Book Title: Agam 37 Chhed  04 Dashashrut Skandh Part 02 Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री दशाश्रुतस्कंध सूत्र-२ ॥श्री आगम-गुण-मञ्जूषा॥ ॥श्री.मागम-गुण-४५।।। 11 Sri Agama Guna Manjusa 11 (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू.आ.भ.स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOROS555555555555555555555555555 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 555555555555555555555555555QUOTE | ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय | ११ अंगसूत्र के जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है। द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यत: धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको शत्रुजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती 5 कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। है। श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान में विद्यमान है । १८० श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त मुख्य विषय रहा है। करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी मे भी है । कुलमिला के इसके २०० श्लोक है। संग्रहग्रंथ है । एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया मे उपलब्ध है। धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है। श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र (भगवती सूत्र) :- यह सबसे बडा सूत्र है, इसमे ४२ १२ उपांग सूत्र शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ मे प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है । इस मे चंपानगरी किया है। प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुइ है। चारो अनुयोगो कि बाते का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। श्री राजप्रश्नीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है। २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। १७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको Gorak45555555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा G555555555555555555555555555555ory OG5555555555555555555555555555555555555555555555553535959595959OLICE Gan Education Interna rnww.iainelibrary.orp) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३) श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है। जीव और अजीव के बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताई है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पन्नवणासूत्र के ही पदार्थ है। यह आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय ४) श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है। इसमे ३६ पदो का वर्णन है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। ५) ६) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, २२०० श्लोक है। ७) श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है । ६ आरे के स्वरूप बताया है । ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। ९) ८) श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे गये उसका वर्णन है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्मकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है। चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। १२) श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली परचक भी कहते है। दश प्रकीर्णक सूत्र १) श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है । २) श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना और मृत्युसुधार ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार ( १ ) भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है । ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन है । इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। ७) श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने में समजाया गया है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित अन्य बातों का वर्णन है। १०) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। MO६५६६५६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ श्री आगमगुणमंजूषा H Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐乐乐玩玩乐乐听听听听听听圳坂圳乐乐听听听听的 १०८) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबधित बड़े ग्रंथो का सार है। ३) उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। श्री नियुक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में ७ है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ नियुक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं । पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताइ हें। ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं। छह छेद सूत्र श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बडे सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रात: एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है । अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि असे करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत क उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे * मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रंन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। चार मूल सूत्र श्री दशवकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए रतिवाक्या व, विवित्त चरिया नाम से दी हैं । इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गइ है । अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पड़ती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम्॥ श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। ) Gain Education International 2010_03 Mora :58498499934555555555; आगमगुणमजूषा-5555555555555555555555555 ) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKO ALLA RURU RAREO ai i ferox (9) (3) KC国乐国为乐明明明明明明明明乐明明明明明F%%%%明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明军5B Introduction 45 Agamas, a short sketch I Eleven Angas : Acäränga-sutra : It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 ślokas. Sayagadanga-sutra : It is also known as Sütra-Kytänga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 ślokas. Thápānga-sūtra : It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 ślokas. Samavāyanga-sutra : This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 Slokas. Vyakhya-prajñapti-sutra : It is also known as Bhagavati-sutra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 ślokas. Jäätādharma-Kathanga-sutra : It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 ślokas. Upasaka-dasānga-sutra : It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahavira, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. It is of the size of around 800 Slokas. (8) Antagada-dasänga-sutra : It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vrsni, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akşobhakumara, 6 sons of Devaki, Gajasukumāra, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Krsna, 8 queens like Rukmini. It is available of the size of 800 Slokas. Anuttarovavayi-daśãnga-sútra: It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimana, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumāra and other 9 princes of king Srenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Anagara, etc. It is of the size of 200 ślokas. (10) Prasna-vyakarana-sūtra : It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahāvira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 ślokas. (11) Vipaka-sütrānga-sūtra : It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 ślokas. 图纸娱乐明明明明明明明明明明垢玩垢圳明明听听听听听听听听听听听垢乐明明明明明明明明明听听听听听听听听 (5) (6) (1) II Twelve Upangas Uvaväyi-sütra : It is a subservient text to the Acāranga-sutra. It deals with the description of Campā city, 12 types of austerity, procession-arrival of Koñika's marriage, 700 disciples of the monk Ambada. It is of the size of 1000 ślokas. Rayapaseni-sutra : It is a subservient text to Süyagađanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 ślokas. (7) (2) www.Lainelibrary XXXX XXXXL PITJUGET TOYOX Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ DEFFFFFFFFFFFFFFFFFFFhible Gamin nh* HIFThe ha EEEEEEEEEEEE开F听听听听听听听听明明Ow (3) Jivābhigama-sutra : It is a subservient text to Thāṇānga-sūtra. It one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişadha. deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambo continent and its areas, etc. and the detailed description of the III Ten Payanna-sutras : veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, (1) Aurapaccakhāņa-sūtra : It deals with the final religious practice etc. published recently are composed on the line of the topics of this and the way of improving (the life so that the) death (may be Sutra and of the Pannavaņa-sutra. It is of the size of 4700 Slokas. improved). Pannavaņā-sutra : It is a subservient text to the Samavāyānga- (2) Bhattaparinna-sutra : It describes (1) three types of Pandita death, sätra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 (2) knowledge, (3) Ingini devotee ślokas. (4) Pādapopagamana, etc. (5) Sürya-prajfapti-sutra and (4) Santhäraga-payannā-sutra : It extols the Samstäraka. Candra-prajñapti-sätra : These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the ** These four payannás can also be learnt and recited by the Jain movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, householders. ** northward and the southward solstices, etc. Each one of these Āgamas are of the size of 2200 Slokas. (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Jambadvipa-prajñapti-sutra : It mainly deals with the teaching Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the describes what amount of food an individual soul will eat in his life objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners of 100 years, the human life can be justified by way of practising a (ära). It is available in the size of 4500 Slokas. religious life. Nirayávali-pacaka : (6) Candāvijaya-payannā-sūtra : It mainly deals with the religious (8) Nirayávali-sütra : It depicts the war between the grandfather and practice that improves one's death. the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death (7) Devendrathui-payanna-sutra : It presents the hymns to the Lord of king Greñika's 10 sons who attained hell after death. This war is sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpini) (8) Maranasamadhi-payanna-sutra : It describes at length the final age. religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing (9) Kalpāvatamsaka-sutra : It deals with the life-sketches of with death. Kalakumara and other 09 princes of king Sreņika, the life-sketch of (9) Mahäpaccakhāņa-payanna-sutra : It deals specially with what a Padamakumpra and others. monk should practise at the time of death and gives various beneficial (10) Pupphiya-upanga-sutra : It consists of 10 lessons that covers the informations. topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikā, (10) Gaņivijaya-payanna-sūtra : It gives the summary of some treatise Purnabhadra, Manibhadra, Datta, sila, Bala and Aņāddhiya. on astrology (11) Pupphacultya-upanga-sutra : It depicts previous births of the 10 These 10 Payannās are of the size of 2500 ślokas. queens like Sridevi and others. Besides about 22 Payannās are known and even for these above (12) Vahnidaśa-upanga sätra : It contains 10 stories of Yadu king 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra Andhakavrşni, his 10 princes named Samudra and others, the tenth is taken, by some, in place of the Candāvijaya of the 10 Payannās. 明明明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐手乐乐乐乐乐明與乐乐乐乐乐乐乐乐FFFF乐乐乐明 XOXOFF $ farmark ** F YOX Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *********** IV Six Cheda-sūtras ********** (2) Nisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-sutra, YU MUNU AM VIÀO QUN ********¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶ (1) Vyavahara-sutra, (3) Mahānisitha-sutra, (5) Daśāśruta-skandha-sūtra and (6) Bṛhatkalpa-sūtra. These Chedasûtras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. V Four Malasitras (1) Daśavaikalika-sutra: It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Cūlikäs called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthulabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahāvideha region and received four Culikās. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra: It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Pifaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. (4) Avasyaka-sutra: It is the most useful Agama for all the four groups 2010 03 of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are (1) Samayika, (2) Caturvimśatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kayotsarga and (6) Paccakhāṇa. VI Two Culikäs (1) Nandi-sütra: It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirthankaras and 11 Gaṇadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Ślokas. (2) Anuyogadvara-sutra: Though it comes last in the serial order of the 45 Agamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 Ślokas. ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶__¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ C%%%% % %%%% %% %%% %%% 319/slid Ruaud $%%%%%% % %%% %% OS આગમ - ૩૯ - ૨ ધર્મકથાનુયોગમય કલ્પસૂત્ર - ૩૯ અધ્યયન ----- - - ઉપલબ્ધ મૂલપાઠ – ૧૨૧૫ શ્લોક પ્રમાણ ગદ્યસૂત્ર ----- -- - -- ૩૧૨. પદ્યસૂત્ર ગાથા ----------------- ૧૪ ACF明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐乐乐乐乐C OO乐乐乐乐乐乐乐乐玩玩乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听2 આ સૂત્રના એક જ અધ્યયનના આરંભમાં પંચપરમેષ્ટીને નમસ્કાર કરીને ભગવાન મહાવીરના જીવનચરિત્રમાં ભગવાન મહાવીરનું દેવલોકમાંથી ચ્યવન, માહણકુંડ ગામમાં ઋષભદત્ત બ્રાહ્મણની પત્ની દેવાનંદાને ૧૪ સ્વપ્ન વગેરે વર્ણન કરીને હરિણગમૈષી દ્વારા ક્ષત્રિયકુંડ ગામમાં રાજા સિદ્ધાર્થની રાણી ત્રિશલામાં ગર્ભપલટો, ત્રિશલાને ૧૪ સ્વપ્નો, સ્વપ્નશાસ્ત્રીઓને આમંત્રણ, તેમના દ્વારા ૭૨ સ્વપ્નો અને તેના ફળ નું કથન,તીર્થકર અને ચક્રવર્તીને ૧૪ સ્વપ્નો વગેરે વર્ણન કરીને ગર્ભની સ્થિરતાને લીધે ત્રિરાલાનો વિલાપ વગેરે વર્ણન છે. ભગવાન મહાવીરનો અભિગમ અને કાળક્રમે જન્મ, મહોત્સવમાં ૫૬ દિકકુમારીઓ તેમજ ઈન્દ્રો અને દેવદેવીઓનું આવાગમન, ભગવાનના પરિવારજન જેવાં કે માતા-પિતા, કાકા, ભાઈ વગેરેના નામો સહિત વર્ણન, વર્ધમાન એવું નામકરણ, ભગવાન દ્વારા વર્ષીદાન, ઠીક્ષા ગ્રહણ તેમજ તેમણે સહન કરેલાં ઘોર ઉપસર્ગોનું વર્ણન, તે પછી કેવળજ્ઞાન, સંઘ સ્થાપના, ચતુર્વિધ સંઘરચના, ભગવાન મહાવીરનો નિર્વાણકાળ વગેરે વર્ણવીને આ કલ્પસૂત્રનો લેખનકાળ જણાવ્યો છે. તે પછી ભગવાન પાર્શ્વનાથના જીવન ચરિત્રવર્ણન માં તેમના પાંચ કલ્યાણકનું CHHMMMMFFFFF A Wા લrગમગુovમંજૂષા - F F S F KH HK FHE F કરે છે Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋虽卐卐卐卐 n grell UL 卐卐卐蛋蛋蛋卐卐馬馬馬馬馬馬馬馬蛋蛋配 સંગ વર્ણન કરીને વારાણસીમાં રાજા અયોનની રાણી વામાના ઉદરમાં ભગવાન પાર્શ્વનાથનું ચ્યવન, રાણીને ૧૪સ્વપ્નો, પ્રભુનો જન્મ, વર્ષીદાન, દીક્ષા અને ૮૩ દિવસના ઉપસર્ગ સહનકાળના અંતે કેવળજ્ઞાન, ચતુર્વિધસંઘ, છદ્મસ્ય સંખ્યા વગેરેના વર્ણન પછી ભગવાન પાર્શ્વનાથનો નિર્વાણકાળ અને સર્વાયુનું વર્ણન છે. તે પછી ભગવાન અરિષ્ટ નેમિનાથના પાંચ કલ્યાણકો, ભગવાન અરિષ્ટ નેમિનાથના આત્માનું રાજા સમુદ્રવિજયની રાણી શિવાના ઉદરમાં ચ્યવન, ૧૪ સ્વપ્નોનું દર્શન વગેરેથી લઈ સર્વાયુ સુધીનું વર્ણન, તેમજ અંતે ભગવાન અરિષ્ટ નેમિનાથથી માંડીને અજિતનાથ સુધીના ૨૦ તીર્થંકરોના વર્ણન પછી દરેકના વાચનાકાળ આપવામાં આવ્યા છે. ત્યાર પછી ભગવાન ઋષભદેવના પાંચ કલ્યાણકો, તેમના આત્માનું દેવલોકમાંથી રાજા ભરતની રાણી મરુદેવાના ગર્ભમાં ચ્યવન, ૧૪ સ્વપ્નોનું વર્ણન, જન્મોત્સવ, કુમારજીવન, રાજ્યકાળ, કળા અને શિલ્પનો ઉપદેશ, ૧૦૦ પુત્રો અને તેમનો રાજ્યાભિષેક, વર્ષીદાન અને પછી અણગાર પ્રવ્રજ્યા, કેવળજ્ઞાન, ચતુર્વિધ સંઘપરિવાર અને નિર્વાણકાળ જણાવી ક્લ્પસૂત્રનો વાચનાકાળ જણાવ્યો છે. તે પછી ભગવાન મહાવીરના નવ ગણો અને ૧૧ ગણધરો, તેમના ગોત્ર, આગમજ્ઞાન અને નિર્વાણકાળ બતાવીને સ્થવિરાવલી એટલે કે સ્થવિરોના કુળ, ગોત્ર, શાખા વગેરે (વિશેષ માટે જુઓ – ભગવતી સૂત્રનો ભાવાર્થનું પહેલું પાન) વર્ણન છે. અંતે સાધુ–સમાચારીમાં ભગવાન મહાવીર સ્વામીનો વર્ષાવાસનો નિશ્ચય, એનો અવગ્રહ ક્ષેત્ર, ભિક્ષાચર્યા ક્ષેત્ર, નદીપારના વિધિ-નિષેધ, વગેરેનું વિસ્તૃત વર્ણન કરીને પાંચ પનક સૂક્ષ્મ, પાંચ બીજસૂક્ષ્મ વગેરે આઠ સૂક્ષ્મ, લોચ અને એનું વિધાન અને વિકલ્પો, ભિક્ષાચર્યાના દિશા અભિગ્રહ જણાવી સમાચારીની આરાધનાથી નિર્વાણ પ્રાપ્તિના કથનથી ઉપસંહાર કરવામાં આવ્યો છે. TONINA A A A श्री आगमगुणमंजूषा - ५२ 五五五五五五五五57193 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 20 [?] फ्र (३९-२) दसासुयक्खंधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र ) सरि उसहदेव सामिस्स णमो । सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो । नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो । सिरि सुगुरु देवाणं णमो । १४ पूर्वधर श्रीभद्रबाहुस्वामि विरचित श्रीकल्पसूत्र - (श्री बारसासूत्र ) 555 नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो लोए सव्वसाहूणं ॥ एसो पंचनमुक्कारो सव्वपावप्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं होइ मंगलं ||१|| तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पंचहत्थुत्तरे हुत्था, तं जहा हत्थुत्तराहिं चुए, चइता गब्भं वक्कंते १ हत्थुत्तराहिं गब्भाओ गब्भं साहरिए २ हत्थुत्तराहिं जाए ३ हत्थुत्तराहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पब्वइए ४ हत्थुत्तराहिं अणंते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुन्ने केवल वरनाणदंसणे समुपन्ने ५ साइणा परिनिव्वुए भयवं ६ ||२|| तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जे गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे आसाढसुद्धे तस्स णं आसाढसुद्धस्स छट्ठीपक्खेणं महाविजय - पुप्फुत्तरपवरपुंडरीयाओ महाविमाणाओ वीसं सागरोवमट्ठियाओ आउक्खणं भवक्खणं ठिइक्खएणं अनंतरं चयं, चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्डूभरहे इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए विइक्कंताए १, सुसमाए समाए विइक्कंताए २ सुसमदूसमाए समाए विइक्कंताए ३; दूसमसुसमाए समाए बहुविइक्कंताए- सागरोवमकोडाकोडीए वायालीसवाससहस्सेहिं ऊणिआए पंचहत्तरिवासेहिं अद्धनवमेहिं य मासेहिं सेसेहिं इक्कवीसाए तित्थयरेहिं इक्खागकुलसमुप्पन्नेहिं कासवगुत्तेहिं, दोहि य हरिवंसकुलसमुप्पन्नेहिं गोयमसगुत्तेहिं, तेवीसाए तित्थयरेहिं विइक्कंतेहिं, समणे भगवं महावीरे चरमतित्थयरे पुव्वतित्थयरनिद्दिट्टे माहणकुंडग्गामे नयरे उसभदत्तस्स माहणस्स कोडाल सगुत्तस्स भारिआए देवानंदाए माहणी जालंधरसगुत्ताए पुव्वरत्ता वरत्तकालसमयंसि हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आहारवक्कंतीए, भववक्कंतीए, सरीवक्कंतीए; कुच्छिसि भत्ता वक्कते ॥ ३॥ समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए आविहुत्था-चइस्सामित्ति जाणइ, चयमाणे न जाणइ, चुएमित्ति जाणइ ॥ जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्कंते तं रयणिं च णं सा देवाणंदा माहणी सयणिज्जंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ इमेआरूवे उराले कल्लाणे सिवे धन्ने मंगल्ले सस्सिरीए चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा-गय-वसह सीह - अमिसेअदाम-ससि - दिणयरं-झयं-कुंभं । पउमसरसागर-विमाणभवण-रयणुच्चयसिहिं च || १ || ४ || तए णं सा देवाणंदा माहणी इमे एयारुवे उराले कल्लाणे सिवे धन्ने मंगल्ले सस्सिरीए चउद्दस महासुमि पासित्ताणं पडिबुद्धा समाणी हट्ठतुट्ठचित्तमाणंदिआ पीइमणा परमसोमणस्सिआ हरिसवसविसप्पमाणहियया धाराहयकलंबुगंपिव समुस्ससिअरोमकूवा सुमिणुग्गहं करेs, सुमिणुग्गहं करित्ता सयणिज्जाओ अब्भुट्ठेइ, अब्भुट्ठित्ता अतुरिअमचवलमसंभंताए अविलंबिआए रायहंससरिसीए गईए जेणेव उसभदत्ते माहणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उसभदत्तं माहणं जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावित्ता सुहासणवरगया आसत्था वीसत्था करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंक एवं वयासी ॥५॥ एवं खलु अहं देवाणुप्पिआ ! अज्ज सयणिज्जंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ इमेआरुवे उराले जाव सस्सिरीए चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा-गय- जाव- सिहिं च || ६ || एएसिं णं उरालाणं जाव चउदसण्हं महासुमिणाण के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ?, तए णं से उसभदत्ते माहणे देवाणंदाए माहणीए अंतिए एअमट्टं सुच्चा - निसम्म हट्ठतुट्ठ जाव हिअए धाराहयकलंबु पिव समुस्ससियरोमकूवे सुमिणुग्गहं करे, करिता अणुपविसर, अणुपविसित्ता अप्पणो साभाविएणं मइपुव्वएणं बुद्धिविन्नाणेणं तेसिं सुमिणाणं अत्थुग्गहं करेइ, करित्ता देवाणदं माहणि एवं वयासी ॥ ७॥ उराला णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, कल्लाणा सिवा धन्ना मंगल्ला सस्सिरिआ आरोग्ग-तुट्ठि दीहाउ - कल्लाण- मंगल्लकारगा णं तुमे देवाणुप्पिए! सुमिणा दिट्ठा, સૌજન્ય :- માતૃશ્રી લીલબાઈ વેરશી વાઘા પરિવાર નાગલપુર (કચ્છ) ह. जीन्हुजेन जीडेश कुमार (रायएस) मेरा उना लुंला जीयरानी हीडरी खोभीमा घारशी घेतालाई (नपापास) (९२६) A श्री आगमगुणमंजूषा १५४३ Xx &PersonatUserOnly Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR95555555555555 (३९-२) दसासुयक्खधं कप्पसूयं (बारसासूत्र) [२] 5555555555230) C%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 तंजहा-अत्थलाभो देवाणुप्पिए!, भोगलाभो देवाणुप्पिए!, पुत्तलाभो देवाणुप्पिए!, सुक्खलाभो देवाणुप्पिए!, एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए! नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अद्धट्ठमाणं राइंदिआणं विइक्वंताणं सुकुमालपाणिपायं अहीणपडिपुन्नपंचिदियसरीरं लक्खणवंजणगुणोववे अं माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसव्वंगसुंदरंगं ससिसोमाकारं कंतं पिअदंसणं सुरुवं देवकुमारोवमं दारयं पयाहिसि ॥८॥ सेविअ णं दारए उम्मुक्कबालभावे विन्नायपरिणयमित्ते जुव्वणगमणुपत्ते रिउव्वेअ - जउव्वेअ - सामव्वेअ - अथव्वणवेअ - इतिहासपंचमाणं निग्धंटुछट्ठाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं चउण्डं वेआणं सारए, पारए, धारए, सडंगवी, सद्वितंतविसारए, संक्खाणे सिक्खाणे सिक्खाकप्पे वागरणे छंदे निरुत्ते जोइसामयणे अन्नेसुअ बहुसु बंभण्णएसु परिव्वायएसु नएसु सुपरिनिट्ठिए आविभविस्सइ ॥९॥ तं उराला णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, जाव आरुग्ग-तुट्ठिदीहाउय-मंगल्लकल्लाण-कारगा णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठत्ति कट्ट भुज्जो भुज्जो अणुवूइह ॥१०|| तए णं सा देवाणंदा माहणी उसभदत्तस्स अंतिए एअमढे सुच्चा-निसम्म हट्ठतुट्ठ जाव हियया जाव करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिंकट्ट उसभदत्तं माहणं एवं वयासी ॥११।। एवमेयं देवाणुप्पिआ ! तहमेयं देवाणुप्पिआ ! अवितहमेयं देवाणुप्पिआ ! असंदिद्धमेयं देवाणुप्पिआ ! इच्छियमेअं देवाणुप्पिआ ! पडिच्छिअमेअंदेवाणुप्पिआ! इच्छियपडिच्छियमेअंदेवाणुप्पिआ ! सच्चेणं एसमढे से जहेयं तुब्भे वयहत्ति कट्टते सुमिणे सम्म पडिच्छइ, पडिच्छित्ता उसभदत्तेणं माहणेणं सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरइ ॥१२॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के देविदे देवराया वज्जपाणी पुरंदरे सयक्कऊ सहस्सक्खे मघवं पागसासणे दाहिणड्ड-लोगाहिवई एरावणवाहणे सुरिदे बत्तीसविमाणसयसहस्साहिवई अरयंबरवत्यधरे आलइअमालमउडे नवहेमचारुचित्तचंचलकुंडलविलहिज्जमाणगल्ले महिड्डिए महजुइए महाबले महायसे महाणुभावे महा-सुक्खे भासुरबुंदी पलंबवण-मालधरे सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिसए विमाणे सुहम्माए सभाए सक्कंसिसीहासणंसि, सेणं तत्थ बत्तीसाए विमाणवाससयसाहस्सीणं, चउरासीए सामाणिअ-साहस्सीणं, तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं, चउण्हं लोगपालाणं, अट्ठण्हं, अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिसाणं, सत्तण्हं अणीआणं, सत्तण्हं अणीआहिवईणं, चउण्णं चउरासीए आयरक्खदेवसाहस्सीणं, अन्नेसिंच बहूणं सोहम्मकप्पवासीणं वेमाणिआणं देवाणं देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणा-ईसर-सेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महया-हय-नट्टगीय-वाइअ-तंती-तलताल-तुडिय-घणमुइंग-पडुपडह-वाइय-रवेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ ॥१३॥ इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे २ विहरइ, तत्थणं समणं भगवं महावीरं जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्ड-भरहे माहणकुंडगामे नयरे उसभदत्तस्समाहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्वंतं पासइ, पासित्ता हट्ठ-तुट्ठ-चित्तमाणंदिए णदिए परमानंदिएपीअमणे परमसोमणस्सिए ॐ हरिसवस-विसप्पमाणहियए धाराहयनीवसुरभिकुसुम-चंचुमालइय-ऊससियरोम-कूवे विकसिय-वरकमल-नयणवयणे पयलियवरकडग-तुडिय-केऊर-मउड कुंडल-हारविरायंतवच्छे पालंब पलंबमाण-घोलंत भूसणधरेससंभमं तुरिअंचवलं सुरिद सीहासणाओ अब्भुढेइ, अब्भुद्वित्तापायपीढाओपच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता वेरुलियवरिट्ठ-रिटुंजण-निउणोवि (वचि) अमिसिमि-सिंतमणिरयण मंडिआओ पाउयाओ ओमुअइ, ओमुइत्ता एगसाडिअं उत्तरासंगं करेइ, करित्ता अंजलिमउलि-अग्गहत्थे तित्थयाभिमुहे सत्तट्ठ पयाइं अणुगच्छइ, सत्तट्ठ पयाइं अणुगच्छित्ता वामं जाणुं अंचेइ अंचित्ता दाहिणं जाणुं धरणिअलंसि साहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलंसि निवेसेइ निवेसित्ता ईसिंपच्चुन्नमइ, पच्चुण्णमित्ताकडग-तुडिअथंभिआओ भुआओ साहरेइ, साहरित्ता करयलपरिग्गहिअंदसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट एवं वयासी ॥१४|| नमुत्थु णं अरिहंताणं भगवंताणं, आइगराणं तित्थ्यराणं सयंसंबुद्धाणं, पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुंडरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं, लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपज्जोअगराणं, अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं सरणदयाणं जीवदयाणं बोहिदयाणं, है धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं, धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टीणं, दीवो ताणं, सरणं गई पइट्ठा अप्पडिय-वरनाणदंसणधराणं विअट्टछउमाणं, जिणाणं जावयाणं, तिन्नाणं तारयाणं, बुद्धाणं बोहयाणं, मुत्ताणं मोअगाणं; सव्वण्णूणं, सव्वदरिसीणं, सिव-मयल-मरुअ-मणंत-मक्खय-मव्वाबाहROYo5555555555555श्री आगमगुणमंजूषा - १५४ 555555 GO乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听2C Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३९-२) दसासुयक्खंधं कप्पसूर्य (बारसासूत्रं) मपुणरावित्तिसिद्धिगइ-नामधेयं ठाणं संपत्ताणं, नमो जिणाणं जियभयाणं ॥ नमुत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स आइगरस्स चरमतित्थयरस्स पुव्वतित्थयरनिद्दिट्ठस्स जाव संपाविउकामस्स || वंदामि णं भगवंतं तत्थ गयं इह गए, पासइ मे भगवं तत्थ गए इह गयं तिकट्टु समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने । तए णं तस्स सकस्स देविदस्स देवरन्नो अयमेआरुवे अब्भत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था ॥१५॥ न खलु एयं भूअं, न एवं भव्वं, न एयं भविस्सं, जं णं अरिहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा अंतकुलेसु वा पंतकुलेसु वा तुच्छकुलेसु वा दरिद्दकुलेसु वा विणकुलेसु वा भिक्खागकुलेसु वा माहणकुलेसु वा आयाइंसु वा आयाइंति वा आयाइस्संति वा ॥ १६ ॥ एवं खलु अरहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा उग्गकुलेसु वा भोगकुलेसु वा राइण्णकुलेसु वा इक्खागकुलेसु वा खत्तियकुलेसु वा हरिवंसकुलेसु वा अन्नयरेसु वा तहप्पगारेसु विसुद्धजाइ कुलवंसेसु आयाइंसु वा आयाइंति वा आयाइस्संति वा ||१७|| अत्थि पुण एसेऽवि भावे लोगच्छेरयभूए अणंताहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं विइक्कंताहि समुप्पज्जइ, (ग्रं. १००) नामगुत्तस्स वा कम्मस्स अक्खीणस्स अवेइअस्स अणिज्जिण्णस्स उदएणं जं णं अरहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा अंतकुले वा पंतकुलेसु वा तुच्छकुलेसु वा दरिद्दकुलेसु वा भिक्खागकुलेसु वा किवण कुलेसु वा आयाइंसु वा आयाइंति वा आयाइस्संति वा, कुच्छिंसि गब्भत्ताए वक्कमिसु वा वक्कमति वा वक्कमिस्संति वा, नो चेव णं जोणीजम्मण-निक्खमणेणं निक्खमिसु वा निक्खमंति वा निक्खमिस्संति वा ॥ १८॥ अयं च णं समणे भगवं महावीरे id दीवे भार वासे माहणकुंडग्गामे नयरे उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालासगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिंसि गब्भत्ताए वक्कंते ||१९|| तं जीअमेअं तीअपच्चुप्पन्न मणागयाणं सक्काणं देविदाणं देवरायाणं अरहंते भगवंते तहप्पगारेहिंतो अंतकुलेहिंतो पंतकुलेहिंतो तुच्छकुलेहिंतो दरिद्दकुलेहिंतो भिक्खागकुलेहिंतो किवणकुलेहिंतो तहप्पगारेसु उग्गकुलेसु वा भोगकुलेसु वा रायन्नकुलेसु नायखत्तियहरिवंसकुलेसु वा अन्नयरेसु तहप्पगारेसु विसुद्ध - जाइ कुलवंसेसु वा साहरावित्तए, तं सेयं खलु ममवि समणं भगवं महावीरं चरमतित्थयरं पुव्वतित्थयरनिद्दिवं माहणकुंडग्गामाओ नयराओ उसभदत्तस्स माणस कोडासगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ खत्तियकुंडग्गामे नयरे नायाणं खत्तियाणं सिद्धत्थस्स खत्तियस्स कासवगुत्तस्स भारियाए तिसलाए खत्तियाणीए वासिट्ठसगुत्ताए कुच्छिंसि गब्भत्ताए साहरावित्तओ । जेऽविय णं से तिसलाए खत्तियाणीए गब्भे तंपिय णं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिंसि गब्भत्ताए साहरावित्तए-त्तिकट्टु एवं संपेहेइ, एवं संपेहित्ता हरिणेगमेसि अग्गाणीयाहिवरं देवं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी ||२०|| एवं खलु देवाणुप्पिआ ! न एअं भूअं, न एअं, भव्वं, न एअं भविस्सं, जं णं अरिहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा अंतकुलेसु वा पंतकुलेसु वा किवणकुलेसु वा दरिद्दकुलेसु वा तुच्छकुलेसु वा भिक्खागकुलेसु वा आयाइंसु वा आयाइंतिवा आयाइस्संति वा, एवं खलु अरिहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा कुसु वा भोगकुले वा राइण्णकुलेसु वा नायकुलेसु वा खत्तियकुलेसु वा इक्खागकुलेसु वा हरिवंसकुलेसु वा अन्नयरेसु वा तहप्पगारेसु विसुद्ध-जाइकुलवंसेसु आयाइंसु वा आयाइंति वा आयाइस्संति वा ||२१|| अत्थि पुण एसेऽवि भावे लोगच्छेरयभूए अणताहि उस्सप्पिणी ओसप्पिणीहि विइक्कताहि समुप्पज्जति, नामगुत्तस्स वा कम्मस्स अक्खीणस्स अवेइअस्स अणिज्जिण्णस्स उदएणं, जं णं अरिहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेवा वा अंतकुलेसु वा पंतकुलेसु वा तुच्छकुलेसु वा किवणकुलेसु वा दरिद्दकुलेसु वा भिक्खागकुलेसु वा आयाइंसु वा आयाइति वा आयाइस्संति वा कुच्छिंसि गब्भत्ताए वक्कमिसु वा वक्कमंति वा वक्कस्सिंति वा । नो चेव णं जोणीजम्मणनिक्खमणेणं निक्खमिसु वा निक्खमंति वा निक्खमिस्संति वा ॥ २२॥ अयं च णं समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे माहणकुंडग्गामे नयरे उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्कंते ॥ २३ ॥ तं जीअमेअं तीअपच्चुप्पण्णमणागयाणं सक्काणं देविंदाणं देवराईणं अरहंते भगवंते तहप्पगारेहिंतो अन्तकुलेहिंतो पंतकुलेहिंतो तुच्छकुलेहिंतो किवणकुलेहिंतो दरिद्दकुलेहिंतो श्री आगमगुणमंजूषा १५४५० YOO [३] Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FFox95555555555555555_ _ २०२) १५१११५ कप्पसूय (बारसासूत्र) 555555555555555550UDR. 乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐以 वणीमगकुलेहितो जाव माहणकुलेहितो तहप्पगारेसु उग्गकुलेसु वा भोगकुलेसुवा राइण्णकुलेसुवा नायकुलेसु वा खत्तियकुलेसुवा इक्खागकुलेसु वा हरिवंसकुलेसु वा अन्नयरेसु वा तहप्पगारेसु विसुद्धजाइकुलवंसेसु साहरावित्तए ॥२४|| तं गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिआ ! समणं भगवं महावीरं माहणकुंडग्गामाओ नयराओ उसभदत्तस्स माणस्स कोडालसगुत्तस्स भारियाए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ खत्तियकुंडग्गामे नयरे नायाणं खत्तियाणं सिद्धत्थस्स खत्तियस्स कासवगुत्तस्स भारियाए तिसलाए खत्तियाणीए वासिट्ठसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहराहि, जेऽविअं णं से तिसलाए खत्तियाणीए गब्भे तंपिअ णं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहराहि, साहरित्ता ममेयमाणत्तिअं खिप्पामेव पच्चप्पिणाहि ॥२५॥ तए णं से हरिणे गमेसी अग्गाणीयाहिवई देवे सक्केणं देविदेणं देवरना एवं वुत्ते समाणे हटे जाव हयहि यए करयल जावत्ति - कट्ट एवं जं देवो आणवेइत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता ॥ उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता वेउव्विअ-समुग्धाएणं समोहणइ, वेउव्विअ-समुग्घाएणं समोहणित्ता संखिज्जाई जोअणाई दंडं निसिरइ, तंजहारयणाणं वइराणं वेरुलिआणं लोहिअक्खाणं मसारगल्लाणं हंसगब्भाणं पुलयाणं सोगंधियाणं जोईरसाणं अंजणाणं अंजणपुलयाणं जायरुवाणं सुभगाणं अंकाणं फलिहाणं रिट्ठाणं अहाबायरे पुग्गले परिसाडेइ, परिसाडित्ता अहासुहमे पुग्गले परिआदियइ ।।२६।। परियाइत्ता दुच्चंपि वेउव्विअ-समुग्घाएणं समोहणइ, समोहणित्ता उत्तर-वेउव्वियरुवं विउव्वइ, विउव्वित्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए उधुआए सिग्घाए दिव्वाए देवगईएवीईवयमाणे २ तिरिअमसंखिज्जाणं दीवसमुद्दाणं मज्झमज्झेणं जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे जेणेव उसभदत्तस्स माहणस्स गिहे जेणेव देवाणंदा माहणी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता आलोए समणस्स भगवओ महावीरस्स पणामं करेइ, करित्ता देवाणंदाए माहणीए सपरिजणाए ओसोवणिं दलइ, ओसोवणिं दलित्ता असुभे पुग्गले अवहरइ, अवहरित्ता सुभे पुग्गले पक्खिवइ, पक्खिवित्ता अणुजाणउ मे भयवंतिकट्ट समणं भगवं महावीरं अव्वाबाहं अव्वाबाहेणं दिव्वेणं पहावेणं करयलसंपुडेणं गिण्हइ, समणं भगवं महावीरं - गिण्हित्ता जेणेव खत्तिअकुंडग्गामे नयरे जेणेव सिद्धत्थस्स खत्तिअस्सगिहे जेणेव तिसला खत्तियाणी तेणेव उवागच्छइ, तेणेव उवागच्छित्ता तिसलाए खत्तियाणीए सपरिजणाए ओसोअणिं दलइ, ओसोअणिं दलित्ता असुभे पुग्गले अवहरइ, अवहरित्ता सुभे पुग्गले पक्खिवइ, पक्खिवित्ता समणं भगवं महावीरं अव्वाबाहं अव्वाबाहेणं तिसलाए खत्तियाणीए कुच्छिंसि गब्भत्ताए साहरइ, जेऽविअ णं से तिसलाए खत्तिआणीए गब्भे तंपिअ णं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिंसि गब्भत्ताए साहरइ, साहरित्ता जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए ॥२७॥ उक्किट्ठाए तुरिआए चवलाए चंडाए जवणाएउ आए सिग्घाए दिव्वाए देवगईए तिरिअम - संखिज्जाणं दीवसमुद्दाणं मज्झमज्झेणं जोअण-साहस्सिएहिं विग्गहेहिं उप्पयमाणे २ जेणामेव सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिसए विमाणे सक्वंसि सीहासणंसि सक्के देविद देवराया तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो एअमाणत्तिअंखिप्पामेव पच्चप्पिणइ ॥२८॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जे से वासाणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे आसोअबहले, तस्सणं आस्सोअबहुलस्स तेरसीपक्खेणं बासीइराइंदिएहिं विक्कंतेहिं तेसीइमस्स राइंदिअस्स अंतरा वट्टमाणे हिआणुकंपएणं देवेणं हरिणेगमेसिणा सक्कवयणसंदिद्वेणं माहणकुंडग्गामाओ नयराओ उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारिआए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ खत्तियकुंडग्गामे नयरे नायाणं खत्तियाणं सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स कासवगुत्तस्स भारिआए तिसलाए खत्तिआणीए वासिट्ठसगुत्ताए पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि हत्युत्तराहिंनक्खत्तेणं जोगमुवागएणं अव्वाबाहं अव्वाबाहेणं कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरिए ।।२९।। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए आवि हुत्था, तंजहा-साहरिजिस्सामित्ति जाणइ, साहरिज्जमाणे न जाणइ, साहरिएमित्ति जाणइ ।।३०।। जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ तिसलाए खत्तिआणीए वासिट्ठसगुत्ताए कुच्छिंसि गब्भत्ताए साहरिए तं रयणि च णं सा देवाणंदा माहणी सयणिज्जसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ इमेयारुवे उराले कल्लाणे * सिवे धन्ने मंगल्ले सस्सिरीए चउदस्स महासुमिणे तिसलाए खत्तियाणीए हडेत्ति पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा-गय ० गाहा ॥३१।। जं रयणिं च णं समणे भगवं ROYo 555555555555श्री आगमगुणमंजूषा - १५४६15555555559999 GO乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听纸听听听听听听听乐听听听听听听听听 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | MON 95% %%%%%%%%%% (३९.२) दसासुयक्खंधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) 55%%%%%%%%%%% % 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听GO महावीरे देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ तिसलाए खत्तिआणीए वासिट्ठसगुत्ताए कुच्छिंसि गब्भत्ताए साहरिए तं रयणिं च णं सा तिसला खत्तियाणी 卐 तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अभिंतरओ सचित्तकम्मे बाहिरओ दूमिअघट्ठमढे विचित्त-उल्लोअ चिल्लियतले मणिरयण-पणासिअंधयारे बहुसम-सुविभत्त भूमिमागे पंचवन्न-सरस सुरभिमुक्क-पुप्फपुंजोवयारकलिए कालागुरु-पवरकुंदुरुक्कतुरुक्क-डज्झंत-धुवम-धमघंत-गंधुद्धयाभिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूए तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि सालिंगणवट्टिए उभओ बिब्बोअणे उभओ उन्नएमज्झे णयगंभीरे गंगापुलिणवालुअ-उद्दालसालिसए ओअविअ-खोमिअ-दुगुल्लपट्टम पडिच्छन्ने सुविरइअ-रयत्ताणे रत्तंसयसंवुए सुरम्मे आइणगरुय-बूरनवणीअ-तूल-तुल्लफासे सुगंधवर-कुसुम-चुन्नसयणोवयारकलिए, पुव्वरत्तावरत्त-कालसमयंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ इमेआरुवे उराले जाव चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा-गय-वसहसीह-अभिसेय-दाम-ससि-दिणयरं झयं कुंभं । पउमसर-सागर-विमाणभवण-रयणुच्चयसिहिं च ॥३२॥ तए णं सा तिसला खत्तिआणी तप्पढमयाए तओअ-चउइंतमूसिअ-गलिय-विपुलजलहरहार-निकरखीरसागर-ससंककिरण-दगरय-रययमहासेल-पंडुरतरं समागय-महुयर-सुगंध-दाणवासिय-कपोल-मूलं देवराय कुजरं (व) वरप्पमाणं पिच्छइ सजल-घणविपुलजलहर-गज्जिय-गंभीरचारुघोसं इमं सुभं सव्वलक्खणकयंबिअं वरोरुं १॥३३।। तओ पुणो धवल-कमलपत्त-पयराइ-रेगरुवप्पभं पहासमुदओववहारेहिं सव्वओ चेव दीययंतं अइसिरि-भरपिल्लणावि-सप्पंत-केत-सोहंत-चारुककुहं तणुसुइ-सुकुमाल-लोम-निद्धच्छविं थिर-सुबुद्ध-मंसलोवचिअ-लट्ठ-सुविभत्तसुंदरंगं पिच्छइ धणवट्टलट्ठ-उक्किट्ठ-विसिट्ठ-तुप्पग्ग-तिक्खसिंग दंतं सिवं समाण-सोहंत-सुद्धदंतं वसहं अमिअ-गुणमंगलमुहं २ ॥३४॥ तओ पुणो हार-निकरखीरसागर-ससंककिरण-दगरय-रयय-महासेलपंडुरंग (ग्रं.२००) रमणिज्ज-पिच्छणिज्जं थिरलट्ठ-पउट्ठ-पट्ट-पीवरसुसिलिट्ठविसिट्ठतिक्खदाढा-विडंबिअमुहं परिकम्मिअ-जच्च-कमल-कोमल-पमाण-सोहंत लट्ठ-उठें रत्तुप्पलपत्तमउअ-सुकुमाल-तालु-निल्लालियग्गजीहं मूसागय-पवरकणग-ताविअ-आवत्तायंतवट्टतडिय-विमल-सरिस-नयणं विसाल-पीवरवरोरु पडिपुन्नविमल-खंधं मिउविसय-सुहुमलक्खण-पसत्थ-विच्छिन्नकेसराडोवसोहिअं ऊसिअ-सुनिम्मिअ सुजाय-अप्फोडिअ-लंगूलं सोमं सोमाकारं लीलायंतं नहयलाओ ओवयमाणं नियग-वयण-मइवयंत पिच्छइ सा गाढतिक्खग्गनहं सीहं वयणसिरी-पल्लव-पत्तचारुजीहं ३ ॥३५॥ तओ पुणो पुन्न-चंदवयणा, उच्चागयठाण-लट्ठसंठिअं पसत्थरुवं सुपइट्ठिअ-कणगकुम्भसरिसोवमाणचलणं अच्चुन्नय-पीणरइअमंसलउन्नयतणु-तंबनिद्धनहं कमल-पलास-सुकुमालकरचरणं-कोमलवरंगुलिं कुरुविंदावत्त-वट्टाणुपुव्वजंघं निगूढजाणुंगयवरकर-सरिस-पीवरोरुंचामीकररइअमेहलाजुत्तकंत-विच्छिन्न-सोणिचक्कं जच्चजण-भमर-जलय-पयर-उज्जुअ-समसंहिअ-तणुअ-आइज्जलडह-सुकुमाल-मउअर-मणिज्ज-रोमराइं नाभीमंडलसुंदर-विसालपसत्थजधणं करयलमाइअ-पसत्थ-तिवलिय-मज्झं नाणामणि-कणग-रयण-विमल-महातवणिज्जाभरणभूसण-विराइयंगोवंगिं हार-विरायंतकुंदमाल-परिणद्ध-जल-जलित-थणजुअलविमलकलसं आइय पत्तिअ विभूसिएणं सुभगजालुज्जलेणं मुत्ताकलावएणं उरत्थदीणारमालिय-विरइएण कंठमणिसुत्तएण य कुंडल-जुअलुलसंत-अंसोवसत्त-सोभंत-सप्पभेणं सोभागुणसमुद्दएणं आणणं-कुडुबिएणं कमलामल-विसाल-रमणिज्ज-लोअणं कमल-पज्जलंत-करगहिअ मुक्कतोयलीलावायकयपक्खएणं सुविसद-कसिण-धण-सण्हलंबंत-केसहत्थं पउमद्दह-कमल-वासिणिसिरिंभगवंइ पिच्छइ हिमवंत-सेलसिहरे दिसागइंदोरुपीवरकराभिसिच्चमाणिं ४॥