Book Title: Aagam 35 BRUHAT KALP Moolam ev
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [३५] श्री बृहत्कल्प (छेद)सूत्रम् नमो नमो निम्मलदंसणस्स। पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः । "बृहत्कल्प" मूलं मूलं एव] [आदय संपादकः - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा.] । (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.) | ' 12/02/2015, गुरुवार, २०७१ महा कृष्ण ८ jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[३५], छेदसूत्र-[२] "बृहत्कल्प" मूलं Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३५) “बृहत्कल्प” - छेदसूत्र-२ (मूलं) ---------- उद्देश: ------ ---------- मूलं [-]-.--.------ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प" मूलं NAAVAAVANANVANI पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी संशोधित: संपादितश्च बृहत्कल्प सूत्र मुद्रित पृष्ठरुपं - शत्रुजयतीर्थे शीलोत्कीर्ण: -सुरतनगरे तामपत्रोत्कीर्ण “आगममंजुषा"या: उद्धृत-छेदसूत्रम् वीर संवत २४६८ विक्रम संवत १९९८ सन् १९४२ बृहत्कल्प -छेदसूत्रस्य "टाइटल पेज" Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मूलाका: ५०+ +२० मूलांक: ०००१ ०१९७ उद्देश: प्रथमः चतुर्थ: पृष्ठांक: ००४ ००८ 'बृहत्कल्प' छेदसूत्रस्य विषयानुक्रम मूलांक: ००५९ ०३१४ उद्देश: दद्वितियः पंचम: पृष्ठांक: ००६ ०१० ~2~ मूलांक: ०११८ ०३९३ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [३५], छेदसूत्र [२] "बृहत्कल्प" मूलं दीप- अनुक्रमाः २१५ उद्देश: तृतीय: षष्ठः पृष्ठांकः ००७ ०१२ Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ['बृहत्कल्प' - मूल] इस प्रकाशन की विकास-गाथा पूज्यपाद आचार्यश्री आनंदसागरसूरीश्वरजी (सागरानंदसूरिजी) के संशोधन एवं संपादन से सन १९४२ (विक्रम संवत १९९८) में ४५ आगम+वैकल्पिक दो आगम+ पांच नियुक्तिओ एवं कल्पसूत्र को मिलाकर “आगममंजुषा" नाम से करीब १३०० पृष्ठ छपे, जिसकी साइज़ 20x30 इंच थी | इस संपादनमें ६+१ छेदसूत्र भी पूज्यश्रीने मुद्रित करवाए | यहीं "आगममंजुषा" पूज्यश्री की प्रेरणा से श्री शत्रुजयतीर्थ की तलेटीमें आगममंदिरमें आरस के पट्ट पर भी उत्कीर्ण हुई और सुरतनगरमे ताम्रपत्र पर भी अंकित हुई | हमने उसी ६+१ छेदसूत्रो को फोटो-स्केन करवाया, फोटो-स्केन कोपी को पहले 'A-4' साइज़ मे लेजाकर अलग-अलग ६+१ किताबो के रुपमे रखा, फ़िर उसी को इन्टरनेट पर भी अपलोड करवाया और हमारे प्रकाशनो कि DVD मे भी उनको स्थान दे दिया | हमारा ये प्रयास क्यों? : आगम की सेवा करने के हमें तो बहोत अवसर मिले, ४५-आगम सटीक भी हमने ३० भागोमे १२७०० से ज्यादा पृष्ठोमें प्रकाशित करवाए है किन्तु लोगो की पूज्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी के प्रति श्रद्धा तथा आदर देखकर हमने इसी ६+१ छेदसूत्रो को प्रत-स्वरुपमें यहां सम्मिलित कर दिया, ताँकी भविष्यमे को यह न कहे कि इस संपुटमें ३९ आगम हि है, और ६ आगम कम है। एक स्पेशियल फोरमेट बनवा कर हमने बीचमे पूज्यश्री संपादित पृष्ठो को ज्यों के त्यों रख दिए, ऊपर शीर्षस्थानमे आगम का नाम, फिर अध्ययन या उद्देशक तथा मूलसूत्र या गाथाजो जहां प्राप्त है उसके क्रमांक लिख दिए, ताँकि पढ़नेवाले को प्रत्येक पेज पर कौनसा अध्ययन या उद्देशक तथा सुत्र या गाथा चल रहे है उसका सरलता से ज्ञान हो शके, बायीं तरफ आगम का क्रम और इसी प्रत का सूत्रक्रम दिया है, उसके साथ वहाँ 'दीप अनक्रम भी दिया है, जिससे हमारे प्राकृत, संस्कृत, हिंदी गुजराती, इंग्लिश आदि सभी आगम प्रकाशनोमें प्रवेश कर शके | हमारे अनुक्रम तो प्रत्येक प्रकाशनोमें एक सामान और क्रमशः आगे बढ़ते हुए ही है, इसीलिए सिर्फ क्रम नंबर दिए है, मगर प्रत में गाथा और सूत्रो के नंबर अलग-अलग होने से हमने जहां सूत्र है वहाँ कौंस - दिए है और जहां गाथा है वहाँ ||-|| ऐसी दो लाइन खींची है या फिर गाथा शब्द लिख दिया है। हमने एक अनुक्रमणिका भी बनायी है, जिसमे प्रत्येक अध्ययन आदि लिख दिये है और साथमें इस सम्पादन के पृष्ठांक भी दे दिए है, जिससे अभ्यासक व्यक्ति अपने चहिते अध्ययन या विषय तक आसानी से पहँच शकता है । अनेक पृष्ठ के नीचे विशिष्ठ फूटनोट भी लिखी है, जहां उस पृष्ठ पर चल रहे ख़ास विषयवस्तु की, मूल प्रतमें रही हुई कोई-कोई मुद्रण-भूल की या क्रमांकन-भूल सम्बन्धी जानकारी प्राप्त होती है | अभी तो ये jain_e_library.org का 'इंटरनेट पब्लिकेशन' है, क्योंकि विश्वभरमें अनेक लोगो तक पहुँचने का यहीं सरल, सस्ता और आधुनिक रास्ता है, आगे जाकर ईसि को मुद्रण करवाने की हमारी मनीषा है। ......मुनि दीपरत्नसागर..... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प” मूलं ~3~ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३५) “बृहत्कल्प” - छेदसूत्र-२ (मूलं) ---..-...--- उद्देश: [१] ----- -------- मूलं [१] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प" मूलं प्रता सुत्राक [१] दीप अनुक्रम पीठिकामाप्यगाथाः '८०८ नो कप्पा निग्गन्धाण वा निगान्धीण या आम नालपलम्बे अभिने पहिगाहेनए '१०.२१ कप्पट निम्गन्धाण वा श्रावृहत्कल्पसूत्रम् निगाधीण पा प्रामे मालपरमेनिने पहिम्मानिए.१.३६॥शकापड निम्मम्याण पके जालपालम्मे भिजे बा अभिन्ने वा परिमाहेनए।रानी कपा निमान्धीणं पके तालपारम्ब अभिषे पहिग्गाहेगए।४ाकपा निग्गन्धीणं पके तालपलम्बे मिन्ने परिमाहेनए, सेऽपि च विहिमिन्ने, नो पेरणं अपिहिभिन्ने (परम्पपगरण '१०८९५ से गामंसि वा नगरंसिवासेसिवा कम्बईसिया पदणंसि वा मडम्बसि वा आगरंसिवा दोणमुहंसि वा निगमंसि बारापहाणिसि वा आसमंसि पा संनिसंसिवा संचा। हसि वा पोससि वा असिसि या परमेयनसियासपरिस्पेसि अबाहिरियसि कप्पड निम्मान्धाण हेमन्तमिम्हाम एग मास बन्धए।