Book Title: Aagam 13 RAJPRASHNIYA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ आगम (१३) “राजप्रश्निय”- उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्तिः ) ----------- मूलं [१-२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१३], उपांग सूत्र - [२] "राजप्रश्नीय" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्रांक [२] दीप अनुक्रम दरिसणिजे अभिरुवे पहिरवे ' तत्र प्रसादीयं-कृष्णावभासत्वादिना गुणेन मनःप्रसादहेतुत्वादर्शनीयं चक्षुरानन्दहेतुत्वात् , अभि-3 रूपप्रतिरूपशब्दार्थः प्राग्वत् , तत उक्तं-'जाव पडिरूवे ॥२॥ अमायबरपायवपुढविसिलावट्टयवनव्वया उववातियगमेणं नेया (सू० ३)॥ अशोकवरपादपस्य पृथिवीशिलापट्टकस्य च वक्तव्यता औषपातिकग्रन्धानुसारेण ज्ञेया, सा चैव तस्स णं वणसंडस्स बहुमज्झदेसभाए इत्य णं महं एगे असोगवरपायचे पन्नते जाव पडिहवे, से णं असोगवरपायचे अन्नेहिं बहूहिं तिलएहिं जाब नंदिरुक्षेहि। सबओ समता संपरिकारिखते, ते णं तिलगा जाव नन्दीरुक्खा कुसबिकुसविसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमतो जाव पडिरूवा, ते गं तिलगा जाच नंदिरुक्खा अन्नाहिं वहहिं पउमलयाहि नागलयाहिं असोगलयाहिं चंपगलयाहिं चूयलयादि वणलयाहि वासंनियमलयाहि अइमुत्तयलयाहिं कुंदलयाहि सामलयाहिं सन्चतो समंता संपरिखित्ता, ताओ पउपलयाओ जाव सामलयाओ नियं कुसुमियाओ जाव पडिरूवाओ, तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरिं बहवे अट्ठमंगलगा पन्नत्ता, तंजहा-सात्थियं सिरिवच्छ नंदियावत्त बद्धमाणग भदासण कलस ममल दपणा सन्नरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा घट्टा मट्ठा णीरया निम्मला निप्पंका निकंकढच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासादीया दरसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा, तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरिं बहवे किण्ड चामरज्झया नीलचामरज्या लोहियचामरज्झया हालिदचामरज्झया सुकिल्लचामराया अच्छा सहा लण्हा रूप्पपट्टा बहरामयदंडा Kजलयामलगंधिया सूरम्मा पासाइया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा, तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरि बहवे छत्ताइछत्ता पडागाइ-12 पडागा घंटाजुयला चामरजुयला उप्पलइत्थगा पउमहन्थगा कुमुयइत्थगा णलिणहत्यगा सुभगहत्थगा सोगंधियहत्थगा पोंडरियहन्थगाने [२] SantairatnaSNA अशोकवृक्षस्य वर्णनं ~ 10~

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 304