३६।। तओ पुणो सरस-कुसुम-मंदार-दामरमणिज्ज भूअं चंपगासोग-पुन्नागनाग-पिअंगु-सिरी-समुग्गरगमल्लिआ-जाइ-जूहि-अंकोल्लकोज्ज-कोरिंट-पत्त-दमणय-नवमालिअबउल-तिलय-वासंतिअ-पउमुप्पलपाडल-कुंदाइ-मुत्त-सहकार-सुरभि गंधि अणुवम-मणोहरेणं गंधेणं दस दिसाओवि वासयंतं सव्वोउअ-सुरभिकुसुम-मल्लधवल-विलसंत-कंत-बहुवन्न-भत्तिचित्तं छप्पय-महुअरि-भमरगण-गुमगुमायंत-निलितगुंजंत-देसभागं दामं पिच्छइ नहंगणतलाओ ओवयंतं ५॥३७|| ससि च गोखीरफेण-दगरय-रयय-कलस-पंडुरं सुभं हिअय-नयण-कंतं पडिपुन्नं तिमिर-निकर घणगुहिरवितिमिरकर C%乐听听听听听听听明明明明明坂明明细听听听听听听听听听听听听听听$听听听听听听听听听听听听听$明明COM More 5 55555 श्री आगमगुणमंजूषा ०१५५७555555555$$$$$$$$$$$$$$$ FOTORA Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GK66666666666单 (३९.२) दसासुयक्खंधं कप्पसूयं (बारसासूत्र ) पमाणपक्खंत रायलेहं कुमुअवण-विबोहगं निसा सोहगं सुपरिमट्ठदप्पणतलोवमं हंसपडुवन्नं जोइसमुह-मंडगं तमरिपुं मयणसरापूरगं समुद्ददगपूरगं दुम्मणं जणं दइअवज्जिअं पायएहि सोसयंतं पुणो सोमचारूरूवं पिच्छइ सा गगणमंडल-विसाल-सोमचंकम्ममाण-तिलगं रोहिणि मणहिअय- वल्लहं देवी पुन्नचंदं समुल्लसंतं ६ ॥ ३८ ॥ तओ पुणो तमपडल- परिप्फुडं चेव तेअसा पज्जलंतरूपं रत्तासोग-पगास-किसुअसुअमुह-गुंजद्धरागसरिसं कमलवणालंकरणं अंकणं जोइसस्स अंबरतलपईवं हिमपडलगलग्गहं गहगणोरुनायगं रत्ति-विणासं उदयत्थमणेसु मुहुत्त सुहदंसणं दुन्निरिक्खरूवं रत्तिमुद्धंत दुप्पयार- पमद्दणं सीअवेगमहणं पिच्छइ मेरुगिरि सयय परियट्टयं विसालं सूरं रस्सीसहस्सपयलियदित्तसोहं ७ ||३९|| तओ पुणो जच्च कणग लट्ठि पइद्विअं समूहनीलरत्त पीय- सुक्किल - सुकुमालुल्लसियमोरपिच्छकयमुद्धयं धयं अहिय सस्सिरीयं फालिअ संखंक- कुंद- दगरय-रयय-कलस पंडुरेण मत्थयत्थेण सीहेण रायमाणेण रायमाणं भित्तुं गगणतल चेव ववसिएण पिच्छइ सिव-मउय-मारुय-लयाहय-कंपमाणं अइप्पमाणं जणपिच्छणिज्जरुवं ८ ॥४०॥ तओ पुणो जच्चकंचणुज्जलंत रूवं निम्मलजलपुण्णमुत्तमं दिप्पमाणसोहं कमल-कलाव-परिरायमाणं पडिपुण्ण सव्वमंगल-भेयसमागमं पवररयण-परायंत कमलट्ठियं नयण- भूसणकरं पभासमाणं सव्वओ चेव दीययंतं सोमलच्छीनिभेलणं सव्वपाव-परिवज्जिअं सुभं भासुरं सिरवरं सव्वोउय सुरभिकुसुम- आसत्तमल्लदामं पिच्छइ सा रयय- पुण्णकलसं ९ ॥४१॥ तओ पुणो पुणरवि रविकिरणतरुणबोहिय-सहस्सपत्त- सुरभितर पिंजरजलं जलचर पहकर परिहत्थग-मच्छ - परिभुज्जमाण- जलसंजयं महंतं जलंतमिव कमल- कुवलय- उप्पल-तामरसपुंडरीयउरु सप्पमाण- सिरिसमुदएणं रमणिज्जरुवसोहं पमुइयंत- भमरगण-मत्तमहुयरिगणुक्करोलि (ल्लि) ज्जमाण-कमलं २५० कायंबग- बहालय - चक्क - कलहंससारस-गव्विअ - सउणगण-मिहुण-सेविज्जमाणसलिलं पउमिणि पत्तोवलग्ग जलबिंदु निचयचित्तं पिच्छइ सा हियय नयणकंतं पउमसरं नाम सरं सररुहाभिरामं १० ॥४२॥ तओ पुणो चंदकिरणरासि - सरिससिरिवच्छसोहं चउगमणपवढमाणजलसंचयं चवल- चंचलुच्चाय- प्पमाण- कल्लोल-लोलंततोयं पडुपवणाहय चलिय चवल-पागड-तरंगरंगत-भंगखोखुब्भमाण-सोभंत निम्मलुक्कड - उम्मीसह-संबंध धावमाणोनियत्त- भासुर-तराभिरामं महा-मगरमच्छ तिमितिमिंगिल - निरुद्धतिलितिलियाभिधाय कप्पूर- फेण-पसरं महानई-तुरियवेग-समागय-भमगंगावत्त- गुप्पमाणुच्चलंत-पच्चोनियत्त-भममाण-लोल-सलिलं पिच्छइ खीरोय- सायरं सारणिकर- सोमवणा ११ ||४३|| तओ पुणो तरुण सूरमंडल समप्पहं दिप्पमाणं सोभं उत्तम कंचण महामणि- समूह-पवरतेय - अट्ठसहस्स- दिप्पंत- नहप्पईवं कण-पर-लंबमाण-मुत्तासमुज्जलं जलंतदिव्वदामं ईहावि (मि) गउसभतुरग-नर-मगर- विहग वालग किन्नर - रुरुसरभ चमर संसत्तकुंजर- वणलय पउमलयभत्तिचित्तं गंधव्वोपवज्जमाण-संपुण्णघोसं निच्चं सजल घण- विउलजलहर-गज्जिय-सद्दाणुणाइणा देवदुंदुहि - महारवेणं सयलमवि जीवलोयं पूरयंतं कालागुरुपवरकुंदुरुक्क तुरुक्क-डज्झंत-धूववासंग उत्तम मघमघंत-गंधुद्ध्याभिरामं निच्चालोयं सेयं सेयप्पभं सुरवराभिरामं पिच्छइ सा साओवभोगंवरविमाण पुंडरीयं १२ ॥४४॥ तओ पुणो पुल-वेरिदं- नील-सासग कक्केयण-लोहियक्ख मरगय-मसारगल्ल पवाल- फलिअ सोगंधिय हंसगब्भ- अंजण चंदप्पह- वररयणेहि महियलपइट्ठिअं गगणमंडलंतं पभासयंतं तुंगं मेरुगिरिसंनिकासं पिच्छइ सा रयणनिकररासिं १३ ॥ ४५ ॥ सिहि च सा विउलुज्जल- पिंगल महघय-परिसिच्चमाण- निद्धूमधगधगाइय-जलंत-जालुज्जलाभिरामं तरतम जोगजुत्तेहिं जालपयरेहिं अणुण्णमिव अणुप्पइण्णं पिच्छइ जालुज्जलणगं अंबरं व कत्थइ पर्यंतं अइवेगचंचलं सिहिं १४ ||४६|| इमे एयारिसे सुभे सोमे पियदंसणे सुरुवे सुविणे दट्ठूण सयणमज्झे पडिबुद्धा अरविंदलोयणा हरिसपुलइअंगी || एए चउदस सुमिणे, सव्वा पासेइ तित्थयरमाया । जं रयणिं वक्कमई, कुच्छिसि महायसो अरहा || ४७|| तए णं सा तिसला खत्तियाणी इमे एयारुवे उराले चउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा समणी - जावहिया धाराहयकयंब-पुफ्फगं पिव समूस्ससिअरोमकूवा सुविणुग्गहं करेइ, करित्ता सयणिज्जाओ अब्भुट्ठेइ, अब्भुट्ठित्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता अतुरिअम, चवलमसंभंताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए गईए जेणेव सयणिज्जे जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सिद्धत्थं खत्तिअं ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणोरमाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहिं हिययगमणिज्जाहिं हिययश्री आगमगुणमंजूषा - १५४८ GOR [६] WOR Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR955555555555555 (३९-२) दसासुयक्वंधं कप्पसूयं (बारसासूत्र) [७] 55555%%%%%%%%%ODE AOAC$$$纸听听听听听听听听听听听听玩玩乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听音 पल्हायणिज्जाहिं मिउ-महुर-मंजुलाहिं गिराहिं संलवमाणी २ पडिबोहेइ ॥४८|| तएणं सा तिसला खत्तिआणी सिद्धत्थेणं रण्णा अब्भणुण्णाया समाणी नाणामणिकणग-रयण-भत्तिच्चित्तंसि भद्दासणंसि निसीयइ, निसीइत्ता आसत्था वीसत्था सुहासणवरगया सिद्धत्थं खत्तिअं ताहिं इट्ठाहि जाव संलवमाणी २ एवं वयासी ॥४९|| एवं खलु अहं सामी ! अज्ज तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि वण्णओ जाव पडिबुद्धा, तंजहागयउसभ ० गाहा । तं एएसि सामी ! उरालाणं चउदसण्हं 5 महासुमिणाणं के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? ॥५०॥ तए णं से सिद्धत्थे राया तिसलाए खत्तिआणीए अंतिए एयमद्वं सुच्चा निसम्म हट्टतुट्ठचित्ते आणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिस-वसविसप्पमाण-हियए धाराहय-नीव-सुरभि-कुसुम-चंचुमालइय-रोमकूवे ते सुमिणे ओगिण्हेइ, ते सुमिणे ओगिण्हित्ता ईहं अणुपविसइ, ईहं अणुपविसित्ता अप्पणो साहाविएणं मइपुव्वएणं बुद्धिविण्णाणेणं तेसिं सुमिणाणं अत्थुग्गहं करेइ, करित्ता तिसलं खत्तिआणि ताहि इट्ठाहि जाव मंगल्लाहि मियमहुर-सस्सिरीयाहिं वग्गूहिं संलवमाणे २ एवं वयासी ॥५१|| उराला णं तुमे देवाणुप्पिए । सुमिणा दिट्ठा, कल्लाणा णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, एवं सिवा, धन्ना, मंगल्ला, सस्सिरीया, आरुग्ग-तुट्ठि-दीहाउकल्लाण-(ग्रं. ३००) मंगल्लकारगाणं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, तंजहा- अत्थलाभो देवाणुप्पिए ! भोगलाभो ० पुत्तलाभो ० सुक्खलाभो ० रज्जलाभो ० एवं खलु तमे देवाणुप्पिए ! नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धठ्ठमाणं राइंदियाणं विइक्वंताणं ॥ अम्हं कुलकेउं, अम्हं कुलदीवं, कुलपव्वयं, कुलवडिंसयं, कुलतिलयं, कुलकित्तिकर, कुलवित्तिकर, कुलदिणयरं, कुलाधारां, कुलनंदिकर, कुलजसकर, कुलपायवं, कुलविवद्धणकर, सुकुमाल-पाणिपायं अहीण-संपुण्ण-पंचिदियसरीरं लक्खण-वंजण-गुणोववेयं माणुम्माण-प्पमाण-पडिपुण्ण-सुजाय-सव्वंग-सुंदरंगं, ससिसोमाकार, कंतं, पियदंसणं, सुरुवं दारयं पयाहिसि ॥५२॥ सेऽविअ णं दारए उन्मुक्कबालभावे विन्नाय-परिणयमित्ते जुव्वण-गमणुपत्ते सूरे वीरे विक्कंते विच्छिन्न-विउलबलवाहणे रज्जवई राया भविस्सइ ॥५३॥ तं उराला णं तुमे देवाणुप्पिए ! जाव दुच्चंपि तच्चपि अणुवूहइ ।। तए णं सा तिसला खत्तियाणी सिद्धत्थस्स रण्णो अंतिए एयमढे सुच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठा जाव हियया करयल-परिग्गहिअं (यं) दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं वयासी॥५४।। एवमेयं सामी ! तहमेयं सामी ! अवितहमेयं सामी ! असंदिद्धमेयं सामी ! इच्छिअमेअं सामी ! पडिच्छिअमेयं सामी ! इच्छिअ-पडिच्छिअ-मेयं-सामी ! सच्चे णं एसमढेसे जहेयं तुब्भे वयहत्तिकट्ट ते सुमिणे सम्म पडिच्छइ, पडिच्छित्ता सिद्धत्थेणं रण्णा अब्भणुण्णाया समाणी नामामणिरयणभत्तिचित्ताओ भद्दासणाओ अब्भुढेइ, अब्भुढेत्ता अतुरियमचवलमसंभंताए अविलंबिआए रायहंस-सरिसीए गईए जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता एवं वयासी ॥५५॥ मा मेते उत्तमा पहाणा मंगला सुमिणा दिट्ठा अन्नेहिं पावसुमेणिहिं पडिहम्मिस्संति तिकट्ट देवय-गुरुजण-संबद्धाहिं पसत्थाहिं मंगल्लाहिं धम्मियाहिं लट्ठाहिं कहाहिं सुमिणजागरिअं जागरमाणी पडिजागरमाणी विहरइ॥५६|| तए णं सिद्धत्थे खत्तिए पच्चूसकाल-समयंसि कोडुबिअपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी ।।५७।१ ॥ - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! अज्ज सविसेसं बाहिरिअं उवट्ठाणसालं गंधोदयसित्तं सुइअसंमज्जिओवलित्तं सुगंधवर-पंचवण्णपुप्फोवयार-कलिअं कालागुरुपवर-कुंदुरुक्क-तुरुक्क डझंत-धूवमघमघंत-गंधुद्धयाभिरामं सुगंधवर-गंधियं गंधवट्टि-भूअं करेह कारवेह, करित्ता कारवित्ता य सीहासणं रयावेह, रयावित्ता ममेय-माणत्तियं खिप्पामेव पंच्चप्पिणह ॥५८॥ तए णं ते कोडुबिअ-पुरिसा सिद्धत्थेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठ जाव हियया करयल जाव कट्ट एवं सामित्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स अंतिआओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छंति, तेणेव उवागच्छित्ता खिप्पामेव सविसेसं बाहिरियं उवट्ठाणसालं गंधोदगसित्तं जाव सीहासणं रयाविति, रयावित्ता जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता, करयल-परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं, मत्थए अंजलिं कट्ट सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स तमाणत्तिअं पच्चप्पिणंति ॥५९|| तए णं सिद्धत्थे खत्तिए कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पलकमल-कोमलुम्मीलियंमि अहापंडुरे पभाए, रत्तासोग-प्पगास-किंसुअ-सुअमुह-गुंजद्धराग-बंधुजीवग-पारावय चलण-नयण-परहुअ-सुरत्तलो-अणजासुअण-कुसुमरासि-हिंगुलनिअरातिरे-अरेहंत-सरिसे कमलायर-संडबोहए उठ्ठिअंमि सूरे सहस्सरस्सिमि दिणयरे तेअसा mero)55555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-११४९ 5 555555555555555555555OOK $听听听听听听听玩乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听网 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KOR955555555555555 (३९-२) दसासुयक्खंधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) [८] 555555555555From CO$听听听听听听听乐乐乐乐乐玩乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FSC जलंते, तस्स य करपहरापरद्धंमि अंधयारे बालायवकुंकुमेणं खचिअव्व जीवलोए, सयणिज्जाओ अब्भुढेइ॥६०|| अब्भुट्टित्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता अट्टणसालं अणुपविसइ अणुपविसित्ता अणेगवाया-मजोग-वग्गण-वामद्दण-मल्लजुद्ध-करणेहिं संते परिसंते सयपाग-सहस्सपागेहिं सुगंध-वरतिल्लमाइएहिं पीणणिज्जेहिं दीवणिज्जेहिं मयणिज्जेहिं विहणिज्जेहिं दप्पणिज्जेहिं सव्विंदियगाय-पल्हाय-णिज्जेहिं अब्भंगिए समाणे तिल्ल-चम्मंसि निउणेहिं पडिपुण्ण पाणिपाय-सुकुमालकोमल-तलेहिं अब्भंगण-परिमणद्दणुव्व-लण-करणं-गुणनिम्माएहिं छेएहिं दक्खेहिं पढेहिं कुसलेहि मेहावीहिं जिअ-परिस्समेहिं पुरिसेहिं अट्ठिसुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउव्विहाए सुहपरिकम्मणाए संवाहणाए संवाहिए समाणे अवगय-परिस्समे अट्टणसालाओ पडिनिक्खमइ ॥६१|| पडिनिक्खमित्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता समुत्तजालाकुलाभिरामे विचित्त-मणि-रयण-कुट्टिमतले रमणिज्जे ण्हाणमंडवंसिनाणामणि-रयण-भत्तिचित्तंसिण्हाणपीढंसि सुहनिसण्णे पुफ्फोदएहि अगंधोदएहि अ उण्होदएहि अ सुहोदएहि अ सुद्धोदएहि अ कल्लाण-करण-पवर-मज्जणविहीए मज्जिए, तत्थ कोउअसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणग-पवर-मज्जणविहीए मज्जिए तत्थ कोउ 4. असाघहिं बहुविहेहिं कल्लाणग-पवर-मज्जवणावसाणे पम्हल-सुकुमाल-गंधकासाइअलूहिअंगे अहय-सुमहग्ध-दूसरयण-सुसंवुडे सरस-सुरभि-गोसीसचंदणाणु लित्तगत्तेसु-इमाला-वण्णग-विलेवणे आविद्धमणि-सुवण्णणे कप्पिय-हारद्धहारतिसरय-पालब-पलंबमाणकसडिसुत्त-सुकयसोभे पिणद्धगेविज्जे अंगुलिज्ज गललिय कयाभरणे वरकडगतुडिअर्थभिअभुए अहिअरुव-सस्सिरीए कुंडल-उज्जोइआणणे मउडदित्तसिरए हारोत्थयसुकयरइअवच्छे मुद्दिआपिंगलंगुलीए पालंबपलंबमाणसुकय-पडउत्तरिज्जे नाणामणि-कणगरयण-विमलम-हरिह-निउउरोवचिअ-मिसिमिसिंत-विरइअ-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठलट्ठ-आविद्धवीखलए, किं बहुणा ? कप्परुक्खए विव अलंकिअ-विभूसिए नरिंदे, सकोरटि-मल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्ज-माणेणं सेअवर-चामराहिं उधुव्व-माणीहिं मंगल्ल-जयसद्द-कयालोए अणेगगण-नायग दंडनायग-राईसर-तलवर-माडंबिअ-कोडुबिअ-मंति-महामंति-गण-गदोवारिय-अम-च्चचेड-पीढमद्द-नगरनिगम-सिट्ठि-सेणावइ-सत्थवाह-दूअसंधिवालसद्धिं संपरिबुडे धवल-महामेहनिग्गए इव गहगण-दिप्पंत-रिक्ख-तारागणाण मज्झे ससिव्व पिअदंसणे नरवई नरिंदे नखसहे नरसीहे अब्भहिअरायतेअ-लच्छीए दिप्पमाणे मज्जणधराओ पडिनिक्खमइ॥६२|| मज्जणधराओ पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासणंसि पुरत्थाभिमुहे निसीअइ, निसीइत्ता अप्पणो उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए अट्ठ भद्दासणाई सेअवत्थ-पच्चुत्थुयाई सिद्धत्थय कयमंगलोवयाराइं रयावेइ, रयावित्ता अप्पणो अदूरसामंते नाणामणि-रयण-मंडिअं अहिअपिच्छणिज्ज महग्घ-वर-पट्टणुग्गयं सहपट्ट-भत्ति-सयचित्त-ताणं ईहामिअ उसभ-तुरगनरमगरविहग-वालग-किन्नर-रुरु-सरभ-चमर-कुंजर-वणलय-पउमलय-भत्तिचित्तं अभितरिअं जवणिअं अंछावेइ, अंछावेत्ता नाणामणि-रयण-भत्तिचित्तं अत्थरय-मिउ-मसूर-गुत्थयं सेअवस्थपच्चुत्थुअंसुमउअं अंगसुहफरिसं विसिट्ठ तिसलाए खत्तिआणीए भद्दासणं रयावेइ॥६३|| रयावित्ता कोडुबिअ-पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी ॥६४॥ खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! अटुंग-महानिमित्त-सुत्तत्थ-धारए विविह-सत्थ-कुसले सुविण-लक्खणपाढए सद्दावेह ।। तए णं ते कोडुंबिअ-पुरिसा सिद्धत्थेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हठ्ठतुट्ठ जाव-हियया करयल जाव पडिसुणंति ॥६५॥ पडिसुणित्ता सिद्धत्थस्स खत्तियस्स अंतिआओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता कुंडपुरं नगरं मज्झमज्झेणं जेणेव सुविण-लक्खणपाढगाणं गेहाइं तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सुविण-लक्खण-पाढए सद्दाविति ॥६६।। तएणं ते सुविण-लक्खण-पाढया सिद्धत्थस्स खत्तिअस्स कोडुबिअ-पुरिसेहिं सहाविआ समाणा हद्वतुट्ठ जाव हयहियया ण्हाया कयबलिकम्मा के कयकोउअ-मंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाई वत्थाई पवराइं परिहिआ अप्प-महग्घा-भरणालंकिय-सरीरा सिद्धत्थयहरिआलिआ-कय-मंगल-मुद्धाणासएहिं २ गेहेहितो निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता खत्तियकुंडग्गामं नगरं मज्झं-मज्झेणं जेणेव सिद्धत्थस्स रण्णो भवण-वर-वडिंसग-पडिदुवारे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता भवण-वर-वडिंसग-पडिदुवारे एगयओ मिलंति, मिलित्ता जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता MO:55555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- १५५०5555555555555555555555555GORK C明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明是 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३९-२) दसासुयक्खंधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) • करयलपरिग्गहिअं जाव कट्टु सिद्धत्यं खत्तिअं जएणं विजयेणं वद्धाविति ||६७|| तए णं ते सुविण लक्खणपाढगा सिद्धत्थेणं रण्णा वंदिय-पूइअ - सक्कारिअसम्माणिआ समाणा पत्तेअं २ पुव्वन्नत्थेसु भद्दासणेसु निसीयंति ||६८|| तए णं सिद्धत्थे खत्तिए तिसलं खत्तियाणि जवणिअंतिरियं ठावेइ, ठावित्ता पुप्फ-फलपडिपुण्ण हत्थे परेणं विणएणं ते सुविण लक्खणपाढए एवं वयासी || ६९ ॥ एवं खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज तिसला खत्तियाणी तंसि तारिसगंसि जाव सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ इमे एयारूवे उराले चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा || ७०|| तंजहा गयवसह ० गाहा, तं एएसि चउदसण्हं महासुमिणाणं देवाणुप्पिया ! उला के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? || ७१ ॥ तए णं ते सुमिणलक्खण-पाढगा सिद्धत्थस्स खत्तियस्स अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ जव हहिया ते सुमिणे ओगिण्हंति, ओगिण्हित्ता ईहं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता अन्नमन्त्रेणं सद्धिं संचालेति, संचालित्ता तेसिं सुमिमाणं लट्ठा गहि अट्ठा पुच्छिअट्ठा विणिच्छियठ्ठा अभिगयट्ठा सिद्धत्थस्स रण्णो पुरओ सुमिणसत्थाई उच्चारेमाणा २ सिद्धत्थं खत्तियं एवं वयासी ॥ ७२ ॥ एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं सुमिणसत्थे बायालीसं सुमिणा तीसं महासुमिणा बावत्तरि सव्वसुमिणा दिट्ठा, तत्थ णं देवाणुप्पिया ! अरहंतमायरो वा चक्कवट्टि मायरो वा अरहंतंसि (ग्रं ० ४००) वा चक्कहरंसि वा गब्भं वक्कममाणंसि एएसि तीसाए महासुमिणाणं इमे चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुज्झति ॥ ७३ ॥ तंजहा गयवसह ० गाहा ॥७४॥ वासुदेवमायरो वा वासुदेवंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं चउद्दसण्हं महासुमिणाणं अन्नयरे सत्त महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुज्झति ॥७५॥ बलदेव-मायरो वा बलदेवंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं चउद्दसण्हं महासुमिणाणं अन्नयरे चत्तारि महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुज्झति ॥ ७६ ॥ मंडलिय- मायरो वा मंडलियंसि गब्र्भ वक्कममाणंसि एएसिं चउद्दसण्हं महासुमिणाणं अन्नयरं एवं महासुमिणं पासित्ताणं पडिबुज्झति ॥७७॥ इमे य णं देवाणुप्पिया ! तिसलाए खत्तियाणीए चोद्दस महासुमिणा दिट्ठा, तं उरालाणं देवाणुप्पिआ ! तिसलाए खत्तिआणीए सुमिणादिट्ठा जाव मंगल्लकारगा णं देवाणुप्पिया ! तिसलाए खत्तिआणीए सुमिणा दिट्ठा, तंजहा-अत्थलाभो देवाणुप्पिया !, भोगलाभो ०, पुत्तलाभो ०, सुक्खलाभो देवाणुप्पिया !, रज्जलाभो देवाणु ०, एवं खलु देवाणुप्पिया ! तिसला खत्तियाणी नव मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राइदिआणं वइक्कंताणं तुम्हं कुलकेउं कुलदीवं कुलपव्वयं कुलवडिंसगं कुलतिलयं कुलकित्तिकरं कुलवित्तिकरं कुलदिणयरं कुलाहारं कुलनंदिकरं कुलजसकरं कुलपायवं कुलतन्तु-संताण-विवद्धणकरं सुकुमाल - पाणिपायं अहीण, पडिपुण्ण-पंचिदियसरीरं लक्खण-वंजण-गुणोववेअं माम्माण- पमाणपडिपुण्ण सुजाय सव्वंग सुंदरंगं ससि सोमाकारं कंतं पियदंसणं सुरुवं दारयं पयाहिसि ॥७८॥ सेऽविय णं दारए उम्मुक्क-बालभावे विन्नायपरिणयमित्ते जुव्वणगमणुपत्ते सूरे वीरे विक्कंते विच्छिन्न- विपुल बलवाहणे चाउरंत चक्कवट्टी रज्जवई राया भविस्सइ, जिणे वा तिलोगनायगे धम्मवर चाउरंतचक्कवट्टी ॥७९॥ तं उराला णं देवाणुप्पिया! तिसलाए खत्तियाणीए सुमिणा दिट्ठा, जाव आरुग्ग-तुट्ठि- दीहाऊ - कल्लाणमंगल्ल- कारगा णं देवाणुप्पिया ! तिसलाएखत्तियाणीए सुमिणा दिट्ठा ॥ ८०॥ तए णं सिद्धत्थे राया तेसि सुमिण-लक्खण- पाढगाणं अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म हट्ठे तुट्ठे चित्त-माणंदिते पीयमणे परमसोमणस्सिए हरिसवस- विसप्पमाण-हिअए करयल जाव तेसुमिण लक्खण - पाढगे एवं वयासी ॥ ८१ ॥ एवमेयं देवाणुप्पिया !, तहमेयं देवाणुप्पिया !, अविहतमेयं देवाप्पिया ! इच्छयमेयं ०, पडिच्छियमेयं ० इच्छियपडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया !, सच्चेणं एसमट्ठे से जहेयं तुब्भे वयहत्तिकट्टु ते सुमिणे सम्मं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता ते सुविणलक्खण-पाढए विउलेणं असणेणं पुप्फ-वत्थ-गंधल्लाललंकारेणं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारित्ता सम्माणित्ता, विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइ, दलइत्ता पडिविसज्जेइ ||८२|| तएण से सिद्धत्थे खत्तिए सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ, अब्भुट्ठित्ता जेणेव तिसला खत्तियाणी जवणिअंतरिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिसलं खत्तियाणिं एवं वयासी ॥ ८३ ॥ एवं खलु देवाणुप्पिया ! सुमिणसत्यंसि बायालीसं सुमिणा तीसं महासुमिणा जाव एगं महासुमिणं पासित्ता णं पडिबुज्झंति ||८४|| इमे अणं तुमे देवाणुप्पिए ! चउद्दस महासुमिणा दिट्ठा, तं उराला णं तुमे जाव जिणे वा तेलुक्क-नायगे धम्मवर चाउरंत चक्कवट्टी ॥८५॥ तएणं 96666666666666 श्री आगमगुणमंजूषा - १५५१ [8] CSHO Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३९-२) दसासुयक्खंधं कप्पसूर्य (बारसासूत्रं) [१०] सा तिला खत्तिआणी एअमहं सुच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ जाव हयहिअया करयल जाव ते सुमिणे सम्मं पडिच्छइ ||८६|| पडिच्छित्ता सिद्धत्थेणं रण्णा अब्भणुन्नाया समाणी नाणणामणि- रयण भत्ति चित्ताओ भद्दासणाओ अब्भुट्ठेइ, अब्भुट्ठित्ता अतुरिअं अचवलं असंभंताए अविलंबिआए रायहंस - सरिसीए गईए जेणेव सए भवणे तेणेव उवागच्छर, उवागच्छित्ता सयं भवणं अणुपविट्ठा ॥