हासे गामंसिवा जाबरावहाणिसि वा सपरिक्खे. पसि सबाहिरियसि कपद निगन्धाणं हेमन्नगिम्हारा दो मासे पत्थए, अन्ता एर्ग मासं बाहि एर्ग मासं. अन्तो बसमाणाणं अन्लो मिकरवायरिया बाहि वसमाणाणं बाहि मिकतायरिया । पासे गार्मसिया जार रापहाणिसि वा सपरिक्सेसि अबाहिरियसि कप्पद निग्गन्धीण हेमन्तगिम्हासु दो मासे कथए।रासे गामंसि वा जाप रावहाणिसिमा सपरिबरपति सबाहिरियसि कापड़ निगचीणं हेमंतगिम्हास चनारि मासे पत्थए, अंतो दो मासे पाहि दो मासे, अंनो बसमागीणं अंनो मिस्सायरिया बाहि बसमागीण वाहि भिक्खापरिया, *२१-३० ।।से गामंसि बाजार पहामिसि वा एगवगडाए एगद्वाराए एगनिकत्वमणपसाए नो कचा निगचाण व निमोधीण ब एगपो कथए।१०। से गामंसिया जाररावहागिसि वा अभिनिवगडाए अमिनिद्वाराए अभि(ग)निफ्लमणपसाए का निर्माधाण व निर्माधीण य एगपत्रो बन्धए २३.७११११ नो कप्पद निम्गंधीण आपण ९६१चहत्कन्या मुत्री मुनि दीपरतसागर अत्र उद्देशक: १ आरब्धः ~4 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३५) “बृहत्कल्प” - छेदसूत्र-२ (मूलं) ---------- उद्देश: [१] --------- मूलं [१२] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प" मूलं प्रत सत्राक [१२]] दीप अनुक्रम Aहिसि पास्थामुमि मा सिपाहगंसिया तिपसि पा चाउसि वा चचरंसि या अंतरावर्गमि वा बत्याए।१२। कप्पड निर्माचार्य बापणनिहसि मा जार अंतरापति वा पत्थर ३०१शनो कप्पा निर्गची अमापदुवारिए उचस्साए पत्थर,एगे पत्यार तो किचाए पत्यारं पाहि किया ओहाडियचिलिमिलियामसि एक कप्पा पत्थए '२३५७ बापा निर्णधाणं अवगुपचारिए उपस्सए बत्दए "२३६६।१५। कणव नियंपीणं अतोलित्तय पडिमायं धारेलए वा परिहरिगए वा '२३६५१1१६ नो अप्पा निर्ग धान अतोलिलयं पहिमत्तयं धारेनए का परिहरितए का '२३७११ कप्पा निम्गंधाण वा निर्मवीण वा सचिलिमिलियं धारेत्तए वा परिहरितएवा '२३८७१ नो कप्पा निर्णधाण पा निग्गंचीण पा दगतीरसि चिद्वितए पा निसीइनए वा तुयहितए वा निहाइतए वा पपलाइत्तए या असणं वा आहारमाहारेत्तए वा उचार वा पासप वा लेलं पा मा सिधाणं या परिवेनए, समायचा करेनए, धम्मजागरिष चा जागरित्तए, माणं वा साइतए, काउसमा मा करितए, ठान बाठाहत्तए '२४३०११५नो कप्पा निर्माचाग वा | निमांधीण पा सचित्तकम्मे उपस्सए बत्याए ।२० कप्पड निरगंधाण वा निग्गंधीण वा अपित्तकम्मे उपस्सए वत्थए '२४३८।२१ नो कम्पा निग्गवीर्ण सामारियं अनिस्साए बत्थए।२२। कम्पद निग्गंधीणं सागारियनिस्साए पत्थए '२४५०।२३। कप्पड निर्णयाणं सागारियनिस्साए वा अनिस्साए वा पत्याए '२४५३।२४ानो कप्पा निर्मायाण वा निर्माधीच वा सागारिए उपसाए पत्थर, कप्पा निम्गंधाण वा निर्मामीण वा अपसागारिए उक्साए पत्थर '२५५५।२५। नो कप्पड निर्मपान इरिपसागारिए उपसाए पत्थर कापड निम्नचाणं पुरिसमागारिए उपसाए पत्थए।२७नो कप्पा निग्गयी पुरितसागारिए उनस्साए वस्थाए।२वाकप्पा निम्धीर्ण हरिपसागारिए उनस्साए पत्पए '२५८७१२९॥ नोकप्पा निर्मचाण पडियदाए सेजाए बत्याए।३० का निर्माचीचं पढिवदाए सेजाए वत्याए '२६३३।३१। नो कपद निम्गंधाणं गाहावाकुसस्स मोमोण गं पत्थए R३२ का निर्णधीन गाहापडलस मामलेणं गतुं पत्थर २६८०३३ मिक्स्य अहिगरण कटुत अहिमरणं अविजोसवेत्ता अनिमोसपियपाहुढे ठाए पो आवा एजा इच्छाए परो यो आदाएजा इच्छाए परो अभुढेना इच्छाए परो नो अम्भुढेना इच्छाए परी बंदिजा इच्छाए परो नो बंदिजा इच्छाए घरो समुनेजा इच्छाए परो नो समुझे। शशजाइच्छाए पो संबोजा इच्छाए परी नो संबोजा इमाए परो उपसमेजा इमाए परो लो उसमेजा, जो उपसमा तस्स अस्थि राहणा जो न उक्समा तस्स नस्थि आरा हगा, तमहा अप्पणा चेत्र उपसमियां, से किमाहु भंते ?. उपसमसारं सामर्ण २७३८।३४ानो कप्पइ निमांचाग वा निम्बंधीण बाबासाबासासु चारए।३५/कम्पा निर्णयाण या नियंचीण पा मिसगिम्हासु पारए २७६३१३६नो कप्पद निर्माधान वा निम्नवीण वा बेरजाविरुवरजसि सजे गमणं सज आगमणं सज गमनागमण कोलए, जे खा निगवे चा निधी वा पेरजविस्वरसि सर्ज गमणं सज आगमणं सजे ममणागमणं करोड करेंतं पा साइना से दुइओ वीइकममाणे आपना चाउम्मासिय परिवारमा अणुग्याइयं '२७९५१।३७१ निम्यं चणं माहापाकुलं पिंटवावपटियाए अणुप्पचिट्ठ कई पत्येण वा पहिरबाहेण वा कम्बलेग वा पायपुगेण वा उननिमंतेजा कप्पत्र से सागारकर्ड गडाच आयरिबपायमूले ठवेत्ता दोबंपि उग्गा अगुभमेना परिहार परिहरितए '२८१८।३८ा निम्नवं वर्ष बड़िया वियारभूमिस पिछारमूमि वा निवसंत समार्ण केह वस्येच या पडिग्गाहेगवा कम्बलेण वा पायउणमा उपनिमंतजा कप्पा से सागारकई.२८१९३९। निम्नविच गाहापक हिसावपडियाए अगष्पवितवेषगर पसिनीपापमूले उमेत्ता१४०। निम्मपि च बहिया विहारभूमि वा विचारभूमि वा जाव परिहार परिहरित्तए '२८४०1४१ नो कप्पा निर्माधाण वा निर्मचीण बाराबोबा बियाले वा असणं या पहिग्माहेचए।४२ नमत्य एमेणं पुषचढिलेहिएणं सेजासंधारएणं '२८७३1४1नो कप्पा निगंधाण वा निम्गंधीम या राओ वा विषाले वा पत्र्य या पडिगई पा जमलं वा पाचपुणं वा पहिगाहेत्तए २००५'४४ामन्नत्य एमाएरिवाहियाए, साविय परिभुत्ता पाचोयाबा रत्ताबा पहावामझना संपमिया मा '३०४२४५ नो कम्पा नियन्याण या निबन्धीण वा राजोवा पियाले वा अदाणगमण एतए '३१४२।