Book Title: Yogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Suvratmuni Shastri
Publisher: Aatm Gyanpith

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Page 337
________________ 280 योगविन्दु के परिप्रेक्ष्य में जैन योग साधना का समीक्षात्मक अध्ययन ४०. जिनसहत्रनामस्तोत्र, पं. आशाधर, भारतीय ज्ञान पीठ, काशी, वि० सं० २०१० ४१. जैन तत्त्वकलिका, आचार्य श्री आत्माराम सं० मानसा मण्डी, १९८२ ४२. जैनयोग का आलोचनात्मक अध्ययन, डॉ० अर्हत्दासदिगे पार्श्वनाथ, विद्याश्रम वाराणसी, १९८१ ४३. जैनयोग चतुष्ट्य, आचार्य हरिभद्रसूरि, सम्पा० डा० छगनलाल शास्त्री, व्यावर १९८२ ४४. जैनयोग सिद्धान्त और साधना, आचार्य श्रोआत्माराम, सम० श्री अमर मुनि, प्रकाशन, मानसा मण्डी, १९८२ ४५. तत्त्वविद्या, पं० सुखलाल संघवी ४६. तत्त्ववैशारदी (योगभाष्य की टीका), वाचस्पतिमिश्र (मूल) ४७. तत्त्वानुशासन, सम्पा० जुगलकिशोर मुख्तार, वोरसेवा मन्दिर ट्रस्ट, १९६३ ४८. तत्त्वार्थराजवातिक, अकलंकदेव, भारतीय ज्ञानपीठ, बनारस, १६४४ ४६. तत्वार्थसूत्र, उमास्वाति, विवेचक पं० सुखलाल संघवी, पार्व नाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी, १९७६ ५०. तत्त्वार्थवृत्ति (श्रूतसागर सूरि), भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, १६४६ तैत्तीय उपनिपद् (१०८ उपनिषद्) सम्मा० बा० ल० शास्त्री, पाण्डुरंग जावजी, बम्बई, १९३२ ५२. दशवैकालिकसूत्र, प्रका० सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर, १९८३ दीर्घनिकाय, सम्पा० भिक्षु जगदोश काश्यप एवं राहुल सांकृत्या वन, महाबोधि सभा, सारनाथ, १९३६ ५४. द्रव्यसंग्रह, सम्मा० डा० दरबारीलाल कोठिया, वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट, वाराणसी ५५. धर्मदर्शन मनन और मूल्यांकन, देवेन्द्र मुनि शास्त्री, उदयपुर (राज०) १९८५ ५६. धम्मपद, धर्मरक्षित, बनारस, १६५३ ५७. धर्मबिन्दु, हरिभद्रसूरि, आगमोदय समिति, बम्बई, १९२४ ५८ धर्मबिन्दुपनिषद् (१०८ उपनिषद्) सं० पा. वा. ल. शास्त्री, पाण्डुरंग जावजी, बम्बई, १६३२ ५१. ५३. ____Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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