Book Title: Yogshastra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
४६२
अनुक्रमणिका. वीपय.
पृष्ठ. १७ए शुक्लध्याननां दोनुं स्वरूप.
४२५ १७० घाती कमोंर्नु स्वरूप.
४५७ १२ तीर्थकरनां अतिशयोनुं स्वरूप, १२ वीजा केवलीउनु स्वरूप,
बारमो प्रकाश. (१२) १३ योगीनां मन तथा श्रात्मानुं स्वरूप. १४ योगिनुं स्वरूप. १५ श्रा योग शास्त्र रचवानुं कारण. १६० नाषांतर कारनी प्रशक्ति.
४१५ १७ आ ग्रंथनां नाषांतर कर्ता पंमित हीरालाल विरचितं विजयानंद स्तोत्रं.
४७६ १७ शुद्धिपत्र.
४७.
HG
hd
Ta07

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 493