं कोइ तमि चेवद्वितो, | भवति, ठितिक्खयं वा करेज्जा, एवं गहणनिसिरणाणं कालो जहण्णेण दुसमइओ उक्कासेणं अंतोमुहुचितो, वे पुण अंतोमहत्तस्स समयादि असखेज्जा णायच्या, तेसु एक्कतरं गेण्हति णिसिरति य, कहं , जो भासंतो-जो उवरमति सो जीम समए णिस्सरति तमि व | समए भास भासतो अण्णाणि भासादवाणि पुणो गेण्हति, घेत्तूण य तइए समए णिसिरति, वाणिय वितियसमयमाहिताणि तइए समए णिसिरमाणो अण्णाणि भासादब्बाणि पुणो गण्डति, ताणि चउत्थे णिसरति, ताणि य तइयसमयगहियकाणि चउत्थे। समए णिसिरमाणो अण्णाण भासादब्याणि पुणो मेहति, वाणि पंचमे समए णिसरति, एवं सांतरं सवंत्तस्स परतरं मिस्सिर-19 तस्स य अभंतरेसु महुचस्व असंखेज्जा समया भवंति ॥७॥ जाणि पुण ताणि मासादब्वाणि गेण्डा काइएण जोगेण ताण पंचाई सरीराणं कतरेणं महविचिा, एत्थ भण्णातिपति_तिविमि सरीरमि०टातिविहसरीरमहणेण ओरालियवेउब्बियआहारगाणं गहणं कर्य, इयसाणि पुण तेयाकम्माणि वदंबग्म-51 याणि चेन काऊण ण भणियाणि, जस्स ओरालियसरीरं मो जीवपएसेहिं गेहिऊण ओरालियसरीरेण णिसिरति, जस्स वेठक्क्यिसरीरं दीप अनुक्रम RECENESS (21)Page Navigation
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