४६१० संखर्दिया संखदिपडियाए जवाणगमणं एतए ३२१०' 1 नो कप्पड़ निमान्यस्स एगाणियस्स राजी वा रियाले वा बहिया निहारभूमि वा विधारभूमि वा निक्वमित्तए वा परिसितएका कप्पर से अप्पमित्रयस्त वा अग्यतइयरस वा राजोवा रिचाले वा पहिया निहारभूमि या विचारभूमि वा निक्लपित्तए या पविलितए वा '३२२५' नो कप्पा निमपीए एगाणियाए राओ या वियाले का पहिया विधारभूमि या विहारभूमि । पानिपसमितए या परिसित्तएका, कमा से अप्पतायाए या अपचउत्थीए वा राओ वा पियाले वा बहिया पियारभूमि पा विहारभूमि या निफ्स मित्तए या परिसित्तए पा १२४३' पुरस्थिमे कम्पा निमान्याण या निम्पन्धीण या जाच सामनहाओ एसए रक्सिणे जाव कोलम्बीओ एसए पचत्यिमे जार युगाविसयामओ एसए उत्तरेण जाब H९९२ रहकल्यासू मुनिटीपरतसागर [१२] ~5~ Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३५) “बृहत्कल्प” - छेदसूत्र-२ (मूलं) ---------- उद्देश: [१] --------- मूलं [१०] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प" मूलं प्रत सुत्राक [५०] दीप अनुक्रम [५०] कुणालाविसथानी एलए, एपाण्याच कामा एपायाच मारिए खेले, नो से कपा एतो बाहि. तेष पर जय नागरसरिता उसापतितिमि १२९११५पासो -N सो १॥ उपस्सयस मन्तो पगढाए सालीणि पाबीहीणि वा सुग्गाणि या मासानिया विलाणि या कुलाचाणि या गोषमाणि या जपाणि का जवजवाणि पाओकिन्चामिया वि. क्सिणानिया विकिन्माणि या विष्णम्माणिवानो का निगन्याममा निम्गान्धील या महामन्दमवि वाथए '२०१। अह पुण एवं जामेजा-मो ओकिम्माणि नो विक्सिमा नो विविज्यामि नो विवाहमा रासिकहानिया मिसिकहामि वा पुनकहानिया कुलियकनामिना सक्छियाणिवा मुदियामि या पिहियाभिवाकया निमाल्याण वा निगान्धीम चाहेमन्नागिम्हासु बत्पए '१.३॥शबह पुष एवं जानेजा-नो रासिकहाई नो पुजकबाई नो मितिकबाई नो कुलियकडाई कोडाउत्सानि वा पसाउत्सानिमा मनाउत्सानिया माताउत्साणिवा ओलिसाणि वा विलिचाणि पा लभियाणि वा मुरियाणि वा पिडियाणि वा कणा निग्गन्धाण वा निग्गन्धीण वा वातावास पत्याए '१८६।३। उपस्सयस यो बाबाए सुराविचकुम्मे का सोचीरयषियहम्मे चा उपनिक्सित्ते सिया वो कप्पा निम्गन्याय वा निग्गन्धीच वा महामन्चमावि वत्थर, पुरत्या प उपसर्थ पडिलमा मो उमेगा एवं से कमा एगराय मा दुराय वा पत्थर, मो से कप्पा एगरायाचो वा दुराबाओ वा पर पत्याए, जे तत्व एमाबाओबाबुराचाओमा पर बोजा से सन्तरा ए मा परिवार बा IVIN उवस्मयस्स जन्तो वगढाए सीओदगवियाजकुम्मेवा उसिणोदगपियाकुम्भे या उपनिक्सिसे सिया नोकप्पा निम्मान्याण वा निग्गन्थीण वा बहासनमवि वत्याए,हरत्या व उपस्सर्य पडिलेहमागे नो लभेजा एवं से कप्पा एगरायं वा दुरार्य वा वत्पए, मो से कप्पाइ एगरायाओ का दुरायाओषा पर कत्पए, जे तस्थ एगरावासोचा दुरायाओ वा पर बसेना से सन्तरा सेए चा परिहार या '२२१।५। उसस्सयस अन्तो वहाए साराबए जोई सिचाएना नो कप्पा निमान्याम वा निगान्धीय वा अहासन्यमविपत्पए, इरत्या व उपाय पहिले हमागे नी समेजा एवं से कपा एगराय वा दुरार्य चा वत्पए, नो से कपा एगराबाओ वा दुरायानो वा पर वायर, जे तत्व एमसयाओ बाबुरायाओ या परं क्सेमा से सम्ताए । का परिहारेषा '२५०।६। उसस्सयस अंतो वढाए साराइए पर्व दिशेजा नो कप्पा निग्मन्याग वा निमान्धीण वा महासन्दमवि पत्थर, इत्या य उपस्सय पहिवमाने नोट सभेजा एवं कप्पन एमराय वा रायंचा पत्थए,मोसेकपा एगरायागोवा रायाजीबा पर पत्थए, जे तत्व एमरायाजोगा रायाजोगा पर बसेजा से सन्दरा एका परिवार वा '२६३।७। उपस्सयस अंतो काढाए पिपाए वा लोपए वासीर या बहिया सणि वा नवमीए बा लेले वा काणिय वा पूर्व का सक्कली वा सिहिरिनी या मोकिमाणि पा वि. किष्णाभिमा विनिम्माणि वा विप्पाण्णागि पानी कप्पा निम्मन्याण या निम्मरचीण वा अदालन्दमवि पत्याए '२६९'दाद पुष एवं जाणेजा नोजोकिस्माई रासिकतामिल पा पुजकहाणि चा मित्तिकमाणिमा कुलियकहाणि बालभिव्यापि वा मुश्यिामि वा पिहियामिवावाकपा निमान्याग मा निमान्धीमा हेमंतगिनास पत्याए '२७२।९। । पुण एवं जागेगा-नो रासिगाई जाप नो मिसिकदाई कोहाउत्साणि का महाउत्साणि वा मनाउत्ताणि या मालावत्नाणि या कुम्भिउत्तापि वा कामिउत्ताणि या ओलितामिया वि. वित्ताणिवा पिडियाणिवा सन्द्रियाणिवा महिपाणिवा कप्पा निमन्माणमा निमान्नीगापासाचा पत्पए '२७४।१०ानो कप्त निम्मन्बीबई आगमनगिड़सिवा आविषडमिमि या सीमूलक्षि वा समूलसिया अभावमाशियसि वा पत्याए ३०० कण्व निमन्या अहे आगमणमिसिया विचडमिहषिमा सीमूलशिमा ससमूहति चा अभाचगासियसि वा पत्याए '३०८।१२। एमे सागारिए पारिहारिए दो तिणि पत्तारि पासागारिया पारिहारिया ए सस्थ कप्पार्ग उवाताजपलेसे निविसेजा '३७५' ।१३ानो कप्या निग्गन्धाण वा निम्नांचीप वा सामारियपिण्डे बहिया अनीह असंखद समाई वा पहिगाहेत्तए १८६।१४-१५/नो कप्पा निम्मन्धाण वा निग्गन्धीच पा सामारियपिट पहिया नीव असंसाई पहिग्गादत्तए।१६। कम्पा निगन्याण वा निमांगीण वा सागारियपि पहिया नीहा संसह पटिग्गाईलए । १७।नो कप्पा निमायाण या IST निग्गंचीण या सामारिवपि बहिया नीहडं जसंसह संबई करेगए, जो खलु निमान्यो वा निम्नांची वा सागारिथपिण्ड बहिया मीहरं असंसई संसह करेह करेन्त पा साहना से हजो बीइकममाणे आवमा चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्याइयं '४-१९८ासागारिवस्स आइडिया सामारिएणं पहिम्माहिता सम्हा दाबए नो से कप्त पडिम्मादेचए।१९॥ सागारियरस आइडिया सागारिए अपरिगहिता तन्हा दावए एक से कप्पद पडिग्गाहेलए ४२०१।२०। सामारियस नीहडिया परेण अपरिहिता तम्मा बाषए नो से कपा पडिग्गाहेतए ।२१। सागारिया मीडिया परेण पहिम्माहिता तम्हा वापए एवं सेकयह पडियाहेत्तर '४२८।२२। सामारियस्त अंसियानो अविमत्तामओ जयोपियामी बी महाओ अनिन्दाजी तमा एकए मो से कष्णा पडिग्गाहेत्तए।२३। सामारिपस्मा अंसियाओ विभत्ताओ चोष्ठिमाओ योगदाओ निमूदाओ नन्दा गए एक से कमा परिन्गाहे. गनिदीवरजसागर अत्र उद्देशक: २ आरब्ध: ~6~ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३५) प्रत सूत्रांक [२४] दीप अनुक्रम [४] अत्र उद्देशक: ३ आरब्धः “बृहत्कल्प” • छेदसूत्र - २ (मूलं ) - उद्देश: [२] मूलं [२४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ...... ...आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र [२] "बृहत्कल्प" मूलं नए '४३८' | २४| सामारियस थामने उदेसिए इए पाडियाए सामारियस्स उपगरणजाए निडिए जिसके पारिहारिए से सामारिओ देह सागारियरस परिजनो देह सम्हा नो से कप्प पहिग्गाए '४४३' । २५ सामारियस्लाम उलिए जाप पारिहारिए से नो सामारिओ देह नो सामारियरस परिजनो देह सामारिवरस या देहा दाब नो से प२६ सागारिस प्यामते उलिए हए पाटियाए सामारियस उपरणजाए निहिए जिस अपरिहारिए तं सामारिओ देह सागारियरस परिजनो का दे लम्हा हा नो से पहिए २७। सामारियस्स पूयामसे जान अपरिहारिए तं नो सामारिको देह नो सामारियस परिजनो देह सागारिथरस पूषा देह सम्हा राव एवं से कप्पा पहिगाहेनए '४४४' |२८| कप निमान्याण या निग्यन्यीण या इमाई पद्मपचाई पराए वा परिहरिता वा जनिए मनिए साए पो तिरीपट्टे नाम प '४५८।२९। कप निम्न्धान वा निर्माण वा इमाई पस्यहरुमा पारेर वा परिहरिसाए वा संजा-ओलिए उहिए सागाए बाचि (वियावि) मुविपिएवि नाम पचमेतत्रेमि ४६४॥ ३० ॥ ओ उसओ २ ॥ नो कम्पनिया निधीचे उपस्सस आससाए वा चिनिएका निसीए या तुहिए वा निदाइ वा पाइएका असा आहार आहारेलए उच्चारं वा पासवर्ण या खेलं या सिद्धाणं वा परिवेसाए सज्झार्थ वा करेता झाणं वा साइए काउसर्ग का करे ठाणं वा ठाइए '१२३' । १। नो कप्प निम्न्धी निमान् उस्ससि सहल जाय ठाणं ठाइए १२६ । २ । नो कप निर्माण सलोमा चम्माई अहिसिए '१४०३ कप निन्यानं सलोमाई चलिए सेवि परिभूते नो चे अपरिभूते, सेवि य पाडिहारिए नो चेवणं अपरिहारिए सेवि एमराह नीचे जगराइए '१६४' ॥४। नो कप पाण या निम्मी वा कसिलाई चम्माई चारेलए या परिहरितए वा '१९१५ कम्पनिमाया वा निधी या अकसिगाई चम्माई धारेत वा परिहरिए वा १९८६ नो कम्पनिमा निमान्ची वा कसिनाई पत्याई पारेसाए वा परिहरिसाए या कल्प निम्न्याण वा निग्गन्धीण या अकसिगाई बचाई चारेसाए वा परिहरिए वा '२३७॥७॥ नो कम्पनिगन्धान वा निम्मी वा अभिचाई बचाई पारेर वा परिहरिए था, कल्पइ निमान्धान वा निग्मन्यीण वा भिमाई पत्याई धारेतए वा परिहरिए वा '४१७' १८ नो कम्पनिमा उम्महणन्त वा उम्म वा धारेत का परिहरितए वा ४२२ ।९। कम्पनिग्मन्धी उमहणन्तर्ग वा ओगाणप वा धारेलए वा परिहरितए ब] [४६५।१०।निधी माहाकुलं पिन्वायपडियाए अणुष्पविद्वाए समुपनो से कप अप्पनो निस्साए लाई परिमानए कप्प से निस्साए पडिमा नोय से सत्य पनि समाणी सिया के तत्व समाने आयरिए या उवज्झाए वा पत्ती वा मेरे पागणी या गहरे या गणावच्छेइए नाच पुरी कविहरति कप्प से तीसा लाई पग्लिए ५०५।११। निम्मन्स तपास कप महत्योच्छगपदिमायाए तिहि य फसिने पत् आया से पुरोडिए सिया एवं से जो कप्प स्वहणपोिगमायाए तिहिप कहिं कत्येहि आयाए संबल कम्प से अहापरिगहियाई पत्याई महाआया ५५० १२ निम्मी उप्पमयाए संयमानीए कप्प से हनीपतिमहमायाए चउहिँ कसिनेहि पत्येहि आया संपत सा या सिया एवं से वो कम हरगोपहियाए उहि कसिपिचेहि आए संपला, कम्प से अहापरिगहियाई पत्याई महाया ५५२ । १३। नोनियानी वा पटमसमोसरसपत्नाईपडिमा कप निम्न्याण या निम्मन्यीण वा दोषसमोरमुसलाई चेलाई पि गानए ६२४ । १४ कप निर्माण या निर्माण वा अहाराइजियाए बेलाइ पटिगाए ६८३ १५ कम्पनिया निम्मंण या अहाराइजियाए सेजासंचार पहिगाहेनए '७२९१६ पनि वा निर्माण वा अहाराइनियाए किकम्मं करेनए '८६९।१७। नो कप निम्यान या निधी वा अंतरमहंस चिलिए वा आसएका निसीइए या तुमहिलाए वा निदाइताए वा पाइएका असा आहारमाहारए उच्चार का परिद्ववेत्ताए झापाका साइला फाउ वा करेनाइए अहम एवं जाजा जरा बाहिए मेरे वस्ती दुम्बले फिला पपदेश वा एवं से कम्प अंतरमहंस चिट्टिए वा जावा मा ठाइए ८८११८ नो कम्पनिधाण वा निर्माण वा अंतरहिंसि जायचउगावाचा इत्तिएका विभावितए वा किहिन वा पहलए या नन्नत्य एमनाएगा एगवागरण वा एगमाहाए वा एसिएन वा सेवि पठिया, नो व अब '९०५।१९। नो कम्पनिया निर्णय व अंतरहिमाई पंच मह हयाई समावणाई आइक्विता वा जान पाएका नम्रत्थ एगनाएन वा जाव एगसिलोएन वा सेनि य ठिबा नो चेवणं अडिबा '९१३' । २०। नो कम्प निर्माण का नियांयी वा पारिहारिय सेजाचार्य आयाए अपडिहद सं९२५२१ नोप्प निर्माण या निधीण वा सामारियसंनियं सेजासंचार आयाए अहिगर (२४१) ९६४ सो-३ मुनि दीपसागर ~7~ Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३५) “बृहत्कल्प” - छेदसूत्र-२ (मूलं) ---------- उद्देश: [३] --------- मूलं [२२] --------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प" मूलं प्रत सुत्राक [२२] दीप अनुक्रम [१०२] कटु संपवासए, कप्पद निर्माचाण या निर्णयीण या पाडिहारिय वा सागारियसंतियं वा सेजासंचारयं आयाए विगरण कटु संपचहत्तए '९३०।२शबह खलु निर्माधाण वा निर्गहाथीण या पारिवारिए या सागारियलिए पा सेजासंचारए विष्यणसेजा (परिभढे लिया) से य जणुगवेसियो सिया, से य अणुगयेसमाणे सभेजा तस्सेव पति(अणुपादायो सिया, से अगसमाणे नो कमेना एवं से कन्या दोषि उगई अणुष्णवेशा परिहार परिहरितए ९६४।२३। जदिवसं च समणा निर्माथा सेजासंधारय विपजहति तरिक्स पण अपरेसममा निम्गंधा हलमागच्छेवास मेष ओम्गहस्स प्राणपणा चिट्ठा अहाहन्दमवि उम्गह।२४३ अस्थि या इत्य फेड उपस्सयपरियावन्नए अचित्ते परिहरणारिहे सत्र उम्मइस पुचागुन्नपणा चिद अहालन्दमवि उम्मा १०७टारका से बत्यु अमावडेसु अबोगडे अपरपरिगहीएस सोच उन्मइसा पुवाचुन्नपणा चि हासनमपि उमाई । २६1 से पत्थूसु वावडेसु बोगडेसु परपरिमाहीएस निक्समावस अहाए दोषि उमाहे अपुल्नवेब सिया अहालनमवि उमाई '११.४१२७से अकरने का अमितीस Bा अपरियासु वा अगुफरिहासु पका अणुपयेसु वा जणुमेरासु वा सोच उन्मइसा पुवाणुल्नवणा चिवड महालन्दमपि उम्गाई '१११०१।