Book Title: Aagam 35 BRUHAT KALP Moolam ev
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 11
________________ आगम (३५) “बृहत्कल्प” - छेदसूत्र-२ (मूलं) ---------- उद्देश: [४] --------- मूलं [२३] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प" मूलं प्रत सुत्राक [२३] दीप अनुक्रम [१६५] KI पित्तए, कल्पह से निक्सिविता- उदिसापित्तए, नो से कप्पड अणापुच्छिता आयरिथं वा जाव गणापच्छेदयं वा अन्न आपरियाममार्य उदिसावेत्तए, कपासे आधुचिता /31 आयरिय वा जाच गणामोदय वा अन्न आयरियायमार्य उदिसावेत्तए, ते बसे वियरति एवं से कप्पा अन्न आपरियावज्झाय उदिसावेसए ने य से नो विधरंति एवं से नो कापड अन्न आयरियडवान्झाय उहिसावेत्तए, नो से कपड़ नेसि कारणं अदीवेत्ता अन्न आयरियजवझार्य उदिसावेनए, पद से सेसि कारण दीवेता अन्न आयरियजक्झाय उहिसावेनए '१२१२३ भिक्खू व राजोवा विधाले वा आइच बीसुम्नेजा, वंच सरीरग के अयावचरा मिल्यूमोजा एगंतमते बहफासुए परसे परिहवेतए, अस्थि । इत्य केंद्र सागारिवसतिए उवगरणजाए अचिने परिहरणारिहे कापद से सागारकर्ड गहाय सं सरीरंग एगते बहुफाए परसे परिद्ववेत्ता तत्वेष उपनिरपियो सिया ६९० ॥२४॥ मिक्लूप अहिगरणं क्र अहिगरण अक्सिोसवेशानी से पामाहा मत्ताए या पाणाएगा निपसमित्तए या परिसित्तए पा, भिक्खु नो से कापड पहिया 2 विधारभूमिया विचारभूमि यानिक्स पकि. मा. मिक्स्गामामुगाम दुइजिताए, गमाजोगण संकमित्तए, भासावास या वयाए, जत्येव जपणी आयरियजनसायंपासेजा बदसायं बझागामकपद से तरसन्तिए बालोएनए पदिकमित्तए निन्दित्तए गरिहित्लए विउदित्तए विसोहिचए जकरणाए अम्मृद्धिलए जहारिदं पायश्चितं तपोकम्म पतिवजिसए, से यथए पपिए आइयो सिया, से व मरण नो बहुविए नो भाइयो सिया, से य सुएर्ण पविजमाणे नो आइया निहियो सिमा ७१८।२५। परिहारपहियाण निफ्सुस । कापर आपरियडमझायाणं तदिवस एगमिहसि पिंटवायं दवावेत्तए, लेग पर नो से कयह जस बा. वाई या अणुपदाउँ वा, कम्पह से जन्नययावडिय करेत्तए, त उहावणं या निसीयावणं वा नुयापर्ण वा उमारपासवणलेलजाउसियाणाण विनिवर्ण वा विसोबर्ग वा करेसाए, अह पुण एवं जाणेजा जिन्नावाएस पंथेसु सवस्ती आउरे सिजिमए पिया2 सिए दुबले फिरते मुळेजपा पडेजपा एवं से कप्पद असणं या दाउंबा अणुप्पदाउँ वा ७४१२६ नो कप्पर निबंधाण या निम्मंघीण वा इमाओ पंच महम्मचाओ महान Hो रिहा गणियाओ पञ्जियाओ अंतो मासस्स दुस्सुनो वा तिनसुत्तो वा उत्तरित्तए पा संतरित्तए पान-गंगा जजणा सायकोसिया मही । २७। अह पुष एवं जागेला. एसबई कुणालाए, जत्य चकिया एम पार्य जले किचाएक पाय चले किया एवं