Book Title: Aagam 35 BRUHAT KALP Moolam ev
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 1
________________ [३५] श्री बृहत्कल्प (छेद)सूत्रम् नमो नमो निम्मलदंसणस्स। पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः । "बृहत्कल्प" मूलं मूलं एव] [आदय संपादकः - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा.] । (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.) | ' 12/02/2015, गुरुवार, २०७१ महा कृष्ण ८ jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[३५], छेदसूत्र-[२] "बृहत्कल्प" मूलं

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