२८ा से मामंसि पा जाब यहागीए (सनि. ससि) या पहिया सेणं संनिविड़ पेहाए कप्पा निर्माथाण वा निमांचीण वा तदिवस मिक्लायरियाए गंपूर्ण पदिनियनए, नो से कप्पद त स्थणि तस्येव उपाइगावेत्तए, जो खलु निधि वा निगची बात रखपि तस्येव उवाइणावेद उचाइणात वा साइना से दुहओ वीइकममागे आवाइ चाउम्मासिय परिहारहाणं अग्पाइर्ष ११५५।२९। से मामंसिवा जाव संनिवेससिया कप्पट निमांधाण वा निर्माचीन वा सालो सामंतासकोर्स जोपर्ण उम्मई जोगिहिला चिनिएसिमि ११९२ ॥३०॥डओ उदेसो तओ अणग्याच्या पता जहा-हत्वकम्मं करेमागे मेहुर्ण पटिसेवमाणे राइमायण भुजमाणे १२२।। तओ पारंचिया पश्चता जहा-दुढे पारंथिए पमने पारंथिए अन्नमन कोमाणे पारंथिए । F१८१॥शनओ अपनगण्या यात. साहम्मियाणं तेन्नं करमाणे परमम्मियाण नेनं करेमाणे हत्यायालं दलमाणे २६२।३।तो नो कप्पति पावेलए तै० पण्डए की पाइए ३१४।४। एवं मुण्डावेत्सए सिक्लावेनए मेहाचित्तए उबहावेत्तए संभुजिताए संचाशितए '३२१।५नो नो कम्पन्ति पाएनए न० अविनीए निगई परिपचे अविजोसवियपा डे, तो कम्पन्ति पाएनएत-विणीए नो विगपडियदे विओमवियपाहुढे ३३५ तिजो दुस्समप्या प० त-हुढे मुझे बुग्गाहिए ३५८1७सो सस्समप्पा 4. अब E अमूटे अनुमाहिए '३६०'10 निर्मार्थ चणे गिलायमाणं माया या भगिणी वा प्या वा पलिस्सएना तं च निम्मन्थे साइनेजा मेहुणपतिसेवणपसे आवमा चाउम्मासिय परिहा राणे अगुग्याइयं ।। निगचिव निलायमाणि पिया बा माया या पुते या परिसाएजावेच निगान्धी गाइजेजा मेहणपहिशेषणपत्ता आवजा चाउम्मासिय परिहारहाण असुम्याइये ३८७०1१०1नो कप्पद निगन्याण वा निग्नन्धीण वा असणं बा० पदमाए पोरिसीए पडिग्गाहेता पउत्य पणिाम घोरिस उवाइणावेसए, से य आहब उमारणारिए सिया नो अपणा भनेजा नो असि अणुपदेना एगन्तमन्ते बहफापुए पएस (पहिले) पटिलहिता पशिना परिवेय सिया, अप्पणा भुजमाणे अमेसि वा रस (अणु-13 पदे मागे आमजद चाउम्मासियं परिहाराणं उग्याइये । ११ नो कम्पा निग्गन्धाण वा निगान्धीण वा अस वापरं अद्धजोवपमेराए उचाइमावेत्तए, सेव आहब उचाइणाविए | सिया तनो अपणा मुरेजा नो असि अणुपदेजा एगन्तमन्ते बहुफामुए पएसे पहिलेहिता पममिता परिद्ववेयो सिया, व अन्यणा भुञ्जमागे अमेसि वा दलमाणे आपला बाउमासिय परिहारहार्य उग्धाइयं "४३९।१२। निम्मन्येण यमाहानहकुल पिण्डवायपडियाए अपुष्पपिडेम अन्नवरे अचित्ते अप्रेसभिजे पागमोयणे पडिमाहिए सिया अस्थि य इत्थ के सेहतराए अणुपट्टावियए कप्पद से तस्स दाउँ वा अणुप्पदाउँ यानास्थि य इत्य केद्र सेहवराए अणुबहावियाएतं नो अप्पमा भुजेजा नो असि दावए (अगुपदेना) एमन्ते पहफागुए पाएक परिलहिता पमजिना परिहयो सिधा "१६३।१३। जे कटे कप्पद्वियार्ण कप्पा से अप्पद्वियाग नो से कप्पा कापट्ठिया, जे कडे अप्पटियाणं नी 11 सेकपा कापलिया कणा से अफापट्ठियार्ग, कणे ठिया कपाठिया अकणे ठिया अकप्पट्ठिया '४' भिक्लप गवाओ अनकम होना अर्थ गण उपसंपविता | पिडरितए नो से कप्पा अणापचिहत्ता आपरियं वा उमझायं वा पतिवारंवा गणिवा गनहरं वागणापच्छेदयं वा अर्ज गण उपसंपमित्तार्ण विहरितए, कप्पड से आप. बिला आयरिय वा जाव गणावच्छेदय वा अर्थ गर्ण उपसंपजिनाच विहरित्तए, ने य से वियोजा एव से कापड अन्नं गणं उपजिलाणं रिहरित्तए, ते बसे नो वियरेका एक से नो कापा अन्न गण उपसंपमित्तागं पिहरितए "५७४।१५ागणावोइए व गणासो अबसम्म इच्छेला असं गणं उपसंपमित्तान पिहरितए नो कप्पा गमावलेवयस्स गना- 12 बाबमोइवर्स अनिविसविता अमर्ण उपसंपजिताण चिहरितए, कपन से मणाचच्छेहवस्स मगाचच्छेइयत्त निविसविता अभंगगं उपसंपनिता पिहरितए, नो सेकपा अमानुष्ठित्ता S९६५ हत्कण्यभूत्र, उरो- मुनि दीपासावर अत्र उद्देशक:४ आरब्धः ~8~ Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३५) “बृहत्कल्प” - छेदसूत्र-२ (मूलं) ---------- उद्देश: [४] --------- मूलं [१६] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प" मूलं V प्रत कायम सुत्रांक atar [१६] दीप आयरिय वा जाव गणापच्छेदय वा अन गण उपसंपजिताग चिहरितए, कप्पड़ से आपच्छिता आयरियं वा जाप गणावयठेदयं वा अन्य गण उपसंपजिताग बिहरितए, ते बसे विपरेना एवं से कृष्णा अमं गर्ण उपसंपजिलाण विहरितए नेवसे नौ वियरभि एक्से नोकपा अन्नं गर्ग उपसंपशिसा विहरितए।१६। आयरिय उपजमाए य गणाओ अबसम्म इजा अन्नंगगं उक्सपमिला विहरिगाए, नो से कपडायरियउबजायस आयरिबउनमायतं अनिक्लिविता अग्नं गर्ण उपसंपजित्ताणं विहरिनए कपासे पायरिपउक्झायरस आपरिषउमझायत्तं निक्सिरिता अन्नं गर्ण उपसंपजित्ताणं विहरितए.मोसेकापड अणापुच्छित्ता आपरिवं बाजार गावच्छइयं वा अन्नं गणं उक्संपविताणं बिहरितए, कापद से आपुच्छिता आपरियं वा जाव मणावच्छेद्य या अन्नं मणे उपसंपजितागं पिहरिताए, ते य से वियरेजा एवं से कापड अन्नं गर्म उपसंपत्तिा निहरित्तए, बायसेनो पियरेना एवं से नो कप्पद अन्न गर्ण उपसंपजिनार्ण विहरितए ५७७।१७अभिष्य गणाओ अवकम्य इलेजा अन्न गर्ग संभोगपडियाए उपसंपजिला वि. हरिनाए, नो से कप्पा अगाष्ठिता आयरियं वा उपजसायं वा पति वा थेरं या गणिं वा गणहरं वा गणापच्छेइयं वा अन्नं गर्ग संभोगपाडियाए उपसंपमित्तागं बिहरितए, कप्पड़ से आपत्तिा परिवंवा जारगणारछेडयंना अनंमणं संमोगपटियाए उसपजित्ता निहरितए, ते पसेविक्रेजा एवंसेप्पर अग्नं गणं संभोगपडियाए उपर्सपजिलार्ण साबिहस्तिए नेय से नो वियरेजा एवं सेनो कापड अन्न गर्ष संभोमपडियाए उपसंपजित्ताणं विहरितए, जत्युत्तरिय धम्मविषयं लभेजा एवं से यह अन्न गर्ग संभोगपदियाए SI उपसंपजिनार्ग विहरितए, जत्युत्तरिय धम्मविणयं नो नभेजा एवं से नो कप्पड़ अन्नं गर्ण संभोगपडियाए उक्संपजिसाणं विहरितए "५९४१वामानयोहए यमबानो अकम्म इण्डेजा अग्नं गर्ण संभोगपडियाए उनसंपजित्तार्ण चिहरितएनोसेकप्पागणारचोडपस गणापच्छेयर्स अनिग्लिपित्ता-विहरितए कप्पह से गमावच्छेदयस्स गणावोइयत्तं निसिवित्ता अन्न गर्न संभोगपतियार उपसंपजित्ता विहरिनए, नो से कापड अणापुच्छिना आयस्थि माजावगणावमोइयं वा अन्ले गर्ण संभोगपटियार उपसंपजिलाण विहरिगए. कप्पड़ से आपुच्छिता आयरियं वा जाव गणावपठेद्यं वा अन्न गर्ग संभोगपटियाए उपसंपजिलाणं विहरितए, ते य से वियरंवि एवं से कप्पद अन्नं गणं उनसंपज्जित्ता बिहरिलए.