णं कप्पद अंसो मासस्स दुस्सुत्लो वा तिक्युत्तो वा उत्तरित्तए पा संसारितए बा, जत्थ एवं नो चकिया एवं नो कप्पा अंतो मासस्स दुस्मनो या विषयुत्तो वा उत्सास्सिए या संतरिक्तए पा ७८८२८ा से तमेसु वा तणपुजेसुबा पालेम का पालालपुनसुबा अपंडिसअप्पपासु अप्पीएस अप्पहरिए अपोसेगु अत्युत्तिापगदममनियमकरसंतामएस अहेसेवनमाचाए नोकप्पा निम्नन्माणका निमन्बीणवासप्पगारे उपस्सए हेमन्तागिम्हास बत्पए।२९॥ से तणेस या जाच संतागएसु वा उप्पिसेवणमाचाए कप्पद निग्गन्याग चा निधान्यीण वा तप्पगारे उपस्सए हेमन्तगिम्हामु वत्थए।३० से नणेसु वा जाय संतागएस अहेस्पणिमुकमउडेसु नो कम्पा निम्मान्याचा निम्मान्धींग वानहायगारे उपस्सए वासाचा पत्थए।११।सेजनेसुबाजार संतागए उपिरवणिमकमडेय कापड निगन्याणचा निमांधीणमातहप्पमारे उपस्सए बयाएत्ति बेमि'८०५पडत्यो उसजो देवेपविक वितरिता निम्नान्यं पडिमाजाचनिग्मन्ये मारलेला मेटणपदिसेवणपते जायजा चाउम्मासिय परिहारता अणुयाइय।।। देवेबपुरिसको वितरिता निम्यग्धि पटिममा हेजातंच निम्मांधी साइजेजा मेहणपडिसेवणपत्ता आवाइ चाउम्मासिर्य परिहारहाणं अणुग्धाइयं ।२। देवीय इस्विरुवं चिड़रिता निम्मन्य पडिमाहेजाच निम्मन्ये साइजेजा मेरपडिलेवणपने आवजह चाडम्यासिय परिहारहाण अपुग्धाइयं । ३। देवी य परिसरुवं विउवित्ता निग्गन्धि पहिग्गाहेजातं च निमन्धी साइनेजा मेहुणपाठिसेवणापता आवाइ चाउम्मासिय परिहारहाणं अणुग्धाइयामिक्सय अहिगरणं कटुतं अहिंगरण अधिओसला इच्छेना अचं गर्म उपसंपत्तिा बिहरितए, कापड तस्स पक्ष राइवियाई डेयं बदद परिगयविय २ दोपि तमेव गणं पहिनिजाएयो सिया, जहा बा तम्स गणस्त पत्तिय सिमा १०.14 भिक्षय उम्पायवित्तीए अणत्यमियरका संचदिए निशिशमिशासमाषणो अपणोण असणं वा परिमादेशाबाहारमाहारेमाणे अह पष्ठा जाणेजा-अगुग्गए परिए अस्थमिए वा से जंच आसबसि च पाणिसि जब पहिम्गहे ते निमित्रमागे वा निसोहेमाणे वा नो अफमा, अपणा भुजेमागे अमेसि बादलमाणे सहभोवणपरिसेपणपत्ते आवजाचाम्मालिय परिकारहाण अपुग्धाइ मिश्स्य उम्पयवित्तीए अणत्यमियसकणे संघबिए विगिष्ठासमावण अप्पागं असणं या पहिगाहेला आहारमारेमाणे मह पच्छा जाणेजा-अगुग्गए मूरिए अन्यमिए वा, से जच आसयंसि जं च पाणिसि जच पडिम्महे विनियमाणे वा चिसोहेमाणे मा मो 5 आकमा त अपणा सुजमाणे अन्नेसिया बलमागे राइमोपणपडिसेरगपत्ते आयजर चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्याइये ।७। मिक्स् प उम्णयवित्तीए अगस्थभियसंकणे १६७हत्कम मूबी मनिटीपरसागर स्कएकर अत्र उद्देशक: ५ आरब्धः ~10~

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