Book Title: Aadinath Charitra
Author(s): Pratapmuni
Publisher: Kashinath Jain Calcutta

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Page 571
________________ आदिनाथ-चरित ५४६ प्रथम पर्व "हे विश्वसेन राजाके कुलभूषण स्वरूप, अचिरादेवीके पुत्र शान्तिनाथ भगवान् ! तुम मेरे कर्मोंकी शान्तिके निमित्त होओ। "हे शूर राजाके वंशरूपी आकाशमें सूर्य के समान, श्रीदेवीके उदरसे उत्पन्न और कामदेवका उन्मथन करनेवाले जगत्पत्ति कुन्थुनाथजी ! तुम्हारी जय हो । "सुदर्शन राजाके पुत्र, और देवी - माता- रूपिणी शरदुलक्ष्मो में कुमुदके समान अरनाथजी ! तुम मुझे संसारसे पार उतरनेका वैभव प्रदान करो । “हे कुम्भराजा-रूपी समुद्र में अमृत कुम्भके समान और कर्म - क्षय करने में महामलुके समान प्रभावती देवीसे उत्पन्न मल्लिनाथजी तुम मुझे मोक्षलक्ष्मी प्रदान करो। "हे सुमित्र - राजा - रूपी हिमाचल में पद्मद्रहके समान और पद्मावती के पुत्र मुनिसुव्रत प्रभु! मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ । " हे वप्रादेवी रूपिणी वज्रकी खानसे निकले हुए वज्र के समान, विजय राजाके पुत्र और जगत्ले वन्दनीय चरण-कमलों वाले नमिप्रभु! मैं तुम्हें नमस्कार करता हूँ । "हे समुद्र ( समुद्रविजय ) को आनन्द देनेवाले चन्द्रमाके समान, शिवादेवीके पुत्र और परम दयालु, मोक्षगामी अरिष्टनेमि भगवान ! मैं तुम्हें नमस्कार करता हूँ । "हे अश्वसेन राजाके कुलमें चूड़ामणि स्वरूप, वामादेवीके पुत्र पार्श्वनाथजी ! मैं तुम्हें नमस्कार करता हूँ । "हे सिद्धार्थ राजाके पुत्र, त्रिशला माताके हृदयको आश्वासन

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