तेयसेनो विधरंति एवं से नो कणा अग्नं गर्ण संभोगपतियाए उपसंपञ्जित्ता निहरितए, जत्युत्तरिय पम्मविणयं हनेक्जा एवं से कणा अन्नं गर्ण संबोगपतियाए उपसंपनिता बिहरितए, जत्युतरिय धम्मविणयं नो रोजा एवं से नो कप्पड़ जगणं समोमपडियाए उपसंपजिनागं बिहरितए। १९॥ आपरिषउपजमाए य गणाजो अचम्म इजा असं गर्ण संभोगपडियाए उपसंपाजितागं बिहरितए नो से कणा आपरिषउपज्झायरस आपरिवठवजाय अनिक्सिविता बिहरितए, कप्पड से आचरिबाउचजमापस्स आयरिबउज्वायत्तं निक्लिपिताणं अर्थ गर्ग संभोगपडियाए उपसंपनिसान निहरितए,मोसे कप जमायुविता आयरियं पा जाच गणावच्छेदयं वा जगणं संभोगपडियाए उवर्सपनिमार्ण बिहरिनए, कप्पह से आपुचिडत्ता आयरियं पाजाव गणावोदय वा अन्न गर्ग संभोगपडियाए उपसंपाजिनागं विहरितए ने य से नियति एवं से कप्पा अर्थ गर्म संभोगपडियाए उपसंपजित्तार्ण पिहरितए, ते व से नो विपरंति एवं से नो कप्पड अचं गणं संभोगपटियाए उक्संपनिगागं बिहरितए, जत्युत्तरिय धम्मविषय समेजा। एवं सेकायह असंगणं संमोगपडियाए उपजित्ताग विहरितए, जत्युत्तरिय धम्मविणयं नोलमेला एवं से नोकप्पा अ संभोगपटियाए उपसंपलित्ताणं विहरिसए ।२१ भिमप य इलेजा असं आयस्विउपजमार्य उहिसावेनए नो से कप्पा अनापत्तिाापरियं वा जाप गणापत्रयं वा अायरिकउक्झार्य उदिसायलाए, कपडसे आपच्छिता जापरिष वा जान गमावण्ड वा अर्मजापरिपतवज्झार्य उदिमावेलए,तेबरोपियरति एक्सेका परिषउवाचं उदिसावेत्तए,तेय सेनो विपरन्ति एवं से नोकप्पा असं आपरियउवनायं रिसावेशप,नोसेकपासिकारणं अवीवेता सायरिपजरना उदिसावेतए,कापरसेनसिकारणदीवेत्ता.12मणारशए पोजाअर्थ आपरिषमा उरिसापेलए, नो से पण गमावण्यस्म गणावच्छेदपतं अनिक्लिपित्ता अचं आयरियउपाय उडिसावेतए, कणा से गणावच्छेदयसा गणारयायत निक्सिपिला रिसावेनाए, नो से कप्पा अगाष्टिना आबरिय वा जाप गणावच्छेदय चा अर्थ आयरियनमाय उदिसामेलए, अप्पह से आपुष्ठिता आपरियं वा जाप HI गगावच्छेनयंचा जायरियउपाय उदिसायलाय से विपति एवं से कप्पा सभापरिषउपाय उदिसावेत्सए, सेबसे नो विवरति एक्से नो कापड अन्नं आपरिमउपजमा उरिसापेलार, नो से करपा तेसि कारण अदीवता अर्ज आपरियापनाचं उदिसावेनए, कापा से सिकारण दीवना असं आपरियं वा उपाय वा उहिसावेत्तए १७ ।२२। आयरिवउवमाए इच्छेना जन जावरियउपजाय उदिसावेतए, नो से कप्पद आपरिवठवज्झायरस आयस्विजपज्झायर्स अनिक्सिचित्ता अर्थ आपरिपत्रमार्य उदिसा अनुक्रम [१२६] मुनि दीपरतसागर ~9~ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३५) “बृहत्कल्प” - छेदसूत्र-२ (मूलं) ---------- उद्देश: [४] --------- मूलं [२३] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प" मूलं प्रत सुत्राक [२३] दीप अनुक्रम [१६५] KI पित्तए, कल्पह से निक्सिविता- उदिसापित्तए, नो से कप्पड अणापुच्छिता आयरिथं वा जाव गणापच्छेदयं वा अन्न आपरियाममार्य उदिसावेत्तए, कपासे आधुचिता /31 आयरिय वा जाच गणामोदय वा अन्न आयरियायमार्य उदिसावेत्तए, ते बसे वियरति एवं से कप्पा अन्न आपरियावज्झाय उदिसावेसए ने य से नो विधरंति एवं से नो कापड अन्न आयरियडवान्झाय उहिसावेत्तए, नो से कपड़ नेसि कारणं अदीवेत्ता अन्न आयरियजवझार्य उदिसावेनए, पद से सेसि कारण दीवेता अन्न आयरियजक्झाय उहिसावेनए '१२१२३ भिक्खू व राजोवा विधाले वा आइच बीसुम्नेजा, वंच सरीरग के अयावचरा मिल्यूमोजा एगंतमते बहफासुए परसे परिहवेतए, अस्थि । इत्य केंद्र सागारिवसतिए उवगरणजाए अचिने परिहरणारिहे कापद से सागारकर्ड गहाय सं सरीरंग एगते बहुफाए परसे परिद्ववेत्ता तत्वेष उपनिरपियो सिया ६९० ॥२४॥ मिक्लूप अहिगरणं क्र अहिगरण अक्सिोसवेशानी से पामाहा मत्ताए या पाणाएगा निपसमित्तए या परिसित्तए पा, भिक्खु नो से कापड पहिया 2 विधारभूमिया विचारभूमि यानिक्स पकि. मा. मिक्स्गामामुगाम दुइजिताए, गमाजोगण संकमित्तए, भासावास या वयाए, जत्येव जपणी आयरियजनसायंपासेजा बदसायं बझागामकपद से तरसन्तिए बालोएनए पदिकमित्तए निन्दित्तए गरिहित्लए विउदित्तए विसोहिचए जकरणाए अम्मृद्धिलए जहारिदं पायश्चितं तपोकम्म पतिवजिसए, से यथए पपिए आइयो सिया, से व मरण नो बहुविए नो भाइयो सिया, से य सुएर्ण पविजमाणे नो आइया निहियो सिमा ७१८।२५। परिहारपहियाण निफ्सुस । कापर आपरियडमझायाणं तदिवस एगमिहसि पिंटवायं दवावेत्तए, लेग पर नो से कयह जस बा. वाई या अणुपदाउँ वा, कम्पह से जन्नययावडिय करेत्तए, त उहावणं या निसीयावणं वा नुयापर्ण वा उमारपासवणलेलजाउसियाणाण विनिवर्ण वा विसोबर्ग वा करेसाए, अह पुण एवं जाणेजा जिन्नावाएस पंथेसु सवस्ती आउरे सिजिमए पिया2 सिए दुबले फिरते मुळेजपा पडेजपा एवं से कप्पद असणं या दाउंबा अणुप्पदाउँ वा ७४१२६ नो कप्पर निबंधाण या निम्मंघीण वा इमाओ पंच महम्मचाओ महान Hो रिहा गणियाओ पञ्जियाओ अंतो मासस्स दुस्सुनो वा तिनसुत्तो वा उत्तरित्तए पा संतरित्तए पान-गंगा जजणा सायकोसिया मही । २७। अह पुष एवं जागेला. एसबई कुणालाए, जत्य चकिया एम पार्य जले किचाएक पाय चले किया एवं णं कप्पद अंसो मासस्स दुस्सुत्लो वा तिक्युत्तो वा उत्तरित्तए पा संसारितए बा, जत्थ एवं नो चकिया एवं नो कप्पा अंतो मासस्स दुस्मनो या विषयुत्तो वा उत्सास्सिए या संतरिक्तए पा ७८८२८ा से तमेसु वा तणपुजेसुबा पालेम का पालालपुनसुबा अपंडिसअप्पपासु अप्पीएस अप्पहरिए अपोसेगु अत्युत्तिापगदममनियमकरसंतामएस अहेसेवनमाचाए नोकप्पा निम्नन्माणका निमन्बीणवासप्पगारे उपस्सए हेमन्तागिम्हास बत्पए।