८७॥ जप्पभिरं च णं समणे भगवं महावीरे तंसि नायकुलंसि साहरिए तप्पभिडं च णं बहवे वेसमणकुंडधारिणो तिरियजंभगा देवा सक्कवयणेणं से जाई इमाइं पुरापोराणाई महानिहाणाई भवंति, तंजहा पहीणसामिआई पहीण- सेउआई पहीण-गुत्तागाराई, उच्छिन्नसामिआई उच्छिन्न-सेउआई उच्छिन्न-गुत्तागाराई, गामागर-नगर- खेड - कब्बड - मडंब - दोणमुह-पट्टणा - समसंवाह- सन्निवेसेसु सिघाडएसु वा तिएसु वा चउक्केसु वा चच्चरेसु वा चउम्मुहेसु वा महापहेसु वा गामट्ठाणेसु वा नगरट्ठाणेसु वा गामणिद्धमणेसु वा नगरनिद्धमणेसु वा आवणेसु वा देवकुलेसु वा सभासु वा पवासु वा आरामेसु वा उज्जाणेसु वा वणेसु वा वणसंडेसु वा सुसाण-सुन्नागार-गिरिकंदर-संतिसेलोवट्ठाण - भवणगिहेसु वा सन्निक्खित्ताइं चिट्ठति ताइं सिद्धत्थराय-भवणं साहरंति ॥८८॥ जं रयणिं ज णं समणे भगवं महावीरे नायकुलंसि साहरिए तं रयणिं च नायकुलं हिरण्णेवं वढित्था सुवण्णेणं वड्ढित्या धणेणं धन्नेणं रज्जेणं रणं बलेणं वाहणेणं कोसेणं कोट्ठागारेणं पुरेणं अंतुरेणं जणवएणं जसवाएणं वड्डित्था, विपुल धणकणग- रयणमणि-मोत्तिय संखसिल प्पवाल रत्तरयण-माइएण संतसार-सावइज्जेणं पीइसक्कार - समुदएणं अईव २ अभिवड्डित्था, तए णं समणस्स भगवओ महावीरस्स अम्मापिऊणं अयमेयारुवे अब्भत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए कप्पे समुप्पज्जित्था ||८९|| जप्पभिडं च णं अम्हं एस दारए कुच्छिंसि गब्भत्ताए वक्कंते तप्पभिरं च णं अम्हे हिरण्णेणं वड्ढामो सुवण्णेणं धणेणं धन्त्रेणं रज्जेणं रट्टेणं बलेणं वाहणेणं कोसेणं कुट्ठागारेणं पुरेणं अंतेउरेणं जणवएणं जसवाएणं वड्डामो, विपुल धण कणग-रयण-मणि-मुत्तिय संख सिल प्पवाल-रत्तरयण-माइएणं संतसारसा - वइज्जेणं पीइसक्कारेणं अईव २ अभिवड्डामो, तं जयाणं अम्हं एस दारए जाए भविस्सइ तया णं अम्हे एयस्स दारगस्स एयाणुरुवं गुण्णं गुणनिप्फन्नं नामधिज्जं करिस्सामोवद्धमाणुत्ति ||१०|| तए णं समणे भगवं महावीरे माउअणुकंपणट्ठाए निच्चले निप्फंदे निरेयणे अल्लीण-पलीणगुत्ते आवि होत्था ।।९१।। तए णं तीसे तिसलाए खत्तियाणीए अयमेयारुवे जाव संकप्पे समुप्पज्जित्था -हडे मे से गब्भे, मडे मे से गब्भे, चुए मे से गब्भे, गलिए मे से गब्भे, एस मे गब्भे पुव्वि एयइ, इयाणि नो एयइत्तिकट्टु ओहयमणसंकप्पा चित्ता-सोग-सागर-संपविट्ठा करयल - पल्हत्थ- मुही अट्टज्झाणोवगया भूमीगयदिट्टिया झियायइ, तंपि य सिद्धत्थराय-वरभवणं उवरय मुइंग-तंतीतल-ताल- नाडइज्जजणमणुज्जं दीणविमणं विहरइ ॥९२॥ तए णं से समणे भगवं महावीरे माउए अयमेयारुवं अब्भत्थिअं पत्थिअं मणोगयं संकप्पं समुप्पन्नं वियाणित्ता एगदेसेणं एयइ, तए णं सा तिसला खत्तियाणी हट्टतुट्ठा जाव हयहिअया एवं वयासी ॥९३॥ नो खलु मे गब्भे हडे जाव लिए, पुव्विं नो एयइ, इयाणिं एय इत्तिकट्टु हट्ठ जाव एवं विहरइ, तए णं समणे भगवं महावीरे गब्भत्थे चेव इमेयारुवं अभिग्गहं अभिगिण्हइनो खलु मे कप्पइ अम्मापिऊहिं जीवंतेहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पव्वइत्तए ||१४|| तए णं सा तिसला खतियाणी व्हाया कय-बलिकम्मा कय- कोउय-मंगलपायच्छित्ता सव्वालंकार-विभूसिया तं गब्भं नाइसीएहिं नाइउण्हेहिं नाइतित्तेहिं नाइकडुएहिं नाइकसाइएहिं नाइअंबिलेहिं नाइमहुरेहिं नाइनिद्धेहिं नाइलुक्खेहिं नाइउल्लेहिं नाइसुक्केहिं सव्वत्तुगभयमाण- सुहेहिं भोयणच्छायणगंधमल्लेहिं ववगय-रोग-सोग- मोह-भय-परिस्समा जं तस्स गब्भस्स हिअं मियं पत्थं गब्भपोसणं तं देसे अ काले अ आहारमाहारेमाणी विवित्त-मउएहिं सयणासणेहिं पइरिक्कसुहाए मणोऽणुकूलाए विहारभूमीए पसत्थ- दोहला संपुण्ण दोहला संमाणिय- दोहला अविमाणिअ-दोहला वुच्छिन्न- दोहला ववणीअ - दोहला सुहंसुहेणं आसइ सयइ चिट्ठइ निसीअइ तुयट्टइ विहरइ सुहंसुहेणं तं गन्धं परिवहइ ||१५|| तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जेसे गिम्हाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे चित्तसुद्धे तस्स णं चित्तसुद्धस्स तेरसीदिवसे णं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धट्टमाणं राइंदियाणं विइक्कंताणं उच्चद्वाणगएसु गहेसु पढमे चंदजोगे सोमासु दिसासु वितिमिरासु विसुद्धासु जइएसु सव्वसउणेसु पयाहिणाणुकूलंसि भूमिसप्पंसि मारुयंसि पवायंसि निप्फन्न-मेइणीयंसि कालंसि पमुइय-पक्कीलिएसु जणवएसु पुव्व-रत्ता वरत्त कालसमयंसि हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं चंदेणं जोगमुवागएणं आरुग्गं दारयं श्री आगमगुणमंजूषा - १५५२ 1966 X Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Education International 2010_03_ भगवान श्री महावीर Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ભગવાન મહાવીરના મુખ્ય ૨૭ ભવના નામ : (૧) નયસાર કઠિયારો, (૨) પ્રથમદેવલોકમાં દેવ, (૩) ચક્રવર્તી ભરતના પુત્ર મરીચિ. (૪) પંચમબ્રહ્મદેવલોકમાં દેવ, (૫) કોલ્લાક સંનિવેશમાં બ્રાહ્મણ કૌશિક, (૬) બ્રાહ્મણ પુષ્પમિત્ર, (૭) પ્રથમ દેવલોકમાં મધ્યમસ્થિતિના દેવ, (૮) બ્રાહ્મણ અગ્નિજ્યોત, (૯) દ્વિતીય બ્રહ્મલોકમાં મધ્યમ આયુષ્યના દેવ, (૧૦) બ્રાહ્મણ અગ્નિભૂતિ, (૧૧) તૃતીય સનન્કુમાર દેવલોકમાં દેવ, (૧૨) બ્રાહ્મણ ભારદ્વાજ, (૧૩) ચતુર્થ મહેન્દ્ર દેવલોકમાં દેવ, (૧૪) બ્રાહ્મણસ્થાવર, (૧૫) પંચમ બ્રહ્મદેવલોકમાં દેવ, (૧૬) રાજકુમાર વિશ્વભૂતિ, (૧૭) સક્ષમ મહાશુક્ર દેવલોકમાં દેવ, (૧૮) ત્રિપૃષ્ઠ વાસુદેવ, (૧૯) સક્ષમ નરકમાં નારકી, (૨૦) સિંહ, (૨૧) ચતુર્થ નરકમાં નારકી, (૨૨) મનુષ્ય, (૨૩) ચક્રવર્તી પ્રિયમિત્ર, (૨૪) સક્ષમ મહાશુક્ર દેવલોકમાં દેવ, (૨૫) રાજકુમાર નંદન. (૨૬) દશમ પ્રાણત દેવલોકમાં દેવ અને (૨૭) ભગવાન મહાવીર भगवान महावीर के प्रधान २७ भवों के नाम: १) नयसार कठहारा, २) प्रथम देवलोक में देव, ३) चक्रवर्ती भरत के पुत्र मरीचि, ४) पंचम ब्रह्मदेवलोक में देव, ५) कोल्लाक संनिवेश में ब्राह्मण कौशिक, ६) ब्राह्मण पुष्पमित्र, ७) प्रथम देवलोक में मध्यमस्थितिक देव, ८) ब्राह्मण अग्निज्योत, ९) द्वितीय ब्रह्मलोक में मध्यम आयुष्यक देव, १०) ब्राह्मण अग्निभूति, ११) तृतीय सनत्कुमार देवलोकमें देव, १२) ब्राह्मण भारद्वाज, १३) चतुर्थ महेन्द्र देवलोक में देव, १४) ब्राह्मण स्थावर, १५) पंचम બ્રહ્મદેવનોબા મેં યેવ, ૨૬) રાનવુમાર વિશ્વભૂતિ, ૨૭) સક્ષમ મહાશુ દેવનોવ મે તેવ, ૨૮) ત્રિપુર્ણ વાસુવેવ, ૭૬} સક્ષમ નવા મેં નારવી, ૨૦) સિંઘ, ૨૨) ચતુર્થ નર ને નારી, ૨૨) મનુષ્ય, ૨૩) ચક્રવર્તી પ્રિયમિત્ર, ૨૪) સક્ષમ મહાશુ તેવો મેં વેવ, રક) રાખમાર નન્દન, ૨૬) વૈશમ પ્રાળત देवलोक में देव और २७) भगवान महावीर । Main 27 births of Lord Mahavira : {) Wood-cutter Nayasara, 2) A god in the first heaven, 3) A sovereign ruler Bharata's Son Marīci, 4) A god in the fifth heavenly world called Brahma, 5) Brahmin Kausika in the Kollāka territory, 6) Brahmin Pusparitra, 7) A middling god in the first heaven, 8) Brahmin Agnijyota, 9) A god of an average longevity in the second heaven, 10) Brahmin Agnibhuti, 11) A god in the third heavenly world called Sanatkumāra, 12) Brahmin Bhāradrāja, I3) A god in the fourth heavenly world called Mahendra, 14) Brahmin Sthāvara, 15) A god in the fifth heavenly world called Brahma, 16) Prince Visvabhūti, 17) A god in the seventh heavenly world called Mahasukra, 18) Triptstha Vasudeva, 19) A soul born in the seventh hell. 20) A lion. 21) A soul born in the fourth hell, 22) A man, 23) A sovereign ruler Priyamitra, 240 A god in the seventh heavenly world called Mahāśukra, 25) Prince Nandana, 26) A god in the feath heavenly world called Pranata and 27) Lord Mahāvīra, Jain ducation International 2010 03 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माजरकफफफफफफफफफफा (३९.२) वसासुयक्खधं कप्पसूर्य (बारसासूब) 5555555555555sexOR AGRO C明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听 पयाया ॥९६।। जं रयणि च णं समणे भगवं महावीरे जाए सा णं रयणी बहूहिं देवेहिं देवीहिं य ओवयंतेहिं उप्पयंतेहिं य उप्पिंजल्लमाणभूआ कहकहगभूआ आविहुत्था ||९७|| जं रयणिं च णं समणे भगर्व महावीरे जाए तं रयणिं च णं बहवे वेसमण-कुंडधारी तिरिय-जंभगा देवा सिद्धत्थ-रायभवणंसि हिरण्णवासं च सुवण्णवासं च वयरवासं च वत्थवासं च आभरणवासं च पत्तवासं च पुप्फवासं च फलवासं च बीअवासं च मल्लवासं च गंधवासं च चुण्णवासं च वण्णवासं च वसुहारवासं च वासिंसु ॥९८|| तए णं से सिद्धत्थे खत्तिए भवणवइ-वाण-मंतर-जोइस-वेमाणिएहिं देवेहिं तित्थयर-जम्म-णाभिसेय-महिमाए कयाए समाणीए पच्चूसकाल-समयंसि नगरगुत्तिए सद्दावेइ सद्दावित्ता एवं वयासी ।।९९।। खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! कुंडपुरे नगारे चारगसोहणं करेह, करित्ता माणुम्माण-वद्धणं करेह, माणुम्माण-वद्धणं करित्ता कुंडपुरं नगरं सब्भितर-बाहिरियं आसिय-सम्मज्जिओ-वलित्तं संघाडग-तिगचक्क-चच्चरचउम्मुह-महापह-पहेसु सित्तसुइसमट्ठरत्थंत-रावण-विहियं मंचाइ-मंचक-लिअं नाणाविह-राग-भूसिअ-ज्झय-पडाग-मंडिअं लाउल्लोइमहिअं गोसीस-सरस-रत्तचंदण-दद्दरदिन्न-पंचंगुलि-तलं उवचिय-चंदणकलसं चंदण-घड-सुकय-तोरण-पडिदुवार-देसभांग आसत्तो-सत्तविपुलवट्ट-वग्धारिय-मल्ल-दाम-कलावं-पंचवण्ण-सरस-सुरभि-मुक्कपुप्फपुंजोव-यार-कलिअंकालागुरु-पवर कुंदु-रुक्कतुरुक्क-डज्झंत-धूव-मघमघंत-गंधु आभिरामं सुगंधवरगंधिअंगंधवट्टिभूअं-नड नट्टग-जल्ल-मल्ल-मुट्ठियवेल-बग-कहगपाढग-लासग-आरक्खग-लंखमंख-तूण-इल्ल-तुंबवीणिय-अणेग-तालायराणु चरिअं करेह कारवेह, करित्ता कारवेत्ताय जूअसहस्संमुसलसहस्सं च उस्सवेह, उस्सवित्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणेह ॥१००।। तए णं ते कोडुंबिय-पुरिसा सिद्धत्थेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्टा जाव हिअया करयल-जावपडिसुणित्ता खिप्पामेव कुंडपुरे नगरे चारग-सोहणं जाव उस्सवित्ता जेणेव सिद्धत्येराया (खत्तिए) तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव कट्ट सिद्धत्थस्स खत्तियस्स रण्णो एयमाणत्तियं पच्चप्पिणंति ॥१०१॥ तए णं से सिद्धत्थेराया जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता जाव सव्वोरोहेणं सव्व-पुफ्फगंध-वत्थ-मल्लालंकार-विभूसाए सव्व-तुडिअ-सद्द-निनाएणं महया इड्डीए महया जुईए महया बलेणं महया वाहणेणं महया समुदएणं महया वरतुडिअ-जमगसमग-पवाइएणं संख-पणव-भेरि-झल्लरि-खरमुहिहुडुक्क-मुरज-मुइंग-दुंदुहि निग्घोस-नाइयरवेणंउस्सुक्कं उक्करं उक्किट्ठ अदिज्जं अमिज्जं अभडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं गणिआवर-नाडइज्ज कलियं अणेग-तालायराणु-चरिअं अणुधुअमुइंगं (ग्रं. ५००) अमिलाय मल्लदाम पमुइअ-पक्कीलिय-सपुरजणजाणवयं दसदिवसं ठिइवडियं करेइ॥१०२॥ तएणं से सिद्धत्थे राया दसाहियाए ठिइवडियाए वट्टमाणीए सइए य साहस्सिए य सयसाहस्सिए य जाए य दाए य भाए अ दलमाणे अ दवावेमाणे अ, सइए अ साहस्सिए अ सयसाहस्सिए य लंभे पडिच्छमाणे य पडिच्छावेमाणे य एवं विहरइ ॥१०३|| तए णं समणस्स भगवओ महावीरस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं करिति, तइए दिवसे चंदसूरदंसणिअं करिति, छठे दिवसे धम्मजागरियं करिति, इक्कारसमे दिवसे विइक्कते निव्वत्तिए असुइ-जम्म-कम्म-करणे, संपत्ते बारसाहे दिवसे, विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडाविति, उवक्खडावित्ता मित्त-नाइ-निययसयणसंबंधिपरिजणं नाए य खत्तिए अ आमंतेइ, आमंतित्ता तओ पच्छा बहाया कयबलिकम्मा कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं पवराई वत्थाई परिहिया अप्पमहग्घा-भरणा-लंकिय-सरीरा भोअणवेलाए भोअणमंडवंसि सुहासणवरगया तेणं मित्त-नाइनियय-संबंधि-परिजणेणं नायएहि खत्तिएहिं सद्धिं तं विउलं असण-पाण-खाइमसाइमं आसाएमाणा विसाएमाणा परिभुजेमाणा परिभाएमाणा एवं वा विहरंति ॥१०४॥ जिमिअभुत्तुत्तरागयाऽवि अणं समाणा आयंता चोक्खा परमसुईभूआतं मित्त-नाइनियय-सयण-संबंधिपरिजणं नायए खत्तिए य विउलेणं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारिति संमाणिति सक्कारित्ता संमाणित्ता तस्सेव मित्त-नाइ नियय-सयण-संबंधि-परियणस्स नायाणं खत्तिआण य पुरओ एवं वयासी॥१०५।। पुविपि णं देवाणुप्पिया ! अम्हं एयंसि दारगंसि क गब्भं वक्वंतंसि समाणंसि इमे एयारुवे अब्भत्थिए चितिए जाव समुप्पज्जित्था-जप्पभिई चणं अम्हं एस दारए कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्कंते तप्पभिई च णं अम्हे क MORE reOf59555555555555555555555श्री आगमगुणमंजूषा - १५५३5555555555555555555556xx १२ Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ UIC听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明K3O FORO5555555555555 (३९-२) दसासुयक्वंधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) [१२] 5555555555FONOR हिरण्णेणं वड्डामो, सुवण्णेणं धणेणं धन्नेणं रज्जेणं जाव सावइज्जेणं पीइसक्कारेणं अईव २ अभिवड्डामो, सामंतरायाणो वसमागया य॥१०६|| तं जया णं अम्हं एस दारए जाए भविस्सइ तया णं अम्हे एयस्स दारगस्स इमं एयाणुरुवं गुण्णं गुणनिप्फन्नं नामधिज्जं करिस्सामो वद्धमाणुत्ति, ता अज्ज अम्ह मणोरहसंपत्ती जाया, तं होउणं अम्हं कुमारे वद्धमाणे नामेणं ॥१०७|| समणे भगवं महावीरे कासवगुत्ते णं, तस्स णं तओ नामाधिज्जा एवमाहिज्जंति, तंजहा-अम्मापिउसंतिए वद्धमाणे, सहसंमुइआए समणे, अयले भयभेखाणं परीसहोवसग्गाणं खंतिखमे पडिमाण पालगे धीमं अरइरइसहे दविए वीरिअसंपन्ने देवेहिं से नामं कयं 'समणे भगवं महावीरे ॥१०८॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पिआ कासवगुत्ते णं, तस्स णं तओ नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तंजहा-सिद्धत्थे इवा, सिज्जसे इवा, जसंसे इ वा ।। समणस्स णं भगवओ महावीरस्स माया वासिट्ठी गुत्तेणं, तीसे तओ नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तंजहा-तिसला इ वा, विदेहदिन्ना इवा, पीइकारिणी इ वा || समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पितिज्जे सुपासे, जिढे भाया नंदिवद्धणे, भगिणी सुदंसणा, भारिया जसोआ कोडिन्ना गुत्तेणं ।। समणस्स णं भगवओ महावीरस्स धूआ कासवी गुत्तेणं, तीसे दो नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तंजहा-अणोज्जा इवा, पियदंसणा इवा ।। समणस्स णं भगवओ महावीरस्स नत्तुई कोसिअ (कासव) गुत्तेणं, तीसे णं दुवे नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तंजहा-सेसवई इ वा जसवई इ वा ॥१०९|| समणे भगवं महावीरे दक्खे दक्खपइन्ने पडिरुवे आलीणे भद्दए विणीए नाए नायपुत्ते नायकुलचंदे विदेहे नाए नायपुत्ते नायकुलचंदे विदेहे विदेहदिन्ने विदेहजच्चे विदेहसूमाले तीसं वासाई विदेहंसि कट्ट अम्मापिऊहिं देवत्तगएहिं गुरुमहत्तरएहि अब्भणुनाए समत्तपइन्ने पुणरवि लोगंतिएहिं जीअकप्पिएहिं देवेहिं ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पिआहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं मिअ-महुर-सस्सिरीआहिं हियय-गमणिज्जाहिं हियय-पल्हायणिज्जाहिंगंभीराहिं अपुणरुत्ताहि वग्गूहि अणवरयं अभिनंदमाणाय अभिथुव्वमाणा य एवं वयासी ॥११०||-"जय २ नंदा!, जय २ भद्दा !, भदंते, जय २ खत्तिअवरवसहा !, बुज्झाहि भगवं लोगनाहा!, सयलजगज्जीवहियं पवत्तेहि धम्मतित्थं हियसुहनिस्सेयसकरं सव्वलोए सव्वजीवाणं भविस्सइतिकट्ट जय-जयसई पउंजंति ॥१११॥ पुविपि णं समणस्स भगवओ महावीरस्स माणुस्सगाओ गिहत्थधम्माओ अणुत्तरे आभोइए अप्पडिवाई नाणदंसणे हुत्था, तए णं समणे भगवं महावीरे तेणं अणुत्तरेणं आभोइएणं, नाणदंसणेणं अप्पणो निक्खमणकालं आभोएइ, आभोइत्ता चिच्चा हिरण्णं, चिच्चा सुवण्णं, चिच्चा धणं, चिच्चा रज्जं, चिच्चा रटुं, एवं बलं वाहणं कोसं कुट्ठागारं, चिच्चा पुरं, चिच्चा अंतेउरं, चिच्चा . जणवयं, चिच्चा विपुल-धण-कणग-रयण-मणि-मुत्तिय-संख-सिलप्पवाल-रत्त-रयणमाइयं संतसारसावइज्ज, विच्छड्डइत्ता, विगोवइत्ता दाणं दायारेहिं परिभाइत्ता, दाणं दाइयाणं परिभाइत्ता ॥११२|| तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जे से हेमंताणं पढमे मासे पढमे पक्खे मग्गसिरबहुले, तस्स णं मग्गसिरबहुलस्स दसमीपक्खेणं पाईणगामिणीए छायाए पोरिसीए अभिनिवट्टाए पमाणपत्ताए सुव्वएणं दिवसेणं विजएणं मुहुत्तेणं चंदप्पभाए सीआए सदेवमणुआ-सुराए परिसाए समणुगम्म-माणमग्गे, संखिय-चक्किय-नंग-लिअ-मुहमंगलिअ-वद्धमाणपूसमाण-घंटियगणेहिं ताहिं इट्टाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहि मिअमहुर-सस्सिरीआहिं वग्गूहिं अभिनंदमाणा अभिथुव्वमाणा य एवं वयासी॥११३॥ "जय २ नंदा!, जय २ भद्दा!, भदं ते खत्तियवरवसहा ! अभग्गेहिं नाण-दसण-चरित्तेहिं, अजियाई जिणाहि इंदियाई, जिअं च पालेहिं समणधम्मं, जियविग्योऽवि य वसाहि तं देव ! सिद्धिमज्झे, निहणाहि रागद्दोसमल्ले तवेणं धिइधणिअबद्धकच्छे, महाहि अट्ठ कम्मसत्तू झाणेणं उत्तमेणं सुक्केणं, अप्पमत्तो हराहि आराहणपडागं च वीर ! तेलुक्करंगमज्झे, पावय वितिमिरमणुत्तरं केवलवरनाणं, गच्छ य मुक्खं परं पयं जिणवरोवइटेणं मग्गेणं अकुडिलेणं हंता परीसहचमू, जय २ खत्तिअवरवसहा ! बहूई मासाइं बहूई उऊइं बहूई दिवसाइं बहूई पक्खाई पहूइं अयणाई बहूई संवच्छराई, अभीए परीसहोवसग्गाणं, खंतिखमे भयभेरवाणं, धम्मे ते अविग्धं भवउ' त्तिक? जयजयसई पउंजंति ॥११४।। तएणं समणे भगवं महावीरे नयणमालासहस्सेहिं पिच्छिज्जमाणे २, वयणमालासहस्सेहिं अभिथुव्वमाणे २, हिययमालासहस्सेहिं उन्नंदिज्जमाणे २, मणोरहमालासहस्सेहिं विच्छिप्पमाणे २, कंतिरूवगुणेहिं पत्थिज्जमाणे २, अंगुलिमालासहस्सेहिं दाइज्जमाणे २, दाहिणहत्थेणं बहूणं नरनारीसहस्साणं woro # ## # #श्री आगमगुणमंजूषा - १५५४ # ### # ###########SAR GO乐乐听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明妮蜗明明明明明明明明明 (O Education International 2010-03 Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROR5555555555555 (३९.२) दसासुयक्खंधं कप्पसूर्य (भारसासूत्र) [१३] 卡乐斯斯斯5%%%%%%% %C3 HCFC历明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听统明明明明明明明明明明明明明明5C अंजलिमालासहस्साई पडिच्छमाणे २,भवणपंतिसहस्साइंसमइच्छमाणे २, तंती-तला-ताल-तुडिय-गीय-वाइअ-रवेणं महुरेणय मणहरेणं जयजयसद्दघोसमीसिएणं मंजमंजणा घोसेणय पडिबुज्झमाणे २, सविड्डीए सव्वजुईए सव्वबलेणं सव्ववाहणेणं सव्वसमुदएणं सव्वायरेण सव्वविमूईए सव्वविभूसाए सव्वसंममेणं सध्वसंगमेणं सव्वपगईहिं सव्वनाडएहिं सव्वतालायरेहिं सव्वोरोहेणं सव्वपुप्फगंधमल्लालंकारविभूसाए सव्वतुडिय-सद्द-सन्निनाएणं महया इड्डीए, महया जुईए, महया बलेणं, महया वाहणेणं, महया समुदएणं, महया वरतुडिय-जमग-समगप्पवाइएणं, संख-पणव-पडह-भेरिझल्लरि-खरमुहिहुडुक्क-दुंदुहि-निग्घोसनाइयरवेणं, कुंङपुरं नगएँ मझमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव नायसंडवणे उज्जाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ ।।११५।। उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स अहे सीय ठावेइ, ठावित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुअइ, ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोअं करेइ, करित्ता छटेणं भत्तेणी अपाप्यारणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं एगं देवदूसमादाय एगे अबीए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पव्वइए ॥११६॥ समणे भगवं महावीरे संवच्छर साहियं मासं जाव चीवरधारी होत्था, तेण परं अचेलए पाणिपडिग्गहिए । समणे भगवं महावीरे साइरेगाई दुवालस वासाइं निच्चं वोसट्ठकाए चियत्तदेहे जे केइ उबसम्मा उप्पज्जति, तंजहा-दिव्वा वा, माणुसा वा, तिरिक्खजोणिआ वा, अणुलोमा वा पडिलोमावा, ते उप्पन्ने सम्म सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ ।।११७ तएणं समणे भगवं महावीरे अणगारे जाए, ईरियासमिए, भासासमिए, एसणासमिए, आयाणभंड-मत्त-निक्खेवणासम्मिए, उच्चारपास-वण-खेल-जल्लसंघाणपारिद्वावणियासमिए, मणसमिए, वयसमिए, कायसमिए, मणगुत्ते, वयगुत्ते, कायगुत्ते, गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी अकोहे अमाणे अमाए अलोहे संते पसंते उवसंते परिनिव्वडे अणासवे अममे अकिंचणे छिन्नगंथे निरुवलेवे, कंसपाई इव मुक्कतोए १, संखे इव निरंजणे २, जीव इव अप्पडिहयगई ३, गमणमिव निरालंबणे ४, वाऊइव अप्पडिबद्धे ५, सारयसलिलं व सुद्धहियए ६, पुवखरपत्तं व निरुवलेवे ७, कुम्मे इव गुत्तिदिए ८, खणिविसाणं व एगजाए ९, बिहग इव विप्पमुक्के १०, भारंडपक्खी इव अप्पमत्ते ११, कुंजरे इव सोंडीरे १२, वसहो इव जायथामे १३, सीहो इव दुद्धरिसे १४, मंदरे इव निक्कंपे १५, सागरो इव गंभीरे १६, चंदो इव सोमलेसे १७. सुरो इव दित्तत्तए १८, जच्चकणगं वजायरुवे १९, वसुंधरा इव सव्वफास-विसहे २०, सुहुयहुया सणो इव तेयसा जलते २१, ॥ इमेसिंपयाणं दुन्नि संगहणियाहाओ-"कसे संखे जीवे, गगणे वाऊ य सरयसलिले अ। पुक्खरपत्ते कुम्मे, विहगे खग्गे य भारंडे॥१॥ कुंजर वसहे सीहे, नगराया चेव सागरमखोहे। चंदे सरे कणगे, वसुंधरा चेव हयवहे ॥२॥" नत्थिणं तस्स भगवंतस्स कत्थइ पडिबंधे, से अपडिबंधे चउब्विहे पन्नत्ते, तंजहा-दव्वओ खित्तओ कालओ भावओ. दव्वओणं सचित्ताचित्तमीसेसुदव्वेसु, खित्तओणं गामे वा नगरे वा, अरपणे वा, खित्त वा, खले वा, घरे बा, अंगणे वा. नहे वा; कालओणं समए वा, आवलिआए वा. आणपाणुए वा, थोवे वा, खणे वा, लवे वा, मुहुत्ते वा अहोरत्ते वा, पक्खे वा, मासे वा, उउए वा, अयणे वा, संवच्छरे वा, अन्नयरे वा, दीहकालसंजोए, भावओ णं कोहे वा, माणे वा, मायाए वा, लोभे वा, भए वा, हासे वा, पिज्जे वा, दोसे वा, कलहे वा, अब्भक्खाणे वा, पेसुन्ने वा, परपरिवाए वा, अरइरई (ए) वा, मायामोसे वा. मिच्छादसणसल्ले वा, (ग्रं. ६००) तस्स णं भगवंतस्स नो एवं भवइ ॥