Book Title: Yogshastra Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 4
________________ प्रस्तावना. तानी मेसेज मालुम पडशे, के, श्राग्रंथमा सर्वोत्तम रहस्य नरेलुं . वली आ ग्रंथ संस्कृत भाषामां होवाथी हालना समयमां ते नाषानुं सर्वने जाणपणुं नहीं होवाथी, श्रमोये तेनुं शुद्ध गुजराती नाषांतर जामनगर निवासी पंडित श्रावक हीरालाल वि. हंसराज पासे करावी प्रसिद्ध कर्यु ने.या ग्रंथनां मूल श्लोको मुकी, तेनी नीचे, तेनोअर्थ, तथा तेनी नीचे टीकानोजावार्थ, तथा प्रसंगोपात आवती कथा पण संदेपथी बापेली. श्रा ग्रंथमा फारम तपासनारनी गफलतीथी कोश को जगोए जे श्रशुद्धता रहेली होय, ते सुज्ञ जनोए कृपा करी सुधारीने वांचवी. शा. नागजी माया (नीमसी माणेकना कारनारी.) EMAILPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 493