२९॥ से तणेस या जाच संतागएसु वा उप्पिसेवणमाचाए कप्पद निग्गन्याग चा निधान्यीण वा तप्पगारे उपस्सए हेमन्तगिम्हामु वत्थए।३० से नणेसु वा जाय संतागएस अहेस्पणिमुकमउडेसु नो कम्पा निम्मान्याचा निम्मान्धींग वानहायगारे उपस्सए वासाचा पत्थए।११।सेजनेसुबाजार संतागए उपिरवणिमकमडेय कापड निगन्याणचा निमांधीणमातहप्पमारे उपस्सए बयाएत्ति बेमि'८०५पडत्यो उसजो देवेपविक वितरिता निम्नान्यं पडिमाजाचनिग्मन्ये मारलेला मेटणपदिसेवणपते जायजा चाउम्मासिय परिहारता अणुयाइय।।। देवेबपुरिसको वितरिता निम्यग्धि पटिममा हेजातंच निम्मांधी साइजेजा मेहणपडिसेवणपत्ता आवाइ चाउम्मासिर्य परिहारहाणं अणुग्धाइयं ।२। देवीय इस्विरुवं चिड़रिता निम्मन्य पडिमाहेजाच निम्मन्ये साइजेजा मेरपडिलेवणपने आवजह चाडम्यासिय परिहारहाण अपुग्धाइयं । ३। देवी य परिसरुवं विउवित्ता निग्गन्धि पहिग्गाहेजातं च निमन्धी साइनेजा मेहुणपाठिसेवणापता आवाइ चाउम्मासिय परिहारहाणं अणुग्धाइयामिक्सय अहिगरणं कटुतं अहिंगरण अधिओसला इच्छेना अचं गर्म उपसंपत्तिा बिहरितए, कापड तस्स पक्ष राइवियाई डेयं बदद परिगयविय २ दोपि तमेव गणं पहिनिजाएयो सिया, जहा बा तम्स गणस्त पत्तिय सिमा १०.14 भिक्षय उम्पायवित्तीए अणत्यमियरका संचदिए निशिशमिशासमाषणो अपणोण असणं वा परिमादेशाबाहारमाहारेमाणे अह पष्ठा जाणेजा-अगुग्गए परिए अस्थमिए वा से जंच आसबसि च पाणिसि जब पहिम्गहे ते निमित्रमागे वा निसोहेमाणे वा नो अफमा, अपणा भुजेमागे अमेसि बादलमाणे सहभोवणपरिसेपणपत्ते आवजाचाम्मालिय परिकारहाण अपुग्धाइ मिश्स्य उम्पयवित्तीए अणत्यमियसकणे संघबिए विगिष्ठासमावण अप्पागं असणं या पहिगाहेला आहारमारेमाणे मह पच्छा जाणेजा-अगुग्गए मूरिए अन्यमिए वा, से जच आसयंसि जं च पाणिसि जच पडिम्महे विनियमाणे वा चिसोहेमाणे मा मो 5 आकमा त अपणा सुजमाणे अन्नेसिया बलमागे राइमोपणपडिसेरगपत्ते आयजर चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्याइये ।७। मिक्स् प उम्णयवित्तीए अगस्थभियसंकणे १६७हत्कम मूबी मनिटीपरसागर स्कएकर अत्र उद्देशक: ५ आरब्धः ~10~ Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३५) “बृहत्कल्प” - छेदसूत्र-२ (मूलं) ---------- उद्देश: [५] ------ -------- मूलं [८] ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३५], छेदसूत्र - [२] "बृहत्कल्प" मूलं प्रत सुत्राक दीप असंचदिए निविनिवासमाषणेगं अपाणं अस वा पडिग्गाहेना आहारमाहारेमागे अह पच्छा जागेजा-अणुगए सरिए अत्यमिए पा. से जरासयसि जे च पाणिति जेच पहिगाहे त विगित्रमाणे या विसोहेमाणे वा नाइकमा त अप्पणा मुञ्जमाणे अन्नेसि वा इलमागे राइमो० पाउम्मासियं परिहारहाणं अशुग्याइय।८। मिक्लूय उम्मपवि. सीए अगस्वमियसकामे असंघलिए हिनिच्छासमाचन्ने अप्पाजेणं असणं वा पडिम्बाहेत्ता आहारमाहारेमागे अह पच्छा आमेजा-अगर गरिए अत्यमिए वासेज मुहेच पाणिजिंच पतिगहसिन विगिजमाणे वा चिसोहेमाणे वा न अइकमइ, अपणा भजमाणे अन्नेसिया इलमाणे राइमोषणपडिसपणपत्ते आफ्ना पाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्पाइयं '१४५ ॥९॥ इह खलु निग्गन्धरस या निग्गन्धीए पा रामओ वा बियाले वा सपागे सभीषणे उग्गाले आगच्छेना त पिगित्रमाणे वा चिसोहेमागे वा नो आइपमा उम्गिलिसा पयोगिलमाणे राइभोषणपडिसेवणपणे आवमा चाउम्मासि परिहारहाणं अनुयाइयं '१७७।१०। निग्गन्धरसबगाहापडकल पिटवायपडियाए अपवितसा तो पहिगाईसि से पाणे या बीए पा रए वा परियापजेजातंच संचाएर विगिवितरवा विसोहितएवा तो पुण्यामेव आराय २ विसोहिय तो संजयामेष भनेज बा पिएज वा.चनो संचाएह विगिजनए वा चिसोहेनए ना तनो अप्पणा मुझेजा नो अमेसिवायए एगन्ने रहफासुए परसे पहिले पहिले हित्ता पमजिता परिहया सिया '२१३' 7. 1११॥ निग्गन्धस्स य गाहापनकुन्त पिण्डवायपडियाए अनुष्पविट्ठस्स अंतो पडिग्गामसिदए वा दगरए वादगलिए बा परियाचनेजा सेय उसिगे भोवणजाए परिमोत्तो सिया, से बनो। उसिंग सीए भोपणजाए नो अपणा भुनेजा नो अन्नेसि दाबए एगन्ते बहुपासुए पएसे इंडिले पहिलहिता पगिता परिमेयो सिया "२३५१।१२। निमन्धीए पराओ H पा नियाले वा उचाई या पासपणे वा रिगिनमाणीए वा चिसोहेमाणीए वा अन्नपरे पशुजाइए वा पक्सिजाइए या अग्नयर इन्दियनाथ परामुसेना न च निणन्धी साइलेना हत्य- 24 कम्मपहिलेषणपना आवजह चाउम्बासिय परिहारहाण अणुग्याइयं । १३ । निग्गन्धीए बराओ या विधाले मा उचार वा पासन या विगित्रमाणीए पा विसोहेमानीए पा जन्नयो । पगुजाइए या परिसजाइए वा अन्नयरंसि सोयसि ओगाहेमा संच निग्गन्थी साइनेजा मेहुगपडिसेवणपसा आवाइ चाउम्मासिय परिहारहाण अणुयाइये '२४५१/नो कपा निग्गन्धीएएगाणियाए होत्तए।१५। नो कण्या निम्गन्धीए एनाणियाए माहासकुल भत्ताए या पागाए या निमसामिलाए वा पविसिलए वा।१६।नो कप्पद निग्गन्धीए एगाणियाए पहिया विचारभूमि या विहारभूमि या निक्समिनए या परिसित्तए वा ।१७ नो कम्पा निग्गन्धीए एगाणियाए गामामुगाम इजितए।१८ानो कप्पा निग्गन्धीएम एगाणियाए पासापास परवाए २५१।१९। नो कप्पद निगन्थीए अचेलियाए होत्तए २५६ १२० नो कप्पा निमन्धीए अचाइयाए होतए '२६०२१॥ लोकप्पा निधीए पोसइकाइयाए होलए '२६१२शनो कम्पा निमन्धीए महिया गामस्स बाजाच संनिसस वा उई बाहाजो पगिनिमय २ सूरानिमहाए एगपाइयाए तिचा आधारमाए आयावेगए। २३ कणा से उपस्सवस्म अंता वगहाए संपाहिपाठिवदाएपलवियवाहियाए समतलपाइयाए ठिचा आवाचगाए आचात्तए २६९२४ानो कप्पा निग्गन्धीए ठागाइयाए होलए ।२५ानो कप्पा निम्मन्धीए पदिमहादयाए होतए । २६ । नो छल्पा निम्मन्मीए अडियासगियाए होत्तए । २७ । नो कपणा निग्गन्धीए मेसिमियाए होलए ।