११८।। से णं भगवं वासावासवज्जं अट्ठ गिम्हहेमंतिए मासे गामे एगराइए नगरे पंचराइए वासीचंदण-समाणकप्पे समतिणमणिलेटठुकंचणे समदुक्खसुहे इहलोगपरलोग-अप्पडिबद्धे जीविय-मरणे अ निरवकंखे संसारपारगामी कम्मसत्तुनिग्घायणद्वाए अब्भुद्विए एवं चणं-विहरइ॥११९॥ तस्सणं भगवंतस्स अणुत्तरेणं नाणेणं, अणुत्तरेणं दंसणेणं, अणुत्तरेणं चरित्तेणं, अणुत्तरेणं आलएणं, अणुत्तरेणं विहारेणं, अणुत्तरेणं वीरिएणं, अणुत्तरेणं अज्जवेणं, अणुत्तरेणं मद्दवेणं, अणुत्तरेणं लाघवेणं, अणुत्तराए खंतीए, अणुत्तराए मुत्तीए, अणुत्तराए गुत्तीए, अणुत्तराए तटीए. अणत्तरेणं सच्च-संजम-तव सुचरिअ-सोवचिअ-फल-निव्वाणमग्गेणं अप्पाणं भावमाणस्स दुवालस संवच्छराई विइक्वंताई, तेरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वद्माणस्सजे से गिम्हाणं दुच्चे मासे चउत्थे पक्खे वइसाहसुद्धे, तस्स णं वइसाहसुद्धस्स दसमीपक्खेणं पाईणगामिणीए छायाए पोरिसीए अभिनिविद्राए HONO货明明明明明明明明听听听听听听听听听听听乐乐垢军军乐乐明明明明明明明明明明明明明听听听听听CC 95955555 श्री आगमगुणमंजूषा - १९५५5555555 555OOK Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Roz955555555555555 (३९.२) दसासुयक्खधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) [१४] 5555555555555 FOXONY OGC¥乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐明明明明明明明明明明明明明明C पमाणपत्ताए सुव्वएणं दिवसेणं विजएणं मुहुत्तेणं जंभियगामस्स नगरस्स बहिआ उज्जुवालियाए नईए तीरे वेयावत्तस्स चेइअस्स अदूरसामंते सामागस्स गाहावईस्स कट्ठकरणंसि सालपायवस्स अहे गोदोहिआए उक्कडुअनिसिज्जाए आयावणाए आयावेमाणस्स छटेणं भत्तेणं अपाणएणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणतरिआए वट्टमाणस्स अणंते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाणदसणे समुप्पन्ने ।।१२०।। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे अरहा जाए, जिणे केवली सव्वन्नू सव्वदरिसी सदेवमणुआसुरस्स लोगस्स परिआयं जाणइ पासइ, सव्वलोए सव्वजीवाणं आगई गई ठिई चवणं उववायं तक्कं मणो माणसिअं भुत्तं कडं पडिसेवियं आवीकम्मं रहोकम्मं, अरहा अरहस्सभागी, तं तं कालं मणवयकायजोगे वट्टमाणाणं सव्वलोए सव्वजीवाणं सव्वभावे जाणमाणे पासमाणे विहरइ ।।१२१॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे अठ्यिगामं नीसाए पढमं अंतरावासं वासावासं उवागए १, चंपं च पिट्ठचंपंच नीसाए तओ अंतरावासे वासावासं उवागए ४, वेसालि नगरि वाणियगामं च नीसाए दुवालस अंतरावासे वासावासं उवागए १६, रायगिहं नगरं नालंदं च बाहिरियं नीसाए चउद्दस अंतरावासे वासावासं उवागए ३०, छ मिहिलाए ३६, दो भद्दिआए ३८, एगं आलंभियाए ३९, एगं सावत्थीए ४० एगं पणिअभूमीए ४१ एगं पावाए मज्झिमाए हत्थिवालस्स रण्णो रज्जुगसभाए अपच्छिमं अंतरावासं वासावासं उवागए ४२, ॥१२२॥ तत्थ णं जे से पावाए मज्झिमाए हत्थि वालस्स रण्णो रज्जुगसभाए अपच्छिमं अंतरावासं वासावासं उवागए॥१२३|| तस्सणं अंतरावासस्सजेसेवासाणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे कत्तिअबहुले, तस्सणं कत्तियबहुलस्स पन्नरसीपक्खेणं जा सा चरमा रयणी, तं रयणि चणं समणे भगवं महावीरे कालगए विइक्कंते समुज्जाए छिन्नजाइजरामरणबंधणे सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिनिव्वुडे सव्वदुक्खप्पहीणे, चंदे नाम से दुच्चे संवच्छरे, पीइवद्धणे मासे, नंदिवद्धणे पक्खे, अग्गिवेसे नाम से दिवसे, उवसमित्ति पवुच्चइ, देवाणंदा नाम सा रयणी, निरतित्ति पवुच्चइ, अच्चे लवे मुहुत्ते पाणू थोवे सिद्धे नागे करणे सव्वट्ठसिद्धे, मुहुत्ते साइणा नक्खत्तेणं; जोगमुवागएणं कालगए विइक्वंते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे ॥१२४|| जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे साणं रयणी बहूहिं देवेहिं देवीहि य ओवय माणे य उप्पयमाणेहि य उज्जोविया आविहुत्था ॥१२५|| जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे, सा णं रयणी बहूहिं देवेहिं य देवीहि य ओवयमाणेहिं उप्पयमाणेहि य उप्पिंजलगमाणभूआ कहकहगभूआ आविहुत्था ॥१२६।। जं रयणि च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे तं रयणिं च णं जिट्ठस्स गोअमस्स इंदभूइस्स अणगारस्स अंतेवासिस्स नायए पिज्जबंधणे वुच्छिन्ने, अणंते अणुत्तरे जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने ॥१२७|| जं रयणि च णं समणे भगवं महावीरे ई कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे तं रयणिं च णं नव मल्लई नव लेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो अमावासाए पाराभोयं पोसहोववासं पट्टविंसु, गए से भावुज्जोए, दव्वुज्जोअं करिस्सामो ॥१२८॥ जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे तं रयणिं च णं खुद्दाए भासरासी नाम महग्गहे दोवाससहस्सठिई समणस्स भगवओ महावीरस्स जम्मनक्खत्तं संकंते॥१२९|| जप्पभिई चणं से खुद्दाए भासरासी महग्गहे दोवाससहस्सठिई समणस्स भगवओ महावीरस्स जम्मनक्खत्तं संकते तप्पभिई चणं समणाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण यनो उदिए २ पूआसक्कारे पवत्तइ ॥१३०।। जयाण से खुद्दाए जाव जम्मनक्खत्ताओ विइक्वंते भविस्सइ तया णं समणाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण य उदिए २ पूआसक्कारे भविस्सइ ।।१३१|| जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे तं रयणि च णं कुंथू अणुद्धरी नामं समुप्पन्ना, जा ठिया अचलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण य नो चक्खुफासं हव्वमागच्छति, जा अठिया चलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाणं निग्गंथीण य चक्खुफासं हव्वमागच्छइ ॥१३२।। जं पासित्ता बहूहिं निग्गंथेहि निग्गंथीहि य भत्ताई, पच्चक्खायाइं से किमाहुभंते ! ?, अज्जप्पभिई संजमे दुराराहे भविस्सइ॥१३३॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स इंदभूइपामुक्खाओ चउद्दस समणसाहस्सीओ उक्कोसिआ समणसंपया हुत्था।।१३४॥ समणस्स भगवओ महावीरस्स अज्जचंदणापामुक्खाओ छत्तीसं अज्जिया साहस्सीओ उक्कोसिया अज्जियासंपया हुत्था ॥१३५।। समणस्स भगवओ ० संखसयगपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सी अउणट्टिं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासगाणं संपया हुत्था ।।१३६।। Mero) 555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१५५६9555555555555555555555555#OOK Q纸历历明明明明明明明乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐明明明明明明乐乐听听听听听听听听心 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ho$5555555555555 (३९-२) दसासुयक्खधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) [१५] 55555555555og OGC%听听听听听听听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 समणस्स भगवओ ० सुलसारेवईपामुक्खाणं समणोवासिआणं तिन्नि सयसाएस्सीओ अट्ठारस सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासियाणं संपया हुत्था ॥१३७|| समणस्स णं भगवओ० तिन्नि सया चउद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खरसन्निवाईणं जिणोविव अवितहं वागरमाणाणं उक्कोसिया चउद्दसपुव्वीणं संपया हुत्था ।।१३८|| समणस्स ० तेरस सया ओहीनाणीणं अइसेसपत्ताणं उक्कोसिया ओहिनाणिसंपया हुत्था॥१३९|| समणस्स णं भगवओ० सत्त सया केवल नाणीणं संभिण्णवरनाणदंसणधराणं उक्कोसिया केवलनाणिसंपया हुत्या ||१४०॥ समणस्स णं भ ० सत्त सया वेउव्वीणं अदेवाणं देविड्ढिपत्ताणं उक्कोसिया वेउब्वियसंपया हुत्था ॥१४१॥ समणस्स णं भ० पंच सया विउलमईणं अड्डाइज्जेसु दीवेसु दोसु अ समुद्देसु सन्नीणं पंचिदियाणं पज्जत्तगाणं मणोगए भावे जाणमाणाणं उक्कोसिआ विउलमईणं संपया हुत्था ॥१४२।। समणस्स णं भ० चत्तारि सया वाईणं सदेवमणुआसुराए परिसाए वाए अपराजियाणं उक्कोसिया वाइसंपया हुत्था ।।१४३।। समणस्सणं भगवओ० सत्त अंतेवासिसयाइं सिद्धाइं जाव सव्वदुक्खप्पहीणाई, चउद्दस अज्जियासयाइं सिद्धाइं॥१४४|| समणस्सणं भग ० अट्ठ सया अणुत्तरोववाइयाणं गइकल्लाणाणं ठिइकल्लाणाणं आगमेसिभद्दाणं उक्कोसिया अणुत्तरोववाइयाणं संपया हुत्था॥१४५॥ समणस्स भ ० दुविहा अंतगडभूमी हुत्था तंजहा-जुगं-तगडभूमी य परियायंतगडभूमी य, जाव तच्चाओ पुरिसजुगाओ जुगंतगडभूमी, चउवासपरियाए अंतमकासी ॥१४६।। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे तीसंवासाइं अगारवासमज्झे वसित्ता, साइरेगाइंदुवालस वासाइंछउमत्थपरियागं पाउणित्ता, देसूणाई तीसं वासाइं केवलिपरियागं पाउणित्ता बायालीसं वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता, बावत्तरि वासाइं सव्वाउयं पालइत्ता; खीणे वेयणिज्जाउयनामगुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए दूसमसुसमाए है समाए बहुविइक्वंताए तीहि वासेहिं अद्धनवमेहि य मासेहिं सेसेहिं पावाए मज्झिमाए हत्थिवालस्स रण्णो रज्जुयसभाए एगे अबीए छटेणं भत्तेणं अपाणएणं साइणा नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पच्चूसकालसमयंसि संपलिअंकनिसण्णे पणपन्नं अज्झयणाई कल्लाणफलविवागाइं पणपन्नं अज्झयणाई पावफलविवागाइं छत्तीसं च अपुट्ठवागरणाइं वागरित्ता पहाणं नाम अज्झयणं विभावेमाणे २ कालगए विइक्वंते समुज्जाए छिन्नजाइजरामरणबंधणे सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिनिव्वुडे सब्दुक्खप्पहीणे ॥१४७|| समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स नव वाससयाई विइक्वंताई दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ, वाणंतरे पुण अयं तेणउए संवच्छरे काले गच्छइ इइ दीसइ ॥१४८।। २४ ॥ इति श्री महावीरचरित्रम् ।। तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए पंचविसाहे हुत्था, तंजहा-विसाहाहिं चुए चइत्ता गब्भं वक्ते १, विसाहाहिं जाए २, विसाहाहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पव्वइए ३, विसाहाहि अणंते अणुतरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने ४, विसाहाहिं परिनिव्वुए ५,॥१४९।। तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले, तस्स णं चित्तबहुलस्स चउत्थीपक्खे णं पाणयाओ कप्पाओ वीसं-सागरोवमट्ठिश्याओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वाणारसीए नयरीए आससेणस्सरण्णो वामाए देवीए पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आहारवक्तीए (ग्रं. ७००) भववक्कंतीए सरीरवक्कंतीए कुच्छिंसि गम्भत्ताए वक्ते ॥१५०|| पासे णं अरहा पुरिसादाणीए तिन्नाणोवगए आविहुत्था, तंजहाचइस्सामित्ति जाणइ, चयमाणे न जाणइ, चुएमित्ति-जाणइ, तेणं चेव अभिलावेणं सुविणदसणविहाणेणं सव्वं जाव निअगं गिहं अणुपविठ्ठा, जाव सुहंसुहेणं तं गभं परिवहइ ॥१५१॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए जे से हेमंताणं दुच्चे मासे तच्चे पक्खे पोसबहुले, तस्स णं पोसबहुलस्स दसमीपक्खेणं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राइंदिआणं विइक्ताणं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आरोग्गा आरोग्गं दारयं पयाया ॥१५२|| जं रयणिंचणं पासे ० जाए सारयणी बहूहिं देवेहिं देवीहि य जाव उप्पिंजलगभूया कहकहगभूया याविहुत्था॥१५३|| सेसं तहेव, नवरं जम्मणं पासाभिलावेणं णिअव्वं, जावतं होउणं कुमारे पासे नामेणं ॥१५४|| पासे अरहा पुरिसादाणीए दक्खे दक्खपइन्ने पडिरुवे अल्लीणे भद्दए विणीए तीसं वासाई अगारवासमज्झे 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听TO $5555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा-१५५७5555555555555555555555555FOOR Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ORO 5 5 5 5 555555555 (३९-२) दसासुयक्खंधं कप्पसूर्य (बारसासूत्रं) [१६] वसित्ता पुणरवि लोगंतिएहिं जीअकप्पेहिं देवेहिं ताहिं इट्ठाहिं जाव एवं वयासी || १५५॥ "जय जय नंदा !, जय जय भद्दा !, भद्दं ते" जाव जयजयसद्दं परंजंति || १५६ || पुर्व्विपि णं पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स माणुस्सगाओ गिहत्थधम्माओ अणुत्तरे आभोइए तं चेव सव्वं जाव दाणं दाइयाणं परिभाइत्ता, जे से हेमंताणं दुच्चे मासे तच्चे पक्खे पोसबहुले, तस्स णं पोसबहुलस्स इक्कारसीदिवसे णं पुव्वण्हकालसमयंसि विसाला सिबिआए सदेवमणुआसुराए परिसाए, तं चैव सव्वं नवरं वाणारसिं नगरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव आसमपए उज्जाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स अहे सीयं ठावेइ, ठावित्ता सीयाओ पच्चोरुहित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुअइ, सय ० ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोअं करेइ, रित्ता अठ्ठणं भत्ते अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं एगं देवदुसमादाय तीहिं पुरिससएहिं सद्धि मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए || १५७|| पासे णं अरहा पुरिसादाणीए तेसीइं राइंदियाई निच्चं वोसट्टकाए चियत्तदेहे जे केई उवसग्गा उप्पज्जंति, तंजहादिव्वा वा माणुस्सा वा तिरिक्खजोणिआ वा अणुलोमा वा पडिलोमा वा, ते उप्पन्ने सम्मं सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ || १५८|| तए णं से पासे भगवं अणगारे जाए ईरियासमिए भासासमिए जाव अप्पाणं भावेमाणस्स तेसीइं राइंदियाइं विइक्कंताई, चउरासीइमे राइदिए अंतरा वट्टमाणे जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले, तस्स णं चित्तबहुलस्स चउत्थीपक्खे णं पुव्वण्हकालसमयंसि धायईपायवस्स अहे छट्ठेणं भत्तेर्ण अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणंतरिआए वट्टमाणस्स अणंते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने जाव जाणमाणे पासमाणे विहरइ ॥ १५९ ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अट्ठ गणा अट्ठ गणरा हुथा, जहासुभे १ अज्जघोसे य २, वसिट्ठे ३ बंभयारि य ४ सोमे ५ सिरिहरे ६ चेव, वीरभद्दे ७ जसेऽविय ८ ॥ १६० ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अज्जदिण- पामुक्खाओ सोलस समणसाहस्सीओ उक्कोसिआ समणसंपया हुत्था || १६१ || पासस्स णं अ० पुप्फचूलापामुक्खाओ अट्ठतीसं अज्जियासाहस्सीओ उक्कोसिआ अज्जियासंपया हुत्था ॥ १६२॥ पासस्स ० सुव्वयपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगासयसाहस्सीओ चउसद्धिं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासगाणं संपया हुत्था ||१६३|| पासस्स ० सुनंदापामुक्खाणं समणोवासियाणं तिण्णि सयसाहस्सीओ सत्तावीसं च सहस्सा उक्कोसिआ समणोवासियाणं संपया हुत्था ॥१६४॥ पासस्स ० अद्धुट्ठसया चउद्दसपुव्वीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खर जाव चउद्दसपुव्वीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खर जाव चउद्दसपुव्वीणं संपया हुत्था ॥ १६५॥ पासस्स णं ० चउद्दस सया ओहिनाणीणं, दस सया केवलनाणीणं, इक्कारस सया वेउब्वियाणं, छस्सयारिउमईणं, दस समणसया सिद्धा, वीसं अज्जियासया सिद्धा, अद्धट्ठमसया विउलमईणं, छ सया वाईणं, बारस सया अणुत्तरोववाइयाणं || १६६ || पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, तंजहाजुगंतगडभूमी, परियायंतगडभूमी य, जाव चउत्थाओ पुरिसजुगाओ जुगंतगडभूमी तिवासपरिआए अंतमकासी ॥१६७॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए तीसं वासाई अगारवासमज्झे वसित्ता तेसीइं राइंदिआइं छउमत्थपरिआयं पाउणित्ता देसूणाइंसत्तरि चासाइं केवलिपरिआयं पाउणित्ता पडिपुण्णाइं सत्तरि वासाइं सामण्णपरिआयं पाउणित्ता एक्वं वाससयं सव्वाउयं पालइत्ता खीणे वेयणिज्जाउयनामगुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए दूसमसुसमा समाए बहुविइक्कंताए जे से वासाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावणसुद्धे, तस्स णं सावणसुद्धस्स अट्ठमीपक्खे णं उम्पिं संमेअसेलसिहरंसि अप्पचन्तीसमे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पुव्वण्हकालसमयंसि वग्घारियपाणी कालगए विइक्कंते जाव सव्वदुक्खप्पीपणे ॥ १६८ ॥ पासस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स दुवालस वाससयाइं विइक्कंताई, तेरसमस्स य अयं तीसइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥ १६९ ॥ २३ ॥ इति श्रीपार्श्वचरित्रम् ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठनेमी पंचचित्ते हुत्था, तंजहा चित्ताहिं चुए चइता गब्भं वक्कंते, तहेव उक्खेवो जाव चित्ताहिं परिनिब्बु ॥ १७० ॥ तेषां कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठनेमी जे से वासाणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे कत्तिअबहुले, तस्स णं कत्तियबहुलस्स बारसीपक्खेणं अपराजिआओ महाविमाणाओ HONOR श्री आगमगुणमंजूषा - १९५८ ॐ ॐ ॐ ON Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३९-२) दसासुयक्खंधं कप्पसूयं (बारसासूत्र) • फ्र बत्तीससागरोवमठिइ ओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सोरियपुरे नयरे समुद्दविजयस्स रण्णो भारिआए सिवाए देवीए पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि जाव चित्ताहिं गब्भत्ताए वक्कंते, सव्वं तहेव सुमिणदंसणदविणसंहरणाइहं इत्थ भाणियव्वं ॥ १७१ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठनेमी जे से वासाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावणसुद्धे, तस्स णं सावणसुद्धस्स पंचमीपक्खेणं नवण्हं मासाणं जाव चित्ताहिं नक्खतेणं जोगमुवागएणं जाव आरोग्गा आरोग्गं दारयं पयाया || जम्मणं समुद्दविजयाभिलावेणं नेयव्वं, जाव तं होउ णं कुमारे अरिट्ठनेमी नामेणं || अरहा अरिट्टनेमी दक्खे जाव तिण्णि वाससयाइं कुमारे अगारवासमज्झे वसित्ता रवि लोगंतिएहिं जीअकप्पिएहिं देवेहिं तं चेव सव्वं भाणियव्वं, जाव दाणं दाइयाणं परिभाइत्ता || १७२ || जे से वासाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावणसुद्धे तस्स णं सावणसुद्धस्स छठ्ठीपक्खेणं पुव्वण्हकालसमयंसि उत्तरकुराए सीयाए सदेवमणुआसुराए परिसाए अणुगम्ममाणमागे जाव बारवईए नयरीए मज्झमज्झेण निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव रेवयए उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स अहे सीहं ठावेइ, ठावित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ, सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करित्ता छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं चित्तानक्खत्तेणं जोगमुवागएणं एगं देवदुसमादाय एगेणं पुरिससहस्सेणं सद्धिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए || १७३ || अरहा णं अरिट्ठनेमी चउपन्नं राइंदियाई निच्चं वोसट्टकाए चियत्तदेहे, तं चेव सव्वं जाव पणपन्नगस्स राइदियस्स अंतरा वट्टमाणस्स जे से वासाणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे आसोयबहुले, तस्स णं आसोयबहुलस्स पन्नरसीपक्खेणं दिवसस्स पच्छिमे भाए उज्जितसेलसिहरे वेडसपायवस्स अहे छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं चित्तानक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अनंते अणुत्तरे जाव सव्वलोए सव्वजीवाणं सव्वभावे जाणमाणे पासमाणे विहरइ || १७४ | | अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स अट्ठारस गणा अट्ठारस गणहरा हुत्था || १७५|| अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स वरदत्तपामुक्खाओ अट्ठारस समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया हुत्था || १७६ || अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स अज्जजक्खिणीपामुक्खाओ उक्कोसिया अज्जियापया हुथा || १७७|| अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स नंदपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सीओ अउणत्तरि च सहस्सा उक्कोसिया समणोवा सगाणं संपया हुत्था ॥ १७८॥ अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स महासुव्वयापामुक्खाणं समणोवासिगाणंतिण्णि सयसाहस्सीओ छत्तीसं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासिआणं संपया हुत्था ॥ १७९॥ अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स चत्तारि सया चउद्दसपुब्वीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खर सन्निवाईणं जिणो विव अवितहं वागरमाणाणं उक्कोसिया चउद्दसपुव्वीणं संपया हुत्था ॥ १८०॥ पन्नरस सया ओहिनाणीणं, पन्नरस सया केवलनाणीणं, पन्नरस सया वेउव्विआणं, दस सया विउलमईणं, अट्ठ सया वाईणं, सोलस सया अणुत्तरोववाइआणं, पन्नरस समणसया सिद्धा, तीसं अज्जियासयाई सिद्धाई || १८१ ॥ अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, तंजहा- जुगंतगडभूमी परियायंतगडभूमी य जाव अट्ठमाओ पुरिसजुगाओ जुगंतगडभूमी दुवासपरिआए अंतमकासी || १८२|| तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिनेमी तिण्णि वाससयाइं कुमारवासमज्झे वसित्ता चउपन्नं राइंदियाई छउमत्थपरिआयं पाउणित्ता देसूणाई सत्त वाससयाइं केवलिपरिआय पाउणित्ता पडिपुण्णाई सत्त वाससयाई सामण्णपरिआयं पाउणित्ता एवं वाससहस्सं सव्वाउअं पालइत्ता खीणे वेयणिज्जाउयनामगुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए दूसमसुसमाए समाए बहुविइक्कंताए जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे आसाढसुद्धे तस्स णं आसाढसुद्धस्स अट्ठमीपक्खे णं उप्पि उज्जितसेलसिहरंसि पंचहि छत्तीसेहिं अणगारसएहिं सद्धि मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं चित्तानक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि नेसज्जिए कालगए (ग्रं. ८००) जाव सव्वदुक्ख ॥१८३॥ अरहओ णं अरिट्ठनेमिस्स कालगयस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स चउरासीइं वाससहस्साइं विइक्कंताई, पंचासीइमस्स वाससहस्सस्स नव वाससयाई विक्कताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ || १८४।