Book Title: Yogsara Padyanuwad
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 11
________________ व्यवहार से जिनदेव ने छह द्रव्य तत्त्वारथ कहे । हे भव्यजन ! तुम विधीपूर्वक उन्हें भी पहिचान लो ॥३५॥ है प्रातमा बस एक चेतन प्रातमा ही सार है। बस और सब हैं अचेतन यह जान मुनिजन शिव लहैं ॥३६॥ जिनदेव ने ऐसा कहा निज प्रातमा को जान लो। यदि छोड़कर व्यवहार सब तो शीघ्र ही भवपार हो ॥३७॥ जो जीव और अजीव के गुणभेद को पहिचानता । है वही ज्ञानी जीव वह ही मोक्ष का कारण कहा ॥३८॥ यदि चाहते हो मोक्षसुख तो योगियों का कथन यह । हे जीव ! केवलज्ञानमय निज प्रातमा को जान लो ॥३६॥

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