२८ानो कप्पा निमन्त्रीए बीरासणियाए होतए । २९ । नो कयह निग्गन्थीए दण्डासणियाए होतए । ३.1नो बप्पा निमाथीए समसाइयाए होलाए ।३१। नो कपट निम्गन्धीए ओमंधियाए होनए।३२।नो का निमान्धीए उत्सानियाए ओलए 1121नो कप्पा निमान्धीए अम्बजियाए होतए।३४ानो कम्पा निम्मपीए एगपासिचाए होलए '२८११३५ नो कम्पा निमान्धी आउनगपागं धारेत्तए चा परिहरिनए बा।३६। कप्पा निगन्याणं आठरापगं धारेलए पा परिहरिसए बा ।३७ नो कप्पा निग्गन्धी साबस्सयंसि जाससि चिहिलाए या निसीहतए वा आमदत्तए पातुपहिचए पा।३८ा कप्पड़ निगान्धाणे सावरससि आसनसि विद्वितए वा निसीहतए कामासदत्तए पातपहिलए का। १९ नो कापा निम्गन्धीर्ण सविसामंसि फरमसि वा पीसि मा जाप तुपहिलए था। ४७ | अप्पट निमगन्धा जाप नुबहिनए वा '२८९४ नोकपा निगान्धीण सवेष्टय साउथ धारेत्तए वा परिहरितएवा४शकायत निगन्धान सबेष्टय लाउयं धारेचए या परिहस्तिर वा २९.४ानो कप्पद निग्गन्धीणं सवेष्टया पायकेसरिया पारेतए वा परिहरितए वा ।४५० कप्पा निग्गन्याणं सवेष्टया पायकेसरिया धारेत्तए पा परिहरितए वा '२९१ मामो कप्पा निग्मन्धी रावण्ड पायमला धारेलए वा परिहरिनए चावासमा निम्मन्याणं दारवयं पाया धारेनए वा परिहरितए ना २९२४ नो कापड निरगंयागमा निम्नयीण वा असमास मोर्य आइलए पा आयमिनए वा नन्नत्य आगादानागादेसु रोगायकेतु ३१२।४८ानो कप्पद निग्गन्याण पा निग्गन्धीण वा पारिवासियत आहाररस जाच तपप्पमागमेत्तमविभूइपमाणमेत्तमपि बिंदुपमाणमेतमपि आहारमाहारेगए, नन्नत्य आगादानागावेसु रोगायोसु ३२८१४९ नो कप्पर निम्मन्याण का निमान्यीय वा पारिवासिए बालेवणजाएणं गाया (२५२) १६८रहस्कम्पाउरो-५ मुनि दीपरनसागर अनुक्रम [१५०] ~ 11~ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगम (३५) प्रत सूत्रांक [ ५३ ] दीप अनुक्रम [१९५से -२१५] vvvv “बृहत्कल्प” छेदसूत्र- २ (मूलं ) उद्देश: [१६] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....... अत्र उद्देशकः ६ आरब्धः एवं परिसमाप्तः - www........ • ...आगमसूत्र [३५], छेदसूत्र [२] मूलं [ ५३, १-२०] "बृहत्कल्प" मूलं आलिम्पिए वा विपिनए वा नन्नन्ध आगाढानागादेहि रोगायकेहि ३४० । ५० नो कप्पड़ निग्ान्याण या निगन्धीण या पारिवासिए वा पण या नवणीएण वा बसाए वा गाबाई अन्भङ्गिनाए या मक्लेनए वा नन्वत्थ आगादानागादेहि रोगायकेहिं (नो कप नियन्याण या निग्गन्धीण वा ककेण वा लोण वा पण या अभयरण जगाया उलेन वा नए वा नवत्य आगादानागादेहि रोगायर केहि ३४८ ५१ परिहारकापट्टिए भिक्खु बहिया थेराणं यडिया से आहचानं च थेरा जागेजा. अपणो आगमेणं अन् वातिए सोचा तो पच्छा नस्स हासए नाम चहारे पट्टचियये सिया ३६२ । ५२ । निम्बन्धीए य गाहा कुपिण्डापडिया अणुष्पविहार अपरे पुरागमने पडिग्गाहिए सिया साय संचरना कप्पड़ से नहिक्स नेणेव मत्तणं पजोसवेनाए. नो से कप्पद दोपि माहाकुल पिण्डवायपडियाए पविसिनए सायनो संचरेजा एवं से कप्प दीप माहाकुलं पिण्डवायपडियाए मनाए वा पाणाए वा निक्लमिनए वा परिसिनाए बनि बेमि ३७५' ॥५३॥ पञ्चमो उस ५ ॥ नो कप्पड निरगस्थाण वा निम्गन्धीण वा इमाई छानीय विविणे फसवणे गारवयवय विओ पियवा पुणो उदाए ६९१ छपस पत्या पाणाइवायम्स वा वयमाणे मुसावायरस वा वयमाणे अदिन्नादाणस्स वार्य वयमाणं विरयवाय वयमाणे अपुरिसवायं वज्रमाणे दासवायं वयमाणे इथेए कप्परस उप्पत्धार पत्थरेना सम्म अपरिमाणे नाणपत सिया ९९ |२| निधस्त य आहे पार्यसि खाए वा बंटाए वा हीरे वा सका पति निमांनो संचाएगा नीहरिए वा विसोहनए वा नं निग्ांची नीरमाणी या विसोमाणी वा नाइकमह निर्वाचन वारएवा परिवारजेा निधन संचाएगा नीलिए वा विसोहनए वा. निम्मंधी नहरमाणी या विसोमाणी वा नाइकम ४ निधीए य आहे पासिखाए वा कटाए या हीरे या सकरे या परियाजनं च निधी न सचाएजा नीहरिनए वा विसाए वा नच निमधेनीहरमा वासामा वा नाइकम ५ निधीय असि पाने वा बीए वा रए वा परियावा तं च निग्गंधी नी संचाए नीहरिनए वा विसोहेनए वा नच निर्मानीहरमा वा चिसोमा वा नाइकम ११८६ | निनिधि दुसया सिमंतिया पचसि वा पक्वलमाणि वा पडमाणि या गेष्मा या अवलम्यमाणे वा नाइकम ७ निधि निधि सेयंसि वा पंसि वा पणसिवा उदयंसि वा ओकसमाणि वा समाणि या गेमा वा अम्माने वा नाइकम ८ निमांचे निमांच नाव आरभमाणि वा आमाणि या गेष्हमाणे वा अम्माने या नामद '१३१।९। निचित निधि निर्माचे निष्हमाणे वा वा वा नातिकमनि ९७८ १० दिनचित निधिनि मायामा नाइकम १९३ । ११ । जक्वाइ० । १२ । उम्मापन १३ उवसग्गपतं । १४ साहिगरणं १५ सपा १६ मन्नपानपटिया १७ असा निर्माय निर्मा गेमा वा अम्यमाणे वा नाइकम २४८ । १८ कम्पस पनि कोकुए संजयस्स पतिमं मोहरिए सम्पतिमं निन्निलिए एसणागोवरम्स पलि मंधू चललए ईरियावहियाए पतिमं इच्छालोमे मुत्तिमास्त्र पलिमंधू मिजानियाण करणे मोम पलमंधू सन्या अनियानया सथा २८६ । १९ । हा कप्पा पं० [सं० सामाइयजयप्प ओवापणियसंजयकापट्टि निमाणका निकायकापट्टि जिसकापट्टिई बेकम्पनिमि ४२८ २०१ छट्टो उद्देसओ ६॥ इति श्रीबृहत्कल्पच्छेद राष्ट्रमंडले पादटिमपुरे श्री सिद्धा हिङ्गिकागनशिलोत्कीर्णसकलागमोपेत श्री वर्धमान जैनागममंदिरे शिलायामुत्कीर्ण श्रीवीरस्य २४६८ ~ 12 ~ peop मुनिश्री दीपरत्नसागरेण पुनः संपादितः (आगमसूत्र ३४ ) “बृहत्कल्प” परिसमाप्तः Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः 35 पूज्य आगमोध्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरेण संशोधित: संपादितश्च। “बृहत्कल्प-छेदसूत्र” [मूलं एव] (किंचित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: "बृहत्कल्प” मूल” नामेण / परिसमाप्त: Remember it's a Net Publications of jain_e_library's' ~13~