२२। इति श्रीनेमिनाथचरित्रम् नमिस्स णं अरहओ कालगयस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स पंच वाससयसहस्साइं चउरासीइं च वाससहस्साइं नव य वाससयाइं विइक्कंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - १५५९OOK KOKO [१७] Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३९-२) दसासुयक्खधं कप्पसूयं (बारसासूत्र) ___ [१८] C明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听C गच्छइ ।।१८५||२१|| मुणिसुव्वयस्स णं अरहओ कालगयस्स इक्कारस वाससयसहस्साइं चउरासीइं च वाससहस्साई नव वाससयाइं विइक्कंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ॥१८६।।२०।। मल्लिस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स पन्नट्ठि वाससयसहस्साइं चउरासीइं च वाससहस्साइं नव वाससयाइं विइक्वंताई, दसमस्सय वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ।।१८७||१९|| अरस्सणं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगे वासकोडिसहस्से विइक्कंते, सेसं जहा मल्लिस्स, तं च एयं-पंचसर्व्हि लक्खा चउरासीइं सहस्सा विइक्वंता, तंमि समए महावीरो निव्वुओ, तओ पर नव वाससया विइक्कंता दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ । एवं अग्गओ जाव सेयंसो ताव दट्ठव्वं ।।१८८||१८|| कुंथुस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगे चउभागपलिओवमे विइक्वंते पंचसट्ठिवासयसयहस्सा, सेसं जहा मल्लिस्स॥१८९||१७|| संतिस्सणं अरहओजाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगे चउभागूणे पलिओवमे विइक्कंते पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥१९०||१६|| धम्मस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स तिण्णि सागरोवमाइं विइक्वंताई पन्नट्ठि च, सेसं जहा मल्लिस्स ।।१९१।।१५।। अणंतस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स सत्त सागरोवमाइं विइक्वंताई पन्नटुिं च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥१९२||१४|| विमलस्स णं अरहओजाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स सोलस सागरोवमाई विइक्कंताई पन्नटिं च, सेसं जहा मल्लिस्स॥१९३।।१३।। वासुपुज्जस्सणं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स छायालीसं सागरोवमाइं विइक्कंताई पन्नहिँ च, सेसं जहा मल्लिस्स ॥१९४|| १२|| सिज्जंसस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्सएगे सागरोवमसए विइक्कते पन्नटुिं च, सेसं जहा मल्लिस्स ।।१९५||११|| सीअलस्स णं अरहओ जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स एगा सागरोवमकोडी तिवासअद्धनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहिं ऊणिआ विईक्कंता, एयंमि समए वीरो निव्वुओ, तओऽवियं णं परं नव वाससयाई विइक्वंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ॥१९६||१०|| सुविहिस्सणं अरहओ पुप्फदंतस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स दस सागरोवमकोडीओ विइक्वंताओ, सेसं जहा सीअलस्स तं च इमं-तिवासअद्धनवमासाहि अबायालीसवाससहस्सेहिं ऊणिआ विइक्कंता इच्चाइ ॥१९७।।९।। चंदप्पहस्स णं अरअहो जाव पहीणस्स एगं सागरोवमकोडिसयं विइक्कंतं, सेसं जहा सीअलस्स, तं च इमंतिवासअद्धनवमासहियबायालीसवाससहस्सेहिं ऊणगमिच्चाइ ॥१९८॥८॥ सुपासस्स णं अरहओ जाव पहीणस्स एगे सागरोवमकोडिसहस्से विइक्कते सेसं जहा सीअलस्स, तं च इमंतिवासअद्धनवमासाहिअबायालीसवाससहस्सेहि ऊणिआ इच्चाइ ॥१९९।७।। पउमप्पहस्स णं अरहओ जाव पहीणस्स दस सागरोवमकोडिसहस्सा विइक्वंता, तिवासअद्धनवमासाहियबायालीसवाससहस्सेहि इच्चाइयं, सेसं जहा सीअलस्स ॥२००||६|| सुमइस्स णं अरहओ जाव पहीणस्स एगे ? सागरोवमकोडिसयसहस्से विइक्कते, सेसं जहा सीअलस्स, तिवासअद्धनवमासाहियबायालीसवाससहस्सेहिंइच्चाइयं ॥२०१||५|| अभिनंदनणस्सणं अरहओ जाव पहीणस्स दस सागरोवमकोडिसयसहस्सा - विइक्कंता, सेसं जहा सीअलस्स तिवासअद्धनवमासाहियबायालीसवासहस्सेहिं इच्चाइयं ।।२०२।।४।। संभवस्सणं अरहओ जाव पहीणस्स वीसं सागरोवमकोडिसयसहस्सा वीइक्वंता, सेसं जहा सीअलस्स, तिवासअद्ध नवमासाहियबायालीसवाससहस्सेहिं इच्चाइयं ॥२०३||३।। अजियस्स णं अरहओ जाव पहीणस्स पन्नासं सागरोवमकोडिसयसहस्सा विइक्कंता, सेसं जहा सीअलस्स, तं च इमंतिवासअद्धनवमासाहियबायालीसवाससहस्सेहिं इच्चाइयं ॥२०४॥२॥ इति अन्तराणि॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं उसभे णं अरहा कोसलिए चउत्तरासाढे अभीइपंचमे हुत्था, तंजहा-उत्तरासाढाहिं चुए चइत्ता गब्भं वक्वंते जाव अभीइणा परिनिव्वुए ॥२०५|| तेणं कालेणं तेणं समएणं उसभे णं अरहा कोसलिए जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे, सत्तमे पक्खे, आसाढबहुले, तस्सणं आसाढबहुलस्स चउत्थीपक्खेणं सव्वट्ठसिद्धाओ महाविमाणाओ तित्तीसं सागरोवमट्ठिइआओ अणंतरं चयं चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इक्खागभूमीए नाभिस्स कुलगरस्स मरुदेवीए भारिआए पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि आहारखक्कंतीए जाव गब्भत्ताए वक्कते॥२०६।। उसमेणं अरहा कोसलिए तिन्नाणो वगए आविहुत्था, तंजहा-चइस्सामित्ति O2O乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FONE Sreyo55555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- १५६०55555555555555555555++GIOR Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फ्र (३९-२) दसासुयक्खंधं कप्पसूर्य (बारसासूत्रं) ts जाव सुमि पाइ, तंजहा - गयवसह ० गाहा । सव्वं तहेव, नवरं पढमं उसभं मुहेणं अनंतं पासइ सेसाओ गयं । नाभिकुलगरस्स, साहइ, सुविणपाढगा नत्थि, नाभिकुलगरो सयमेव वागरेइ || २०७|| तेणं कालेणं तेणं समएणं उसमे णं अरहा कोसलिए जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले तस्स णं चित्तबहुलस्स अट्ठीपक्खे णं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्टमाणं राइंदियाणं जाव आसाढाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं जाव आरोग्गा आरोग्गं दारयं पाया || २०८|| तं चैव सव्वं, जाव देवा देवीओ य वसुहारवास वासिंसु, सेसं तहेव चारगसोहण-माणुम्माण- वड्डणउस्सुक्कमाइय- विइवडिय - जूयवज्जं सव्वं भाणिअव्वं ॥ २०९॥ उसमे णं अरहा कोसलिए कासवगुत्तेणं, तस्स णं पंच नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तंजहा उसमे इ वा, पढमराया इवा, पढमभिक्खायरे इ वा, पढमजिणे इवा, पढमतित्थयरे इ वा ॥२१०॥ उसमे णं अरहा कोसलिए दक्खे दक्खपइण्णे पडिरुवे अल्लीणे भद्दए विणीएवी संपुव्वसयसहस्साइं कुमारवासमझे वसइ, वसित्ता तेवट्ठि पुव्वसयसहस्साई रज्जवासमज्झे वसई, तेवट्ठि च पुव्वसयसहस्साइं रज्जवासमज्झे वसमाणे लेहाइआओ गणियप्पहाणाओ सउणरुयपज्जवसाणाओ बावत्तरिं कलाओ चउसट्ठि महिला गुणे सिप्पसयं च कम्माणं, तिन्निऽवि पयाहिआए उवदिसइ, उवदिसित्ता पुत्तसयं रज्जसए अभिसिंचाइ, अभिसिंचित्ता पुणरवि लोअंतिएहिं जीअकप्पिएहिं देवेहिं ताहिं इट्ठाहि जाव वग्गूहिं, सेसं तं चेव सव्वं भाणिअव्वं, जाव दाणं दाइआणं परिभाइत्ता जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले, तस्स णं चित्तबहुलस्स अट्ठमीपक्खे णं दिवसस्स पच्छिमे भागे सुदंसणाए सीयाए सदेवमणुआसुराए परिसाए समणुगम्ममाणमग्गे जाव विणीयं रायहाणि मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव सिद्धत्थवणे उज्जाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स अहे जाव सयमेव चउमुद्विअं लोअं करेइ, करिता छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं आसाढाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं उग्गाणं भोगाणं राइण्णाणं खत्तियाणं च चउहि पुरिससहस्सेहिं सद्धिं एगं देवदुसमादाय मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए || २११|| उसमे णं अरहा कोसलिए एगं वाससहस्सं निच्चं बोसट्टकाए चित्तदेहे जे केइ उवसग्गा जाव अप्पाणं भावेमाणस्स इक्कं वाससहस्सं विइक्कतं, तओ णं जे से हेमंताणं चउत्थे मासे सत्तमे पक्खे फग्गुणबहुले, तस्स णं फग्गुणबहुलस्स इक्कारसीपक्खे णं पुव्वण्हकालसमयंसि पुरिमतालस्स नयरस्स बहिआ सगडमुहंसि उज्जाणंसि नग्गोहवरपायवस्स अहे अट्ठमेणं भत्तेणं अपाणएणं आसादाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणंतरिआए वट्टमाणस्स अणंते जाव जाणमाणे पासमाणे विहरइ ॥ २१२ ॥ उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स चउरासीई गणा, चउरासीई गणरा हुत्था || २१३ ॥ उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स उसभसेणपामुक्खाणं चउरासीइओ समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया हुत्था ||२१४|| उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स बंभीसुंदरीपामुक्खाणं अज्जियाणं तिण्णि सयसाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जियासंपया हुत्था ||२१५|| उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स सिज्जंसपामुक्खाण समणोवासगाणं तिण्णि सयसाहस्सीओ पंच सहस्सा उक्कोसिया समणोवासगसंपया हुत्था || २१६ ॥ उसमस्स अरहओ कोसलिअस्स सुभद्दापामुक्खाणं समणोवासियाणं पंच सयसाहस्सीओ चउपण्णं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासियाणं संपया हुत्था ॥ २१७॥ उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स चत्तारि सहस्सा सत्त सया पण्णासा चउद्दसपुव्वीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं जाव उक्कोसिया चउद्दसपुव्विसंपया हुत्था ॥२१८॥ उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स नव सहस्सा ओहिनाणीणं ० उक्कोसिया समणसंपया हुत्था ||२१९|| उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स वीस सहस्सा केवलनाणीणं ० उक्कोसियाकेवलनाणि संपया हुत्था ॥ २२०॥ उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स वीस सहस्सा छच्च सया वेउब्वियाणं ० उक्कोसिया समणसंपया हुत्था ||२२१|| उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स बारस सहस्सा छच्च सया पण्णासा विउलमईणं अड्डाइज्जेसु दीवसमुद्देसु सन्नीणं पंचिदियाणं पज्जत्तगाणं [१९] गए भावे जाणणाणं पासमाणाणं उक्कोसिया विउलमइसंपया हुत्था ॥२२२॥ उसमस्स णं अरहओ कोसलिअस्स बारस सहस्सा छच्च सया पण्णासा वाईणं ० संपया हुत्था ॥२२३॥ उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स वीसं अंतेवासिसहस्सा सिद्धा, चत्तालीसं अज्जियासाहस्सीओ सिद्धाओं ||२२४|| उसभस्स णं अरहओ कोसलिअस्स बावीस सहस्सा नव सया अणुत्तरोववाइयाणं गइकल्लाणाणं जाव भद्दाणं उक्कोसिया ० संपया हुत्था ||२२५ ॥ उसभस्स णं अरहओ श्री आगमगुणमंजूषा १५६१ Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR95555555555555555 १३९-२) दसासुयक्खधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) [२०] 5555555555555 HONOK 乐555555明明明明明明明明明明明乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐乐明明56U 2 कोसलिअस्स दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, तंजहा-जुगंतगडभूमी य परियायंतगडभूमी य, जाव असंखिज्जाओ पुरिसजुगाओ जुगंतगडभूमी, अंतोमुहूत्तपरिआए अंतमकासी ॥२२६।। तेणं कालेणं तेणं समएणं उसभेणं अरहा कोसलिए वीसं पुव्वसयसहस्साइं कुमारवासमज्झे वसित्ताणं तेवढेिपुव्वसयसइस्साइं रज्जवासमझे वसित्ताणं तेसीइं पुव्वसयसहस्साई अगारवासमज्झे वसित्ताणं एगं वाससहस्सं छउमत्थपरिआयं पाउणित्ता एणं पुव्वसयसहस्सं वाससहस्सूणं केवलिपरिआयं पाउणित्ता पडिपुण्णं पुव्वसयसहस्सं सामण्णपरियागं पाउणित्ता चउरासीइं पुव्वसयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता खीणे वेयणिज्जाउयनामगुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए सुसमदूसमाए समाए बहुविइक्वंताए तीहिवासेहिं अद्धनवमेहि य मासेहिं सेसेहिंजे से हेमंताणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे माहबहुले, तस्सणं माहबहुलस्स (ग्रं०९००) तेरसीपक्खे णं उप्पिं अट्ठावयसेलसिहरंसि दसहिं अणगारसहस्सेहिं सद्धिं चोद्दसमेणं भत्तेणं अपाणएणं अभीइणा नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पुव्वण्हकालसमयंसि संपलियंकनिसण्णे कालगए विइक्कते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे ॥२२७।। उसभस्स णं अरहओ कोसलियस्स कालगयस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स तिण्णि वासा अद्धनवमा य मासा विइक्कंता, तओऽवि परं एगा सागरोवमकोडाकोडी तिवास-अद्धनवमासाहिय-बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिया विइक्वंता, एयंमि समए समणे भगवं महावीरे परिनिव्वुडे, तओऽविपरं नव वाससया विइक्वंता, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ ।।२२८ इति श्रीऋषभचरित्रं, प्रथमं वाच्यं च।। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा हुत्था॥१॥ से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा हुत्था ? ||२|समणस्स भगवओ महावीरस्स जिढे इंदभूई अणगारे गोयमगुत्ते णं पंच समणसयाइं वाएइ, मज्झिमए 5 अग्गिभूई अणगारे गोयमगुत्ते णं पंच समणसयाई वाएइ, कणीअसे अणगारे वाउभूई गोयमगुत्ते णं पंच समण सयाई वाएइ, थेरे अज्जवियत्ते भारद्दाए गुत्तेणं पंच समणसयाई वाएइ, थेरे अज्जसुहम्मे अग्गिवेसायणे गुत्तेणं पंच समणसयाइं वाएइ, थेरे मंडियपुत्ते वासिढे गुत्तेणं अधुट्ठाइं समणसयाइं वाएइ, थेरे मोरिअपुत्ते कासवे गुत्तेणं अधुट्ठाइं समणसयाई वाएइ, थेरे अकंपिए गोयमे गुत्तेणं-थेरे अयलभाया हारिआयणे गुत्तेणं, पत्तेयं एते दुण्णिवि थेरा तिण्णि तिण्णि समणसयाई वाएंति, थेरे अज्जमेइज्जे-थेरे अज्जपभासे, एए दुण्णिवि थेरा कोडिन्नागुत्तेणं तिण्णि तिण्णि समणसयाइं वाएंति । से तेणटेणं अज्जो ! एवं वुच्चइ-समणस्स भगवओ महावीरस्स नव गणा, इक्कारस गणहरा हुत्था ||३|| सव्वेऽविणं एते समणस्स भगवओ महावीरस्स एक्कारसवि गणहरा दुवालसंगिणो चउदसपुब्विणो समत्तगणि-पिडगधारगा रायगिहे नगरे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं कालगया जाव सव्वदुक्खप्पहीणा । थेरे इंदभूई थेरे अज्जसुहम्मे य सिद्धिगए महावीरे पच्छा दुण्णिवि थेरा परिनिव्वुया, जे इमे अज्जत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति एए णं सव्वे अज्जसुहम्मस्स अणगारस्स आवच्चिज्जा, अवसेसा गणहरा निरवच्चा वुच्छिन्ना |४|| समणे भगवं महावीरे कासवगुत्ते णं । समणस्स णं भगवओ महावीरस्स कासवगुत्तस्स अज्जसुहम्मे थेरे अंतेवासी अग्गिवेसायणगुत्ते १, थेरस्स णं अज्जसुहम्मस्स अग्गिवेसायणगुत्तस्स अज्जजंबूनामे थेरे अंतेवासी कासवगुत्तेणं २, थेरस्स णं अज्जजंबूणामस्स कासवगुत्तस्स अज्जप्पभवे थेरे अंतेवासी कच्चायणसगुत्ते ३, थेरस्स णं अज्जप्पभवस्स कच्चायणसगुत्तस्स अज्जसिज्जंभवे थेरे अंतेवासी मणगपिया वच्छसगुत्ते ४, थेरस्स णं अज्जसिज्जंभवस्स मणगपिउणो वच्छसगुत्तस्स अज्जजसभद्दे थेरे अंतेवासी तुंगियायणसगुत्ते ५॥५॥ संखित्तवायणाए अज्जजसभद्दाओ अग्गओ एवं थेरावली भणिया, तंजहाई थेरस्स णं अज्जजसभहस्स तुंगियायणसगुत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा-थेरे अज्जसंभूअविजए माढरसगुत्ते, थेरे अज्जभद्दबाहू पाईणसगुत्ते ६, थेरस्स णं अज्जसंभूअविजयस्स माढरसगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्जथूलभद्दे गोयमसगुत्ते७, थेरस्सणं अज्जथूलभद्दस्सगोयमसगुत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा-थेरे अज्जमहागिरी एलावच्चसगुत्ते, थेरे अज्जसुहत्थी वासिट्ठसगुत्ते ८, थेरस्स णं अज्जसुहत्थिस्स वासिट्ठसगुत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा-सुट्ठियसुप्पडिबुद्धा कोडियकाकंदगा वग्यावच्चसगुत्ता ९, थेराणं सुट्ठियसुप्पडिबुद्धाणं कोडियकाकंदगाणं वग्घावच्चसगुत्ताणं अंतेवासी थेरे अज्जइंददिन्ने कोसियगुत्ते १०, थेरस्स णं अज्जइंददिन्नस्स 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听CN YOOFFFFFFFFFFF#555555555555 9 श्री आगमगुणमजूषा - १५६२ 55555555555$$$$$$$$$$$$$$$$OLOR Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %%%%%%%%%%%%550 %% PRO395555555555 (३९-२) दसासुथक्खंध कप्पसूर्य (बारसासूत्र) ____ [२१] $$$$$$$$$$$%EXOK कोसियगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्जदिन्ने गोयमसगुत्ते ११, थेरस्स ण अज्जदिन्नस्स गोयमसगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्जसींहगिरी जाइस्सरे कोसियगुत्ते १२, थेरस्स णं अज्जसींहगिरिस्स जाइस्सरस्स कोसियगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्जवइरे गोयमसगुत्ते १३, थेरस्स णं अज्जवइरस्स गोयमसगुत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्जवइरसेणे उक्कोसियगुत्ते १४, थेरस्सणं अज्जवइरसेणस्स उक्कोसिअगुत्तस्स अंतेवासी चत्तारि थेराथेरे अज्जनाइले १ थेरे अज्जपोमिले २ थेरे अज्जजयंते ३ थेरे अज्जतावसे ४, १५, थेराओ अज्जनाइलाओ अज्जनाइला साहा निग्गया, थेराओ अज्जपोमिलाओ अज्जपोमिला साहा निग्गया, थेराओ अज्जजयंताओ अज्जजयंती साहा निग्गया थेराओ अज्जतावसाओ अज्जतावसी साहा निग्गया, ४ इति ।।६।। वित्थर वायणाए पुण अज्जजसभद्दाओ पुरओ थेरावली एवं पलोइज्जइ, तंजहा-थेरस्सणं अज्जजसभहस्स तुंगियायणसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तं जहा थेरे अज्जभद्दबाहू पाइणस्स गुत्ते, थेरे अज्जसंभूअविजए माढरसगुत्ते थेरस्सणं अज्जभद्दबाहुस्स पाईणसगुत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे गोदासे १ थेरे अग्गिदत्ते २ थेरे जण्णदत्ते ३ थेरे सोमदत्ते ४ कासवगुत्तेणं, थेरेहितो गोदासेहितो कावसगुत्तेहिंतो इत्थ णं गोदासगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ एवमाहिज्जंति, तंजहा-तामलित्तिया १, कोडीवरिसिया २, पुंडुवद्धणिया ३, दासीखब्बडिया ४, थेरस्स णं अज्जसंभूयविजयस्स माढरसगुत्तस्स इमे दुवालसथेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था तंजहानंदणभद्दु १ वनदंपाभद्दे २ तह तीसभद्द ३ जसभद्दे ४ । थेरे य सुमणभद्दे ५, मणिभद्दे ६, पुण्णभद्दे ७ य ॥१॥ थेरे अथूलभद्दे ८, उज्जुमई ९ जंबूनामधिज्जे १० य । थेरे अ दीहभद्दे ११, थेरे तह पंडुभद्दे १२ य||२॥ थेरस्स णं अज्जसंभूअविजयस्स माढरसगुत्तस्स इमाओ सत्त अंतेवासिणीओ अहावच्चाओ अभिण्णयाओ हुत्था, तंजहा-जक्खा १ य जक्खदिण्णा २, भूया ३ तह चेव भूयदिण्णा य ४ । सेणा ५ वेणा ६ रेणा ७, भइणीओ थूलभद्दस्स ।।१।। थेरस्स णं अज्जथूलभद्दस्स गोयमसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थरे अज्जमहागिरी एलावच्चसगुत्ते १, थेरे अज्जसुहत्थी वासिट्ठसगुत्ते २, थेरस्स णं अज्जमहागिरिस्स एलावच्चसगुत्तस्स इमे अट्ठ थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे उत्तरे १, थेरे बलिस्सहे २, थेरे धणड्ढे ३ थेरे सिरिड्ढे ४, थेरे कोडिन्ने ५, थेरे नागे ६, थेरे नागमित्ते ७, थेरे छलए रोहगुत्ते कोसियगुत्तेणं ८, थेरेहिंतो णं छलूएहितो रोहगुत्तेहितो कोसियगुत्तेहितो तत्थ णं तेरासिया निग्गया । थेरेहिंतो णं उत्तरबलिस्सहेहितो तत्थ णं उत्तरबलिस्सहे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ एवमाहिज्जंति, तंजहा-कोसंबिया १, सोइत्तिया २, कोडंबाणी ३, चंदनागरी ४, थेरस्स णं अज्जसुहत्थिस्स वासिट्टसगुत्तस्स इमे दुवालस थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे अ अज्जरोहण १, जसभद्दे २ मेहगणी ३ य कामिड्डी ४ । सुट्ठिय ५ सुप्पडिबुद्धे६, रक्खिय ७ तह रोहगुत्ते ८ अ॥१।। इसिगुत्ते ९ सिरिगुत्ते १०, गणी अ बंभे ११ गणी य तह सोमे १२ । दस दो य गणहरा खलु, एए सीसा सुहत्थिस्स ।।२।। थेरेहितो णं अज्जरोहणेहितो णं कासवगुत्तेहितो णं तत्थ णं उद्देहगणे नामं गणे निग्गए, तस्सिमाओ चत्तारि साहाओ निग्गयाओ, छच्च कुलाई एवमाहिज्जति । से किं तं साहाओ ? साहाओ एवमाहिज्जंति, तंजहा-उदंबरिज्जिया १, मासपूरिआ २, मइपत्तिया ३, पुण्णपत्तिया ४, से तं साहाओ, से किं तं कुलाई ?, कुलाइं एवमाहिज्जति, तंजहा पढमं च नागभूयं, बिइयं पुण सोमभूइयं, होइ। अह उल्लगच्छ तइअं३, चउत्थयं हत्थलिज्जंतु॥१॥ पंचमग नंदिज्ज ५, छ8 पुण पारिहासयं ६ होइ। उद्देहगणस्सेए, छच्च कुला हुंति नायव्वा ॥२॥ थेरेहितो णं सिरिगुत्तेहितो हारियसगुत्तेहिंतो इत्थ णं चारणगणे नामं गणे निग्गऐ, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ, सत्त य कुलाई एवमाहिज्जति, से किं तं साहाओ ?, साहाओ एवमाहिज्जंति, तंजहा-हारियमालागारी १, संकासीआ २, गवेधुया ३, वज्जनागरी ४, से तं साहाओ, से किं तं कुलाइं ? , कुलाई एवमाहिज्जंति, तंजहा-पढमित्थ वत्थलिज्जं १, बीयं पुण पीइधम्मि २ होइ । तइ पुण हालिज्ज ३, चउत्थयं पूसमित्तिज्जं ? ॥१ पंचमगं म मालिज्ज ५, छ8 पुण अज्जवेडयं ६, होइ । सत्तमय कण्हसहं ७, सत्त कुला चारणगणस्स ॥२॥ थेरे हितो भद्दजसेहितो भारद्दायसगुत्तेहिंतो इत्थ णं उडुवाडियगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ तिण्णि कुलाई एवमाहिज्जंति, से किं तं साहाओ ?, साहाओ एवमाहिज्जति, तंजहा-वंपिज्जिया १ भद्दिज्जिया HerC55555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १५६३%95555555555*45*5*5*5:5%%955445FGTOR C%听听听听听听玩玩乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听FGO OSC55勇班牙55%%%%%%%%%%%%%% Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PRORRO55555555555555 (३९.२) दसासुथक्खधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) २२] २२ काकंदिया ३ मेहलिज्जिया ४, से तं साहाओ, से किं तं कुलाई ?, कुलाइं एवमाहिज्जंति, तंजहा भद्दजसियं १ तहभद्दगुत्तियं २ तइयं च होइ जसभई ३ । एयाई उडुवाडियगणस्स तिण्णेव य कुलाई ॥१॥ थेरेहितो णं कामिड्डीहिंतो कोडालसगुत्तेहिंतो इत्थ णं वेसवाडियगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ चत्तारि कुलाइं एवमाहिज्जंति । से किं तं साहाओ ?, साहाओ एवमाहिज्जंति तंजहा-सावत्थिया १, रज्जपालिआ २, अंतरिज्जिया ३, खेमलिज्जिया ४, से तं. साहाओ, से किं तं कुलाइं?, कुलाई एवमाहिज्जंति, तंजहा-गणियं १ मेहिय २ कामिहिअं ३ च तह होइ इंदपुरगं ४ च । एयाई वसेवाडियगणस्स चत्तारि उ कुलाई ॥१॥थेरेहितोणं इसिगुत्तेहिंतो काकंदएहिंतो वासिट्ठसगुत्तेहिंतो इत्थंणं माणवगणे नामंगणे निग्गए, तस्सणं इमाओ चत्तारी साहाओ तिण्णि य कुलाइं एवमाहिज्जति, से किं तं साहाओ ?, साहाओ एवमाहिज्जति तंजहा-कासवज्जिया ? गोयमज्जिया २ वासिट्ठिया ३ सोरट्टिया ४ । से तं साहाओ, से किं तं कुलाई ?, कुलाई म के एवमाहिज्जति तंजहा-इसिगुत्ति इत्थ पढमं १, बीयं इसिदत्तिअं मुणेयव्वं । तइयं च अभिजयंतं ३, तिणि कुला माणवगणस्स॥१॥ थेरेहितो सुट्ठिय-सुप्पडिबुद्धेहिंतो म कोडियकाकंदएहितो वग्घावच्चसगुत्तेहिंतो इत्थ णं कोडियगणे नामं गणे निग्गए, तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ, चत्तारि कुलाई एवमाहिज्जंति । से किं तं साहाओ?, साहाओ एवमाहिजंति, तंजहा-उच्चानागरि १ विज्जाहरी य २ वइरी य ३ मज्झिमिल्ला ४ य । कोडियगणस्स एया, हवंति चत्तारि साहाओ||१|| से तं साहाओ, से किं तं कुलाइं ?, कुलाई एवमाहिज्जंति, तंजहा-पढमित्थ बंभलिज्जं १, बिइयं नामेण वत्थलिज्जंतु २। तइयं पुण वाणिज्जं ३, चउत्थयं पण्हवाहणयं ४॥१॥ थेराणं सुट्टियसुप्पडिबुद्धाणं कोडियकाकंदयाणं वग्यावच्चसगुत्ताणं इमे पंच थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे अज्जइंददिन्ने १ थेरे पियगंथे २ थेरे विज्जाहरगोवाले कासवगुत्ते णं ३ येरे इसिदिन्ने ४ थेरे अरिहदत्ते ५। थेरेहिंतो णं पियगंथेहिंतो एत्थ णं मज्झिमा साहा निग्गया, थेरेहितो णं विज्जाहरगोवालेहितो कासवगुत्तेहिंतो एत्थ णं विज्जाहरि साहा निग्गया । थेरस्स णं अज्जइंददिन्नस्स कासवगुत्तस्स अज्जदिन्ने थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते । थेरस्स णं अज्जदिन्नस्स गोयमसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे अज्जसंतिसेणिए माढरसगुत्ते १, थेरे अज्जसीहगिरी जाइस्सरे कोसियगुत्ते २।थेरेहिंतोणं अज्जसंतिसेणिएहितो माढरसगुत्तेहिंतो एत्थ णं उच्चानागरी साहा निग्गया। थेरस्सणं अज्जसंतिसेणियस्स माढरसगुत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-(ग्रं.१०००) थेरे अज्जसेणिए १ थेरे अज्जतावसे २ थेरे अज्जकुबेरे ३ थेरे अज्जइसिपालिए । थेरेहिंतोणं अज्जसेणिएहिंतो एत्थणं अज्जसेणिया साहा निग्गया, थेरेहितोणं अज्जतावसेहिंतो एत्थ णं अज्जतावसी साहा निग्गया, थेरेहिंतोणं अज्जकुबेरेहितो एत्थ णं अज्जकुबेरा साहा निग्गया, थेरेहितो णं अज्जइसिपालिएहिंतो एत्थ णं अज्जइसिपालिया साहा निग्गया । थेरस्स णं अज्जसीहगिरिस्स जाइस्सरस्स कोसियगुत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया हुत्था, तंजहा-थेरे धणगिरी १ थेरे अज्जवइरे २ थेरे अज्जसमिए ३ थेरे अरिहदिन्ने ४ । थेरेहितो णं अज्जसमिएहिंतो गोयमसगुत्तेहिंतो इत्थ णं बंभदीविया साहा निग्गया, थेरेहितोणं अज्जवइरेहिंतो गोयमसगुत्तेहिंतो इत्थ णं अज्जवइरी साहा निग्गया। थेरस्स णं अज्जवइरस्स गोयमसगुत्तस्स इमे तिण्णि थेरे अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णया हुत्था, तंजहा-थेरे अज्जवइरसेणे १ थेरे अज्जपउमे २ थेरे अज्जरहे ३ । थेरेहितो णं अज्जवइरसेणेहितो इत्थ णं अग्णनाइली साहा निग्घाया, थेरेहितोणं अज्जपउमेहंतो इत्थ णं अज्जपउमा साहा निग्गया, थेरेहितो णं अज्जरहेहिंतो इत्थ णं अज्जजयंतीसाहा निग्गया। थेरस्स णं अज्जरहस्स वच्छसगुत्तस्स अज्जपूसगिरी थेरे अंतेवासी कोसियगुत्ते १६ । थेरस्स णं अज्जपूसगिरीस्स कोसियगुत्तस्स अज्जफग्गुमित्ते थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते १७ । थेरस्स णं अज्जफग्गुमित्तस्स गोयमसगुत्तस्स अज्जधणगिरी थेरे अंतेवासी वासिट्ठसगुत्ते १८ । थेरस्स णं ॐ अज्जधणगिरिस्स वासिट्ठसगुत्तस्स अज्जसिवभूई थेरे अंतेवासी कुच्छसगुत्ते १९। थेरस्सणं अज्जसिवभूइस्स कुच्छसगुत्तस्स अज्जभद्दे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते ॐ २०। थेरस्स णं अज्जभद्दस्स कासवगुत्तस्स अज्जनक्खत्ते थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते २१ । थेरस्स णं अज्जनक्खत्तस्स कासवगुत्तस्स अज्जरक्खे थेरे अंतेवासी 明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐C 5.0明明听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明街折$2, xexo5555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा १५६४ 5555555555555555555555555 FHOTMORE Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ro955555555555554 (३९-२) दसासुयक्खंधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) [२३] 55%%%% %%%%% %CE FOR9555555555555555555555555555555555555555555555555ODog कासवगुत्ते २२ । थेरस्सणं अज्जरक्खस्स कासवगुत्तस्स अज्जनागे थेरे अंतेवासी गोअमसगुत्ते २३ । थेरस्सणं अज्जनागस्स गोअमसगुत्तस्स अज्जजेहिल्ले थेरे अंतेवासी वासिट्ठसगुत्ते २४ । थेरस्स णं अज्जजेहिल्लस्स वासिट्ठगुत्तस्स अज्जविण्हू थेरे अंतेवासी माढरसगुत्ते २५ । थेरस्स णं अज्जविण्हुस्स माढरसगुत्तस्स अज्जकालए थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते २६ । थेरस्स णं अज्जकालयस्स गोयमसगुत्तस्स इमे दो थेरा अंतेवासी गोयमसगुत्ता - थेरे अज्जसंपलिए १, थेरे अज्जभद्दे २,२७। एएसि णं दुण्हवि थेराणं गोयमसगुत्ताणं अज्जवुड्ढे थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते २८ । थेरस्स णं अज्जबुड्डस्स गोयमसगुत्तस्स अज्जसंघपालिए थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते २९ । थेरस्सणं अज्जसंघपालिअस्स गोयमसगुत्तस्स अज्जहत्थी थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते ३०॥ थेरस्सणं अज्जहत्थिस्स कासवगुत्तस्स अज्जधम्मे थेरे अंतेवासी सुवयगुत्ते ३१ । थेरस्सणं अज्जधम्मस्स सुवयगुत्तस अज्जसिंहे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते ३२ । थेरस्सणं अज्जसिंहस्स कासवगुत्तस्स अज्जधम्मे थेरे अंतेवासी कासवगुत्ते ३३ । थेरस्सणं अज्जधम्मस्स कासवगुत्तस्स अज्जसंडिल्ले थेरे अंतेवासी ३४ । वदामि फग्गुमित्तं च गोयमं १७। धणगिरि च वासिढे १८ । कुच्छं सिवभूइंपिय १९, कोसिय दुज्जंतकण्हे अ (?) ||१|| ते वंदिऊण सिरसा, भदं वंदामि कासवसगुत्तं २० । नक्खं कासवगुत्तं २१, रक्खंपिय कासवं वंदे २२ ॥२॥ वंदामि अज्जनागं २३ च गोयमं जेहिलं च वासिढे २४ । विण्डं माढरगुत्त २५, कालगमवि गोयमं वंदे २६ ॥३|| गोयमगुत्तकुमारं, संपलियं तहय भद्दयं वंदे २७ । थेरं च अज्जवुडं, गोयमगुत्तं नमसामि २८ ॥४॥ तं वंदिऊण सिरसा, थिरसत्तचरित्तनाणसंपन्नं । थेरं च संघवालिय, गोयमगुत्तं पणिवयामि २१ ॥५॥ वंदामि अज्जहत्थिं च कासवं खंतिसागरं धीरं । गिम्हाण पढममासे, कालगयं चेव सुद्धस्स ३० ॥६|| वंदामि अज्जधम्मं च सुव्वयं सीललद्धिसंपन्नं । जस निक्खमणे देवो, छत्तं वरमुत्तमं वहइ ३१ ॥७॥ हत्थं कासवगुत्तं, धम्मं सिवसाहरां पणिवयामि । सीह कासवगुत्तं ३२, धम्मंपिय कासवं वंदे ३३ ॥८॥ तं वंदिऊण सिरसा, थिरसत्तचरित्तनाणसंपन्नं । थेरं च अज्जजंबु, गोयमगुत्तं नमसामि (३४) ||९|| मिउमद्दवसंपन्नं, उवउत्तं नाणदंसणचरित्ते । थेरं च नंदियंपिय, कासवगुत्तं पणिवयामि (३५) ।।१०|| तत्तो य थिरच्चरितं, उत्तमसम्मत्तसत्तसंजुत्त । देसिगणिखमासमणं, माढरगुत्तं नमसामि (३६) ॥११॥ तत्तो अणुओगधरं धीर मइसागरं महासत्तं । थिरगुत्तखमासमणं, वच्छसगुत्तं पणिवयामि (३७)॥१२॥ तत्तो य नाणदंसणचरित्ततवसुट्ठियं गुणमहंतं । थेरं कुमारधम्म, वंदामि गणिं गुणोवेयं (२८) ॥१३|| सुत्तत्थरयणभरिए, खमदममद्दवगुणेहिं संपन्ने । देविड्डिखमासमणे, कासवगुत्ते पणिवयामि (३९) ॥१४॥ इति स्थविरावली संपूर्णा, द्वितीयं वाच्यं च समाप्तम्॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे विइक्कंते वासावासं पज्जोसवेइ ॥१।। से केणद्वेणं भंते । एवं वुच्चइ समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसराह मासे विइक्कंते वासावास पज्जोसवेइ ? जओ णं पाएणं अगारीणं अगाराई कडियाई उक्कंपियाई छन्नाई लित्ताइं गुत्ताइं घट्ठाई मट्ठाइं संपधूमियाई खाओदगाई खायनिद्धमणाई अप्पणो अट्ठाए कडाइं परिभुत्ताइं परिणामियाई भवंति, से तेणटेणं एवं वुच्चइ-'समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे विइक्कते वासावासं पज्जोसवेइ' ||२|| जहा णं समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे विइक्वते वासावासं पज्जोसवेइ तहा णं गणहरावि वासाणं सवीसइराए मासे विइक्ते वासावासं पज्जोसविति ॥३॥ जहा णं गणहरा वासाणं सवीसइराए जाव पज्जोसविति तहा णं गणहरसीसावि वासाणं जाव पज्जोसविति ।।४।। जहा णं गणहरसीसा वासाणं जाव पज्जोसविति तहा णं थेरावि वासावासं पज्जोसविति ॥५|| जहा णं थेरा वासाणं जाव पज्जोसविति तहा णं जे इमे अज्जत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति तेऽविअणं वासाणं जाव पज्जोसविति ।।६।। जहाणं जे इमे अज्जत्ताए समणा निग्गंथा वासाणं सवीसइराए मासे विइक्कते वासावासं पज्जोसविति तहा णं अम्हंपि आयरिया उवज्झाया वासाणं जाव पज्जोसविति ॥७||जहा णं अम्हंपि आयरिया उवज्झाया वासाणं जाव पज्जोसविति तहा णंअम्हेऽवि वासाणं सवीसइराए मासे विइक्कते वासावासं पज्जोसवेमो, अंतराऽविय से कप्पइ नो से कप्पइ तं रयणि उवाइणावित्तए ।।८|| वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण C$$$$$明明明明明明明明$$$$$$$$$$$$$$$$乐明明明明明明明明明明明明明明明用 Mero)5555 5 555555555555श्री आगमगुणमंजूषा-१५६९5555555555555555555555GORK Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ POR55555555555555 (३९-२) दसासुयक्खधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) [२४] 所听听听听听听听听听听听听听GO FC历历历听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明45C वा निग्गंथीण वा सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं उग्गहं ओगिण्हित्ता णं चिट्ठिउं अहालंदमवि उग्गहे ॥९॥ वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पडिनियत्तए ॥१०|| जत्थ नई निच्चोयगानिच्चसंदणा, नो से कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसं जोयणं भिक्खायरियाए गंतुं पिडिनियत्तए ।।११।। एरावई कुणालाए, जत्थ चक्किया सिया एणं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा, एवं चक्किया एवं णं कप्पइ सव्वओ समंता सकोसंजोयणं गंतुंपडिनियत्तए॥१२॥ एवं चनो चक्किया, एवं सेनो कप्पइ सव्वओ समंता सक्कोसंजोयणं गंतुं पडिनियत्तए॥१३|| वासावासंपज्जोसवियाणं अत्थेगइयाणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ-'दावे भंते !' एवं से कप्पइ दावित्तए, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए ।।१४|| वासावासं पज्जो सवियाणं अत्थे गइयाणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ-'पडिगाहेहि भंते !' एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ दावित्तए ॥१५|| वासावासं पज्जोसवियाणं ० 'दाव भंते ! पडिगाहे भंते ?" एवं से कप्पइ दावित्तएविपडिगाहित्तएवि ।।१६।। वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा हट्ठाणं तुट्ठाणं आरोगाणं बलियसरीराणं इमाओ नवरसविगईओ अभिक्खणं २ आहारित्तिए, तजहाखीरं १ दहिं २ नवणीयं ३ सप्पिं ४ तिल्लं ५ गुडं ६ महुं ७ मज्जं ८ मंसं ९॥१७॥ वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थेगइआणं एवं वुत्तपुव्वं भवइ-अट्ठो भंते ! गिलाणस्स, से य वइज्जा-अट्ठो, से य पुच्छियव्वे-केवइएणं अट्ठो ? से वएज्जा-एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स, जं से पमाणं बयइ सेय पमाणओ धित्तव्वे, सेय विन्नविज्जा, सेय विन्नवेमाणे लभिज्जा, से य पमाणपत्ते होउ अलाहि, इय वत्तव्वं सिया, से किमाहुभंते ? एवइएणं अट्ठो गिलाणस्स, सिया णं एवं वयंतं परो वइज्जा-'पडिगाहेह ? अज्जो! पच्छा तुमं भोक्खसि वा पाहिसि वा' एवं से कप्पइ पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ गिलाणनीसाए पडिगाहित्तए।।१८।। वासावासं पज्जोसवियाणं अत्थि णं थेराणं तहप्पगाराइं कुलाई कडाइं पत्तिआई थिज्जाइं वेसासियाइं संमयाई बहुमयाई अणुमयाइं भवंति, तत्थ से नो कप्पड़ # अदक्खु वइत्तए-'अत्थि ते आउसो ! इमं वा २ ?' से किमाहु भंते ? सड्डी गिही गिण्हइ वा, तेणियंपि कुज्जा ॥१९|| वासावासं पज्जोसवियस्स निच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगं गोअरकालं गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नन्नत्थाऽऽयस्थिक्यावच्चेण वा एवं उवज्झायवेयावच्चेण वा तवस्सिवेयावच्चेण वा गिलाणवेयावच्चेण वा खुड्डएण वा खुड्डियाए वा अवंजणजायएण वा ॥२०॥ वासावासं पज्जोसवियस्स चउत्थभत्तियस्स भिक्खुस्स अयं एवइए विसेसे - जं से पाओ निक्खम्म पुव्वामेव वियडगं भुच्चा पिच्चा पडिग्गहगं संलिहिय संपमज्जिय से य संघरिज्जा कप्पइ से तदिवसं तेणेव भत्तट्टेणं पज्जोसवित्तए, से य नो संथरिज्जा एवं से कप्पइ दुच्चपि गाहावकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ।।२१|| वासावासं पज्जोसवियस्स छट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्सकप्पंति दो गोअरकालागाहावइकुलं भत्ताएबापाणाएवा निक्खमित्तएवा पविसित्तए वा॥२२।। वासावासं पज्जोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ गोअरकाला गाहावकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥२३।। वासावासं पज्जोसवियस्स विगिट्ठभत्तिअस्स भिक्खुस्स कप्पंति सव्वेऽवि गोअरकाला गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए बा निक्खमित्तए का पविसित्तए वा ॥२४|| वासाबासं पज्जोसवियस्स निच्चभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति सव्वाइं पाणगाइं पडिगाहित्तए। वासावासं पज्जोसवियास्स चऊत्थभत्तिअस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाई पडिगाहित्तए, तंजहा-ओसेइमं संसेइमं चाउलोदगं । वासावासं पज्जोसवियस्स छट्टभत्तियस्स भिक्खुस्सा कम्पति तओ पाणगाई पडिगाहित्तए, तंजहा-तिलोदगं वा तुसोदगं वा जवोदगं वा । वासावासं पज्जोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाइं पडिमाहित्तए, तंजहा-आयामे वा सोवीरे वा सुद्धवियडे वा । वासावासं पज्जोसवियस्स विगिट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगे उसिणवियडे षडिगाहित्तए, सेऽवियाणं असित्थे, नोऽविय णं ससित्थे । वासावासं पज्जोसवियस्स भत्तपडियाइक्खियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगे उसिणवियडे पडिगाहित्तए, सेऽविय णं असित्थे, नो चेव णं ससित्थे, सेऽविय णं परिपूए, नो चेवणं अपरिपूरए, सेऽविय णं परिमिए, नो चेव + णं अपरिमिए, सेऽविअ णं बहुसंपन्ने, नो चेव णं अबहुसंपन्ने ॥२५|| वासावासं पान्जोसविअस्स संखादत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति पंच दत्तीओ भोअणस्स श्पडिगाहित्तए पंच पाणगस्स, अहवा चत्तारि भोसणस्स पंच पाणगस्स, अहवा पंच भोअणस्स चत्तारि पाणगस्स, तत्थ णं एगा दत्ती लोणासायणमित्तमवि Mo ##5555555555555555श्री आगमगुणमंजूषा -- १५६६ 5555555555555555555 虽听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明c On Education International 2010 03 DounteLRAHDOLeonly Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR955555555555 (३९.२) दसासुयक्खंध कप्पसूर्य (बारसासूत्र) [२५] 95555%88%EXIRONOR OTO乐乐乐乐乐乐乐乐乐明乐开玩乐明明明明明明明明 乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听国乐MVC पडिगाहिआ सिया कप्पइ से तद्दिवसं तेणेव भत्तद्वेणं पज्जोसवित्तए, नो से कप्पइ दुच्चंपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ।।२६।। वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीणं वा जाव उवस्सयाओ सत्तघरंतरं संखडिं संनियट्टचारिस्स इत्तए, एगे एवमाहु-नो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परेण सत्तघरंतरं संखडिं संनियट्टचारिस्स इत्तए, एगे पुण एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परंपरेणं संखडिं संनियट्टचारिस्स इत्तए॥२७॥ वासावासं पज्जोसवियस्स नो कप्पइ पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स कणगफुसियमित्तमवि वुट्ठिकार्यसि निवयमाणंसि जाव गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥२८॥ वासावासं पज्जोसवियस्स पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स नो कप्पइ अगिहंसि पिंडवायं पडिगाहित्ता पज्जोसवित्तए, पज्जोसवेमाणस्स सहसा वुट्ठिकाए निवइज्जा देसं भुच्चा देसमादाय से पाणिणा पाणि परिपिहित्ता उरंसि वाणं निलिज्जज्जा, कक्खंसि वा णं समाहडिज्जा, अहाछन्नाणि वा लेणावि वा उवागच्छिज्जा, रुक्खमूलाणि वा उवागच्छिज्जा जहा से पाणिसि दए वा दगरए वा दगफुसिआ वा नो परिआवज्जइ ॥२९।। वासावासं पज्जोसवियस्स पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स जं किंचि कणगफुसियमित्तंपि निवडति, नो से कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ||३०|| वासावासं पज्जोसवियस्स पडिग्गहधारिस्स भिक्खुस्स नो कप्पइ वग्घारियवुट्ठिकायंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, कप्पइइ अप्पवुट्टिकायंसि संतरुत्तरंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥३१॥ (ग्रं. ११००) वासावासं पज्जोसविअस्स निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय २ वुट्ठिकाए निवइज्जा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए॥३२॥ तत्थ से पुव्वागमणेणं पुव्वाउत्ते चाउलोदणे पच्छाउत्ते भिलिंगसूवे, कप्पइ से चाउलोदणे पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ भिलिंगसूवे पडिगाहित्तए॥३३॥ तत्थ से पुव्वागमणेणं पुव्वाउत्ते भिलिंगसूवे पच्छाउत्ते चाउलोदणे, कप्पइ से भिलिंगसूवे पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ चाउलोदणे पडिगाहित्तए ॥३४॥ तत्थ से पुव्वागमणेणं दोऽवि पुव्वाउत्ताइं कप्पंति से दोऽवि पडिगाहित्तए, तत्थ से पुव्वागमणेणं दोऽवि; पच्छाउत्ताई, एवं नो से कप्पंति दोऽवि पडिगाहित्तए, जे से तत्थ पुव्वागमणेणं पुव्वाउत्ते से कप्पइ पडिगाहित्तए, जे से तत्थ पुव्वागमणेणं पच्छाउत्ते नो से कप्पइ पडिगाहित्तए ॥३५॥ वासावासं पज्जोसवियस्स निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय २ वुट्टिकाए निवइज्जा, कप्पड़ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ पुव्वगहिएणं भत्तपाणेणं वेलं उवायणावित्तए, कप्पइ से पुव्वामेव वियडंग भुच्चा (पिच्चा) पडिग्गहगं संलिहिय २ संपमज्जिय २ एगाययं भंडगं कट्ट सावसेसे सूरे जेणेव उवस्सए तेणेव उवागच्छित्तए, नो से कप्पइ तं रयणि तत्थेव उवायणावित्तए॥३६|| वासावासं पज्जो सवियस्स निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय २ वुट्टिकाए निवइज्जा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए ॥३७|| तत्थ नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स एगाए य निग्गंथीए एगयओ चिट्ठित्तए १, तत्थ नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स दुण्हं निग्गंथीणं एगयओ चिट्ठित्तए २, तत्थ नो कप्पइ दुण्हं निग्गंथाणं एगाए य निग्गंथीए एगयओ चिट्ठित्तए ३, तत्थ नो कप्पइ दुण्हं निग्गंथाणं दुण्हं निग्गंथीण य एगयओ चिट्ठित्तए ४, अत्थि य इत्थ केइ पंचमे खुड्डए वा खुड्डियाइ वा अन्नेसिं वा संलोए सपडिदुवारे ॥ एव ण्हं कप्पइ एगयओ चिट्ठित्तए ।।३८।। वासावासं पज्जोसवियस्स निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय २ वुट्ठिकाए निवइज्जा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए, तत्थ नो कप्पइ एगस्स निग्गंथस्स एगाए य अगारीए एगयओ चिट्ठित्तए, एवं चउभंगी, अत्थि णं इत्थ केइ पंचमए थेरे वा थेरियाइ वा अन्नेसिं वा संलोए सपडिदुवारे, एवं कप्पइ एगयओ चिट्ठित्तए । एवं चेव निग्गंथीए फ अगारस्सय भाणियव्वं ||३९|| वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अपरिण्णएणं अपरिणयस्स अट्ठाए असणं वा १ पाणं वा २ खाइम 乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 xoxo #5 5 श्री आगमगुणमंजूषा - १५६७ 95555 55555555$OOR Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AGRO55555555555555 (३९-२) दसासुयक्खधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) [२६] 5$$ $ $$$ $2 0 FOR955555555555555555555555555555555555555555555555550oY वा ३ साइमं वा ४ जाव पडिगाहित्तए॥४०|| से किमाहुभंते ? इच्छा परो अपरिण्णए भुंजिज्जा, इच्छा परो न भुंजिज्जा ॥४१॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा उदउल्लेण वा ससिणिद्धेण वा काएणं असणं वा १ पाणं वा २ खाइमं वा ३ साइमं वा ४ आहारित्तए ।।४२।। से किमाहु भंते ? सत्त सिणेहाययणा पण्णत्ता, तंजहा-पाणी १ पाणिलेहा २ नहा ३ नहसिहा ४ भमुहा ५ अहरोठ्ठा ६ उत्तरोट्ठा ७। अह पुण एवं जाणिज्जा-विगओदगे मे काए छिन्नसिणेहे, एवं से कप्पइ असणं वा पाणं वा २ खाइमं वा ३ साइमं वा ४ आहारित्तए॥४३|| वासावासं पज्जोसवियाणं इह खलु निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा इमाइं अट्ठ सुहमाई जाइं छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं २ जाणियव्वाइं पासिअव्वाइं पडिलेहियव्वाइं भवंति, तंजहा-पाणसुहुमं १ पणगसुहुमं २ बीअसुहमं ३ हरियसुहुमं ४ पुप्फसुहुमं ५ अंडसुहुमं ६ लेणसुहुमं ७ सिणेहसुहुमं ८ ॥४॥ से किं तं पाणसुहुमे ? पाणसुहुमे पंचविहे पन्नते, तंजहा-किण्हे १, नीले २, लोहिए ३, हालिद्दे ४, सुकिल्ले ५ । अस्थि कुंथु अणुद्धरी नाम, जा ठिया अचलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाण वा निग्गंधीण वा नो चक्खुफासं हव्वमागच्छइ, जा अट्ठिया चलमाणा छउमत्थाणं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा चक्खुफासं हव्वमागच्छइ, जा छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं २ जाणियव्वा पासियव्वा पडिलेहियव्वा हवइ, सेतं पाणसुहमे १ ॥ से किं तं पणगसुहुमे ? पणगसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे, नीले, लोहिए, हालिद्दे, सुकिल्ले । अत्थि पणगसुहुमे तहव्वसमाणवण्णे नामं पण्णत्ते, जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाणियव्वे पासियव्वे पडिलेहिअव्वे भवइ । से तं पणगसुहमे २॥ से कि तं बीअसुहमे? बीअसुहमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे, नीले, लोहिए, हालिद्दे सुकिल्ले । अत्थि बीअसुहुमे कण्णियासमाणवण्णए नामं पन्नत्ते, जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वाफ निग्गंथीए वा जाणीयव्वे पासियव्वे पडिलेहियव्वे भवइ । सेतं बीअसुहुमे ३ ।। से किं तं हरियसुहुमे ? हरियसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे नीले लोहिए हालिद्दे सुकिल्ले । अस्थि हरिअसुहुमे पुढवीसमाणवण्णए नाम पण्णत्ते, जे निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं २ जाणियव्वे पासियव्वे पडिलेहियव्वे भवइ । से तं हरियसुहुमे ४ ।। से किं तं पुप्फसुहुमे ? पुप्फसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-किण्हे नीले लोहिए हालिद्दे सुकिल्ले । अत्थि पुप्फसुहुमे रुक्खसमाणवण्णे नामं पण्णत्ते, जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाणियव्वे पासियव्वे पडिलेहियव्वे भवइ । से तं पुप्फसुहमे ५ ।। से किं तं अंडसुहुमे ? अंडसुहमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहाउदंसंडे, उक्कलियंडे, पिपीलिअंडे, हलिअंडे, हल्लोहलिअंडे, जे निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाणियव्वे पासियव्वे पडिलेहियव्वे भवइ । से तं अंडसुहुमे ६ ।। से किं तं लेणसुहुमे? लेणसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उत्तिंगलेणे भिंगुलेणे उज्जुए तालमूलए संबुक्कावट्टे नामं पंचमे जे छउमत्थेण निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा जाणियब्वे पासियव्वे पडिलेहियव्वे भवइ । से तं लेणसुहुमे ७ ॥ से किं तं सिणेहसुहुमे ? सिणेहसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-उस्सा हिमए महिया करए हरतणुए। जे छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गंथीए वा अभिक्खणं २ जाणियव्वे पासियव्वे पडिलेहियव्वे भवइ । से तं सिणेहसुहुमे ८ ॥४५॥ वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्ति गणि गणहरं गणावच्छेअयं जं वा पुरओ काउं विहरइ, कप्पइ से आपुच्छिउँ आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं गणावच्छेअयं जं वा पुरओ काउं विहरइ. 'इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा,' ते य से वियरिज्जा एवं से काप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, ते य से नो वियरिज्जा एवं से नो कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा। से किमाह भंते ? आयरिया पच्चवायं जाणंति ॥४६।। एवं विहारभूमि वा वियारभूमि वा अन्नं वा जंकिचि पओअणं, एवंगामाणुगाम दूइज्जित्तए ॥४७॥ वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा अण्णयरि विगई आहारित्तए, नो से कप्पइ से अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवितिं गणिं गणहरं गणावच्छेअयं वाफ जं वा पुरओ कट्ट विहरइ कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं या उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं अणावच्छेययं वा जं वा पुरओ काउं विहरइ आहारित्तए - 'इच्छामि णं भंते ! तब्मेहिं अब्भणण्णाए समाणे अन्नयरिं विगई आहारित्तए, तं एवइयं वा एवइखुत्तो वा, ते य से वियरिज्जा एवं से कप्पइ अण्णयरिं विगई, Mero +9555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १५६८ 5555555555555555555555555507ox MOc55555555555555555555555555555555555555555555555555TOR Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ & Personal use only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TOYO宝出牙牙乐历站$$$$$$$ $$$$步步步步步步步步步步步步步步步与$$ $$步步步步步步步步勇勇%5D E 明明 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听出明明明明明明明明明山 | પુરિપાઠાણીય પાર્શ્વનાથ ભગવાનના ઉપસર્ગો : કમઠ નામનો તાપસ ચારે દિશામાં અગ્નિ પ્રગટાવી. વચ્ચે પોતે ભરતડકામાં બેસી પંચાગ્નિતપ કરી રહ્યો છે. પ્રભુ પાર્શ્વનાથે જણાવ્યું કે, ‘અજ્ઞાને કરીને તમે કષ્ટ કરી રહ્યા છો.'' ત્યારે તાપસ રાજકુમાર પર ગુસ્સે થયો અને કહ્યું, 'તમને રાજકાજ સિવાય બીજું શું આવડે ? ત્યારે પાર્થ રાજકુમારે એક બળતા લાકડાને સેવક પાસે ચીરાવ્યો તો તેમાંથી અર્ધદગ્ધ. સાપ નીકળ્યો, જેને સેવકના મુખે નવકાર મંત્રનું સ્મરણ કરાવતા. તે સમાધિથી મૃત્યુ પામીને ધરણેન્દ્ર દેવતા થાય છે. - તે કમઠ મરીને મેઘમાલી વ્યંતર થાય છે અને પાર્શ્વ પ્રભુને ધ્યાનસ્થ જોતાં પૂર્વના વૈરનું સમરણ કરીને ત્રણ અહોરાત્ર સુધી વરસાદ વરસાવે છે. તેનું પાણી બહાર ક્યાંય ન ફેલાતાં. એ.કજ સ્થળે ભરાવા લાગે છે અને ધીરે ધીરે પાણી વધતા વૃધતા પાર્થ પ્રભુના નાક સુધી આવે છે. અને શ્વાસ લેવામાં પણ તકલીફ થઈ ત્યારે ધરણેન્દ્ર દેવતાનું આસન કંપાયમાન થવાથી. તે પ્રભુનો ઉપસર્ગ જાણી, કમળને વિકસાવી તેમના ઉપર ફણાદ્વારા છત્ર હરણ કરે છે. તે સ્થળે અહિચ્છત્રા નામની નગરી બને છે, पुरिषादानीय पार्श्वनाथ भगवान के उपसर्ग: कमट नामका तापस चारों दिशाओं में आग जलाकर बीचमें खुद धूप में बैठकर पंचाग्नितप कर रहा है। प्रभुपार्श्वनाथ ने उसे कहा, 'आप अज्ञानग्रस्त होकर कष्ट उठा रहे हैं।' तब तापस ने राजकुमार को क्रोधित होकर बोला, 'राजकार्य के अलावा आपको और क्या मालूम ?' उस वक्त पार्थ राजकुमार ने एक जलती लकडी सेवक के द्वारा कटवाई तो उसमें से एक आधा जला हुआ सांप निकला, जिसे नवकार मंत्र स्मरण कराते ही उसकी समाधि मृत्यु हुई और वह घरणेन्द्र देव बना। कमठ मृत्यु के उपरान्त मेघमाली व्यंतर बनकर जन्म पाता है और जब पार्श्वनाथ प्रभु को ध्यानस्थ देखता है तो उसे पूर्वभवका वैर याद आता है और तीन अहोरात्र तक वर्षा करता है। बरसात का पानी अन्यत्रं न जाकर वहीं जमा होता है और धीरे-धीरे बढ़ते बढ़ते प्रभु के नाक तक पहुँचता है तब प्रभुको साँस लेने में कठिनाई होती हैं। इससे धरणेन्द्र देवता का आसन दोलायमान हो उठता है। प्रभुका उपसर्ग जानकर कमल को विकसित करता है और उनपर अपनी फेन द्वारा छत्र धारण करता है। उसी स्थल अहिच्छत्रानामक नगरी निर्माण होती है। Obstacles faced by Lord Pārsvanātha : 明明明明明明明明明明明明明加加出與與與乐乐出出出出出出出所出現乐乐乐中乐出出出出出明明明明明 An ascetic named Kamatha practises the Five-fire penance sitting in sunshine with fires around in four directions. Lord Pārsvanātha rebukes him, 'You are ignorantly practising paingiving penance To this Kamatha scolds the prince, 'What else can you know but the royal affairs ** Lord Pärsvanatha orders a servant to tear off one burning wood piece and from it a half burnt serpent rushes out. The Lord asks the servant to chant the Navakära Mantra mentally. The serpent dies and is born as a god named Dharanendra, Kamatha, the ascetic dies and is reborn as Meghamali, an evil spirit. When he sees Lord Pārsvanatha is engrossed in meditation, fi remembers his previous life and enmity and showers a heavy rain incessantly for three full days. The showered rain water gets gathered at one place only and increasingly reaches the Lord's nose. Lord Parsvanatha feels dilliculty in breathing. At this moment god Dharanendra's seal gets shakes, he realises the obstacle to the Lord, unfold s a lotus and bears his hood as an umbrella. There the city called Ahicchatra comes to existence MO Ch玩上步步步步步步步步步步步步步步步步步步步五步到过活步步步步步步馬步步编写5 55岁当兵击出事) Luin Education international 2010_03 For Private Personal use only www.ambayo Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YAN TO 5 5 5 5乐乐乐乐乐出乐乐乐乐乐乐乐出乐乐乐乐乐乐乐乐出乐乐乐乐出乐乐城AS A A A 2 શ્રી ઋષભદેવ અને મરિચિ આ અવસર્પિણી કાળના પ્રથમ તીર્થંકર શ્રી ઋષભદેવ ભગવાનને ચક્રવર્તી ભરત પ્રશ્ન કરે છે, ‘આ સમવસરણમાં તીર્થંકરનો બીજો કોઈ આત્મા છે ખરો ?’ પ્રભુ જવાબ આપે છે, ‘આ સમવસરણમાં તો નથી, પણ તારો પુત્ર મરીચિ શ્રી મહાવીર નામે અંતિમ તીર્થંકર થરો.’ એટલે ભરત મહારાજા બિઠંડી મરીચિ પાસે આવીને કહે છે, ‘તમે અંતિમ તીર્થંકર થવાના છો, માટે તમને વંદન કરું છું.” ભરત મહારાજાના ગયા પછી મરીચિ કુળનું અભિમાન કરીને નાચે છે અને તે સાથે નીચગોત્ર નામનું કર્મ બાંધી લે છે. श्री ऋषभदेव और मरिचि इस अवसर्पिणी के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव भगवान को चक्रवर्ती भरत पूछता है, 'इस समवसरण में तीर्थंकर की कोई दूसरी आत्मा है ?' प्रभु उत्तर देते हैं, 'इस समवसरण में तो नहीं है, परंतु तेरा पुत्र मरीचि श्री महावीर नाम से अंतिम तीर्थकर बनेगा। इस पर महाराज भरत त्रिदंडी मरीचि के पास आकर कहते हैं, 'आप अंतिम तीर्थंकर होनेवाले हैं, अतः आपको वंदन करता हूँ' । महाराज भरत के जाने के उपरान्त मरीचि कुलाभिमान कर नाच उठते है और नीचगोत्र नामक कर्म के बन्ध में आते हैं। Lord Rṣabhadeva and Marici Lord Rṣabhadeva, the first Tirthankara of this descending era is asked by emperor Bharata, 'Is there any Tirthankara's soul in this assembly? The Lord replies, 'Not in this assembly, but your son Marici will be born as the last Tirthankara named Lord Mahāvīra. Emperor Bharata approaches Samnyasi Marici and bows down to him saying, 'I bow down to you, as you are going to be the last Tirthankara. On emperor Bharata's depart, Marici dances with the pride of his noble family and that results into the bondage called Low Caste. ત્રિપૃષ્ઠ વાસુદેવના ભવમાં ભગવાન મહાવીરનો આત્મા સિંહને પોતાના હાથ વડે બંને જડબા પકડીને ચીરી નાખે છે. સિંહ તરફડી રહ્યો છે – મોત આવતું નથી, ત્યારે સારથિ બોધ આપે છે, 'તું સામાન્ય માનવીના હાથે મર્યો નથી, પણ ત્રિપુષ્ઠ વાસુદેવના હાથે મર્યો છે.” સિંહને સાંત્ત્વન મળે છે અને મરણ રારણ થાય છે, તે સારથિ જ પછીના ભવમાં ગૌતમ સ્વામી અને તે સિંહ પછીના ભવમાં હાલિક ખેડૂત તરીકે જન્મે છે. હાલિક ગૌતમસ્વામીના પ્રતિબોધયી દીક્ષા તો લે છે, પણ ભગવાન મહાવીરને જોતાં પૂર્વભવના વેરનું સ્મરણ થતાં ત્યાંથી નાસી જાય છે. त्रिपृष्ठ वासुदेव के भव में भगवान महावीर की आत्मा अपने हाथों से सिंह को जबड़े से फाड़ डालती है। सिंह परेशान हैं- मौत आती नहीं, तब सारथि समझाता है, 'तू सामान्य नर के हाथों से नहीं मरा, किन्तु त्रिपृष्ठ वासुदेव के हाथों से मरा है।' सिंह को राहत मिलती है और वह मरण शरण होता है। वही सारथि अनंतर भव में गौतम स्वामी और वह सिंह दूसरे भव में हालिक नामक किसान बनकर जन्म लेते हैं। हालिक गौतम स्वामी से दीक्षा तो ग्रहण करता है, पर भगवान महावीर को देख उसे पूर्ववैर की याद आती है और वहाँ से भाग जाता हैं। Lord Mahavira in his birth of Triprstha Vasudeva tears off a lion from jaws by hands. The lion rolls impatiently, but the death is belated.. The charioteer explains, 'O lion, you are not killed by the hands of an ordinary man, but by the hands of Triprstha Vasudeva. The lion dies. The charioteer is born as Gautama Svami in his next birth and the lion as a farmer named Halika, who is preached by Gauthama Svāmī, but on seeing Lord Mahavira, he recollects his enmity and runs away from there. For Ravale & Personal Use Only 乐乐出乐当当 ST AS S S S S WHEN TO A 乐乐乐乐乐场所当场出境出境 Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IOS55555555555555 (३९.२) दसासुयक्खंधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) [२७] 万历 历历%%%%%%F22AC आहारित्तए, ते य से नो विवरिज्जा एवं से नो कप्पइ अण्णयरिं विगई आहारित्तए से किमाहु भंते ? आयरिया पच्चवायं जाणंति ॥४८|| वासावासं पज्जोसबिए 0 भिक्खू इच्छिज्जा अण्णयरिं तेइच्छियं आउट्टित्तए, नो से कप्पइ से अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं गणाबच्छेययं वाजंवा पुरओ काउं विहरइ, - कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणि गणहरं गणावच्छेअयं वा जं पुरओ काउं विहरइ, इच्छामिण भंते ! तुब्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे अण्णयरिं तेइच्छियं आउट्टित्तए,' तं एवइयं वा एवइखुत्तो वा, ते य से वियरिज्जा एवं से कप्प अव्णायरि तेच्छियं आउट्टित्तए, ते य से नो वियरिज्जा एवं से नो कप्पइ अण्णयरि तेइच्छियं आउट्टित्तए । से किमाहु भंते ? आयरिया पच्चवायं जाणंति ।।४९॥ वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा अण्णयरं ओरालं कल्लाणं सिवं धण्णं मंगल्लं सस्सिरीयं महाणुभावं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं बिरिलाए, नो से कप्प्णइ अणापुच्छित्ता आयारियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणिं गणहरं गणावच्छेययं वाजं वा पुरओ काउं विहरइ, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियाँ या. उवज्झायं क्या थेरं पावित्तिं गाणि गणहरंगणावच्छेअयं वाजं वा पुरओ काउंविहरइ-'इच्छामिणं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाएसमाणे अण्णयरं ओरालं कल्ललाण सिबंधण्णं मंगल्न सस्सिरीयमाणुभावंतवोकम्मउवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए,' तं एवइयं वा एवइखुत्तो वा, ते य से वियरिज्जा एवं से कप्पइ अण्णयरं ओराल कल्लाणं सिर्व घण्णं मंगल्लं सस्सिरीय महाणुभावं तवोकम्म उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, तेय सेनो वियरिज्जा एवं सेनो कप्पइ अण्णयरं ओरालंकल्ला सिवंधण्णं मंगल्लं सस्सिरीयं महाणुभावंतवोकम्मंउवसंपज्जित्ता ॐणं विहरित्तए, ते य से नो वियरिज्जा एवं सेनो कप्पइ अण्णयरं ओरालं कल्लाणं सिर्व धण्णं मंगल्लं सस्सिरीयं महाणुभावं तबोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए।से किमाहु भंते ? आयरिया पच्चवायं जाणंति ॥५०॥ वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा अपच्छिपमारणं तियसलेहणाजूसणाजूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरित्तए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, असणं वा पाणं वा खामं वा साइमं वा आहारित्तए वा, उच्चारं वा पासवणं वा परिट्ठावित्तए, सज्झायं वा करित्तए, धम्मजागरियं वा जागरित्तए, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरं पवित्तिं गणि गणहरं गणावच्छेययं वा जं वा पुरओ काउं विहरइ, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा थेरंपवत्ति गणिगणहरं गणावच्छेययं वा जंवा पुरओ काउं विहरइ,-'इच्छामि णं भंते। तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे अपच्छिममारणंतियसंलेहणाजूसणाजूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरित्तए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारित्तए वा, उच्चारं वा पासवर्ण वा परिठ्ठावित्तए, सज्झायं वा करित्तए, धम्मजागरियं वा जागरित्तए,' तं एवइयं वा एवइखुत्तो वा, ते य से वियरिज्जा एव से कप्पइ, ते य से नो वियरिज्जा नो से कप्पइ, से किमाहु भंते! ?, आयरिया पच्चवायं जाणंति ॥५॥ वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पायपुंछणं वा अण्णयरिं वा उवहि आयावित्तए वा पयावित्तए वा, नो से कप्पइ एणं वा अणेगं वा अपडिण्णवित्ता गाहावकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तएवा, असणं वा पाणं वा साइमंवा खासमंवा आहारित्तए, बहिया विहारभूमि वा वियारभूमि वा सज्झायं वा करित्तए, काउस्सग्गं वा ठाणं वा ठाइत्तए। अत्थि य इत्थ केइ अभिसमण्णागए अहासण्णिहिए एगे वा अणेगे वा, कप्पइ से एवं वइत्तए- 'इमं ता अज्जो | तुम मुहुत्तगं जाणेहि जाव ताव अहं गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारित्तए, बहिया विहारभूमि वियारभूमि सज्झायं वा करित्तए, काउस्सग्गं वा ठाणं वा ठाइत्तए,' से य से पडिसुणिज्जा एवं से कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तएवा पविसित्तए वा, असणं पाणं खाइमं साइमं आहारित्तए वा, बहिया विहारभूमि वियारभूमि सज्झायं करित्तए वा । सेय से नो पडिसुणिज्जा एवं से नो कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा, पविसित्तए वा, असणं पाणं खाइमं साइमं आहारित्तए वा, बहिया विहारभूमि वियारभूमिक सज्झायं करित्तए वा, काउस्सगं वा ठाणं वा ठाइत्तए॥५२॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निम्गंथीण वा अणभिग्गहियसिज्जासणियाणं 2 हत्तए, आयाणमेयं, अणभिग्गहियसिज्जासणियस्स अणूच्चाकूइयस्स अणट्ठाबंधियस्स अभि यासणियस्स अणातावियस्स असमियस्स अभिक्खणं २ MeroSE9855555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १५६९555555555555555555555555555OYORK 103 CFFFF听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐 9折纸听听听听听听听听听听听听听听斯历历明明明明明明明听听听听听听听听听听听听玩玩乐乐乐乐所屬 15567 Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For055555555555 139-2) दसायक्रोधं कप्पसूर्य (बारसासूत्र) [28] 55555555555FOXONY 555555555FESong 明明明明明明明明明明明乐乐 明明明明明明 明明明明明明乐 अपडिलेहणासीलस्स अपमज्जणासीलस्स तहा तहा संजमे दुराराहए भवइ // 53|| अणादाणमेयं, अभिग्गहिय सिज्जासगियस्स उच्चाकूइयस्स अट्ठाबंधियस्स मियासणियस्स आयाबियस्स समियस्स अभिक्खणं 2 पडिलेहणासीलस्स पमज्जणासीलस्स तहा 2 संजमे सुआराहए भवइ / / 54 / / वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तओ उच्चारपासवणभूमीओ पडिलेहित्तए. न तहा हेमंतगिम्हासु जहा णं वासासु, से किमाहु भंते ! ?, वासासु णं उस्सणं पाणा य तणा य बीया य पणगा य हरियाणि य भवंति // 55 / / वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तओ मत्तगाइं गिण्हित्तए, तंजहाउच्चारमत्तए, पासवणमत्तए, खेलमत्तए // 56 / / वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परं पज्जोसवणाओ गोलोमप्पमाणमित्तेऽवि तेसे तं रयणि उवायणावित्तए। अज्जेणं खुरमुंडेण वा लुक्कसिरएण वा होइयव्वं सिया। पक्खिया आरोवणा, मासिए खुरमुंडे, अद्धमासिए कत्तरिमुंडे. छम्मासिए लोए, संवच्छरिए वा थेरकप्पे // 57|| वासावासं पज्जोसविआणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परं पज्जोसवणाओ अहिगरणं वइत्तए, जेणं निग्गंथो वा निग्गंथी वा परं पज्जो सवणाओ अहिगरणं वयइ से णं 'अकप्पेणं अज्जो ! वयसीति' वत्तव्वे सिया, जेणं निग्गंथो वा निग्गंथी वा परं पच्जोसवणाओ अहिगरणं वयइ से णं निज्जू हियब्वे सिया // 58|| वासावासं पज्जोसवियाणं इह खलु निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अज्जेव कक्खडे कडुए वुग्गहे समुप्पज्जिज्जा सेहे रायणियं खामिज्जा, राइणिएऽवि सेहं खामिज्जा (ग्रं-१२००) खमियव्वं खमावियव्वं उवसमियव्वं उवसमावियव्वं सुमइसंपुच्छणाबहुलेणं होयव्वं / जो उवसमइ तस्स अत्थि आराहणा, जो न उवसमइ तस्स नत्थि आराहणा, तम्हा अप्पणा चेव उवसमियव्वं, से किमाहु भंते ?, उवसमसारं खु सामण्णं / / 59 / / वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तओ उवस्सया गिण्हित्तए, तंजहा-वेउव्विया पडिलेहा साइज्जिया पमज्जणा 3 // 60 / / वासावासं पज्जोसवियाणं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा कप्पइ अण्णयरिं दिसिं वा अणुदिसिंवा अवगिज्झिय भत्तपाणं गवेसित्तए। से किमाहु भंते ! ?, उस्सणं समणा भगवंतो वासासु तवसंपउत्ता भवंति, तवस्सी दुब्बले किलंते मुच्छिज्ज वा पवडिज्ज वा, तमेव दिसं वा अणुदिसं वा समणा भगवंतो पडिजागरंति // 61 / / वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा गिलाणहेउं जाव चत्तारि पंच जोयणाइं गंतुं पडिनियत्तए, अंतराऽवि से कप्पइ वत्थए, नो से कप्पइ तं रयणि तत्थेव उवायणावित्तए // 62 / / इच्चेइयं संवच्छरिअं थेरकप्पं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएण फासित्ता पालित्ता सोभित्ता तीरित्ता किट्टित्ता आराहित्ता आणाए अणुपालित्ता अत्थेगइआ समणा निग्गंथा तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झंति बुज्झंति मुच्चंति परिनिव्वाइंति सव्वदुक्खाणमंतं करिति, अत्थेगइया दुच्चेणं भवग्गहणेणं सिझंति बुझंति मुच्चंति परिनिव्वाइंति सव्वदुक्खाणमंतं करिति, अत्थेगइया तच्चेणं भवग्गहणेणं सिझंति बुज्झंति मुच्चंति परिनिव्वाइंति सव्वदुक्खाणमंतं करिति, सत्तट्ठ भवग्गहणाई म पुण नाइक्कमंति // 63 / / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं बहूणं देवाणं बहूणं देवीणं मज्झगए चेव एवमाइक्खइ, एवं भासइ, एवं पण्णवेइ, एवं परुवेइ, पज्जोसवणाकप्पो नामं अज्झयणं सअटुं सहेउअंसकारणं ससूत्तं सअट्ठ सउभयं सवागरणं भुज्जो भुज्जो उवदंसेइत्ति बेमि।।६४|| (ग्रं० 1215) इति सामाचारी समाप्ता, तृतियं वाच्यं च समाप्त / / इति श्रीदशाश्रुतस्कन्धे श्रीपर्युपणाकल्पाख्यं स्वामिश्रीभद्रबाहुविरचितं श्रीकल्पसूत्रं (बारसासूत्र) समाप्तम् / / RO )555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा-१५७०5555555555555555555555555575